हांगकांग में लोकतंत्र समर्थकों का प्रदर्शन थम ही नहीं पा रहा है। हाल ही में चीन के झुक जाने के बाद कुछ दिनों तक ऐसा लगा था कि अब हांगकांग की जनता को आंदोलन से रहत मिल जाएगी। लेकिन 15 सितम्बर को एक बार फिर जनता सड़कों पर आ गई। हजारों प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर मार्च कर एक बार फिर अधिकारियों को चुनौती दी। इस बार प्रदर्शनकारियों के सब्र का बांध ऐसा टूटा कि वे उग्र हो गए। उन्होंने पुलिसकर्मियों पर पेट्रोल बम फेंके। इस हिंसा में दर्जनों लोग घायल हुए। हांगकांग में बीते 99 दिनों से लोकतंत्र के समर्थन में प्रदर्शन हो रहे हैं।15 सितम्बर को रैली में उस समय हिंसा शुरू हुई जब गुस्साए प्रदर्शनकारियों के एक छोटे समूह ने शहर के मुख्य सरकारी परिसर पर हमले का प्रयास किया। इस दौरान परिसर के आसपास सुरक्षा घेरों पर पेट्रोल बम और पत्थर फेंके गए जिसके बाद पुलिस ने आंसू गैस के गोलों और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया। रैली के कारण दो मेट्रो स्टेशनों को बंद करना पड़ा। इससे हज़ारों यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
इससे पहले, सैंकड़ों प्रदर्शनकारियों ने महीनों से चल रहे लोकतांत्रिक सुधार अभियान के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने के मकसद से रविवार को ब्रिटेन के वाणिज्य दूतावास के बाहर रैली की। इस दौरान लोगों ने ब्रिटेन के ध्वज फहराए और ‘हांगकांग को बचाओ ब्रिटेन’ के नारे लगाए। प्रदर्शनकारी बैनर थामे हुए थे जिस पर लिखा था कि ‘एक देश, दो व्यवस्थाओं का दौर अब खत्म हो चुका है।’इस दौरान फोर्ट्रेस हिल में 100 पुलिस अधिकारी पहुंचे थे। जिनका प्रदर्शनकारियों ने एक गाने के माध्यम से मज़ाक उड़ाया गया। प्रदर्शनकारियों ने यह गाना विरोध के लिए बनाया है जिसे वह राष्ट्रगान का नाम भी दे रहे हैं। यूट्यूब पर इस विरोधी गाने का वीडियो लगभग 16 लाख लोगो द्वारा देखा गया है।
गौरतलब है कि हांगकांग अर्द्ध – स्वायत्त चीनी क्षेत्र है। हांगकांग पहले ब्रिटेन की कॉलोनी हुआ करता था, लेकिन 1997 में ब्रिटेन और चीन के बीच हुए समझौते के बाद से हांगकांग पर चीन का नियंत्रण है। प्रदर्शनकारियों ने उस समझौते का हवाला देते हुए ब्रिटेन से हांगकांग की स्वायत्तता सुनिश्चित करने की अपील की। प्रदर्शनकारियों ने इससे पहले एक सितंबर को भी ब्रिटेन के वाणिज्य दूतावास के बाहर रैली निकाली थी। इसके अलावा उसने पिछले सप्ताहांत में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास के बाहर भी रैली निकाली थी।
दरअसल चीन ने हांगकांग के लिए एक प्रत्यर्पण विधेयक पेश किया था। यह कानून हांगकांग के मुख्य कार्यकारी और अदालतों को उन देशों के प्रत्यर्पण अनुरोधों को प्रक्रिया में लाने की अनुमति देगा जिनके साथ पूर्व ब्रिटिश उपनिवेश का औपचारिक हस्तांतरण समझौता नहीं है। इसमें चीन, ताइवान और मकाओ शामिल हैं, जिन्हें बिना विधायी पर्यवेक्षण के हस्तांतरण की इजाजत होगी। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि चीन हांगकांग में अपना दखल बढ़ाने के लिये यह विधेयक लाया है। हालांकि हांगकांग सरकार ने इस महीने घोषणा की थी कि वह विधेयक को वापस ले लेगी, लेकिन प्रदर्शनकारी शहर में प्रत्यक्ष चुनाव कराने और पुलिस की जवाबदेही तय करने की मांग पर अड़े हुए हैं।