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‘फ्रीडम कानवॉय’ ने बदलदी कनाडा की राजनीतिक फ़िज़ा 

 
उत्तरी भारत में एक कहावत है, ‘जब खुद पर पड़े? खुदा ना ऐसा करे!’ कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन टूडो के साथ कुछ ऐसा होता नजर आ रहा  है। दरअसल ,कनाडा में कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर धरना- प्रदर्शन कर रहे लोगों पर तानाशाही अंदाज में थर्ड डिग्री का इस्तेमाल कर रहे हैं।
इससे सवाल उठ रहा है कि जो देश पिछले साल किसान आंदोलन के समय भारत को लोकतंत्र का महत्व समझा रहा था, वो देश महज एक महीने से जारी आंदोलन को बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है। इतना ही नहीं ‘फ्रीडम कानवॉय’  नाम से प्रसिद्ध हो चले इस आंदोलन को तानाशाही की तरफ ट्रूडो राजनीतिक और सामाजिक छवि को भी बदलने का काम कर दिया है। आमतौर पर अपनी मातृभाषी जीवन शैली और कानून के प्रति सम्मान रखने वाले मुल्क में सैकड़ों ट्रकों द्वारा एक  महीने तक संसद का घेराव रखना एक नयी राजनीति की इबारत लिखता नज़र आ रहा है।
वैक्सीनेशन को लेकर हो रहे धरना – प्रदर्शन को लेकर प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने पहले ही साफ कर दिया था, कि प्रदर्शन को कुचल दिया जाएगा। अब कनाडा की पुलिस ने थर्ड डिग्री का इस्तेमाल करते हुए प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करना शुरू कर दिया है।
 गौरतलब है कि कोविड 19 वैक्सीन मैंडेट के खिलाफ पिछले तीन हफ्तों से कनाडा की राजधानी ओटावा की सड़कों पर शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे प्रदर्शनकारियों को सड़क से हटाने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया था। अब उन्हें डंडे के सहारे खदेड़ा जा रहा है।
 ख़बरों के मुताबिक भारी संख्या में प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।

घर-घर ऑपरेशन


रिपोर्ट के मुताबिक, कनाडा के पुलिस अधिकारी राजधानी ओटावा में प्रदर्शन वाले इलाकों में घर घर ऑपरेशन चला रहे हैं और लोगों को उनके घरों से गिरफ्तार कर जेल भेज रहे हैं। अधिकारियों को ओटावा की बर्फ से ढकी सड़कों पर खड़े ट्रकों, कैंपरों और अन्य वाहनों को ले जाते हुए देखा जा रहा है। पुलिस ने कहा कि, कुछ प्रदर्शनकारियों ने आत्मसमर्पण कर दिया है और उन्हें हिरासत में ले लिया गया। वहीं, दर्जनों प्रदर्शनकारियों को हाथों में हथकड़ी बांधकर पुलिस को जबरदस्ती ले जाते हुए देखा गया है। हालांकि, जस्टिन ट्रूडो ने भले ही लोकतंत्र को अपनी ‘जूतों के तले’ रौंदना शुरू कर दिया हो, बावजूद इसके सैकड़ों प्रदर्शनकारी अभी भी डटे हुए हैं और सरकार की ‘तानाशाही’ के खिलाफ सड़क से हल्ला बोल रहे हैं।

ट्रूडो की ‘तानाशाही


मॉन्ट्रियल के ट्रक चालक केविन होमौंड ने पीएम ट्रूडो की ‘तानाशाही’ पर कहा कि “आजादी कभी भी मुफ्त में नहीं मिलती है”। उन्होंने कहा कि, “तो क्या हुआ अगर उन्होंने हमें हथकड़ी लगाई और हमें जेल में डाल दिया?” गौरतलब है कि, पुलिस ने गुरुवार की देर रात दो प्रमुख विरोध नेताओं को गिरफ्तार कर लिया जिसके बाद उन्हें जेल में डाल दिया गया है, साथ ही कनाडा की पुलिस काफी तेजी से प्रदर्शन स्थल को खाली कराने की कोशिशों में जुट गई है। वहीं, सरकार ने प्रदर्शनकारियों को पहुंचने वाली सारे मदद को रोक दिया है। ट्रक रास्ते को भी जाम कर दिया गया है, जिसके जरिए आंदोलनकारियों तक मदद न पहुंच सके। वहीं, लोगों को प्रदर्शन स्थल तक पहुंचने के लिए भी काफी ज्यादा पुलिस जवानों को तैनात किया गया है, जिससे प्रदर्शनकारियों को बेबस कर अकेला किया जा रहे हैं। रविवार 20 फरवरी की शाम तक ओटावा पुलिस ने इस प्रदर्शन को लगभग  समाप्त कर डाला है।
 

जस्टिन ट्रूडो की सत्ता खतरे में 


कनाडा की राजधानी ओटावा में पिछले तीन हफ्तों से ट्रक ड्राइवर्स का प्रदर्शन चल रहा है और अब आंदोलन को बेरहमी से कुचलने की कोशिशें तेज हो गई हैं। वहीं, पहले से ही अल्पमत की सरकार के प्रधानमंत्री बने जस्टिन ट्रूडो की सत्ता पर भी अब खतरा मंडराने लगा है। कनाडा के नागरिकों का लोकतांत्रिक हक कुचलने के लिए अब वो हर सीमा को पार कर रहे हैं। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की सरकार अभी भी अल्पमत की सरकार है। देश की वामपंथी पार्टी के समर्थन की बदौलत जस्टिन ट्रूडो प्रधानमंत्री बने हुए हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि, इस आंदोलन ने जस्टिन ट्रूडो की राजनीति को काफी नुकसान पहुंच रहा है जिसके कारण वह किसी भी हाल में आंदोलन को खत्म करना चाहते हैं, भले उसके लिए उन्हें लोकतंत्र और लोकतांत्रिक व्यवस्था को किनारा क्यों न करना पड़े।

अस्तित्व पर सवाल


प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो आंदोलन के अस्तित्व पर सवाल उठाने के लिए कई ‘बहाने’ बना रहे हैं। पीएम ट्रूडो कह रहे हैं, कि नागरिकता पाने के लिए बाहरी लोग कनाडा की प्रतिष्ठा से खेल रहे हैं। वहीं, एक बयान में पीएम ट्रूडो ने अमेरिका के लोगों पर आंदोलन को हवा देने का आरोप लगा दिया, जिसके बाद अमेरिका की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया दी गई। वहीं, दो दिन पहले एक बयान में कनाडा सरकार के एक मंत्री ने कहा कि, डोनाल्ड ट्रंप के समर्थक कनाडा की शांति को खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। यानी, कनाडा की सरकार आंदोलन को लेकर हर तरह के बहाने बना रही है। पीएम ट्रूडो ने आंदोलन को कुचलने के लिए देश में ‘कनाडा इमरजेंसी एक्ट’ भी लागू कर दिया गया इसके तहत आंदोलनकारियों मुसीबतें और बढ़ने लगीं। 

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