अप्रैल माह के मध्य से ही सूडान में सेना (रैपिड सपोर्ट फोर्स ) और अर्ध सेना (सूडानी सशस्त्र बल) के बीच छिड़ा गृहयुद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा है। जिसके कारण पूरे देश में आतंक का माहौल है। इस युद्ध ने अब तक सैकड़ों लोगों की जान ले ली है और सैकड़ों की संख्या में लोग घायल भी हुए हैं। सूडान की जनता अपने ही देश में डर – डर कर जी रही है।
लाखों की संख्या में लोग अपने पडोसी देशों की ओर पलायन कर चुके हैं। एक अनुमान के अनुसार पलायन करने वालों का आंकड़ा करीब 1 लाख 50 हज़ार तक पहुँच चुका है। लेकिन जो लोग अभी भी सूडान में हैं उनके ऊपर हर पल उनकी जान का खतरा मंडरा रहा है।इसी बीच सेना और अर्ध सेना बल ने 72 घंटे का युद्ध विराम घोषित कर सूडान के लोगों को एक राहत कुछ पल की राहत दी है। यह युद्ध विराम 18 जून को सुबह छह बजे शुरू हुआ था जो 21 जून तक चलेगा। इससे पहले एक बार और सूडान में 4 मई से 11 मई तक 7 दिनों का युद्ध विराम लगाया गया था। इस बार दोनों पक्षों की ओर से युद्ध विराम की सहमति बनने पर सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने ट्वीट करते हुए कहा था कि सूडानी सशस्त्र बल और रैपिड सपोर्ट फोर्स के प्रतिनिधि 18 जून से पूरे सूडान में 72 घंटे के युद्ध विराम के लिए सहमत हुए हैं। दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि युद्ध विराम के दौरान लोगों की आवाजाही जारी रहेगी। दोनों पक्ष पूरे देश में आवाजाही और मानवीय सहायता पहुंचाने की अनुमति देने पर भी सहमत हुए है। इस युद्ध विराम के दौरान देश में अत्यंत आवश्यक सहायता प्रदान कराइ जा रही हैं।
युद्ध से सहमी जनता
सेनाओं के बीच छिड़े युद्ध के कारण आम जनता की स्थिति खराब होती जा रही है। देश में लगातार हो रहे हमलों की वजह से लोग अपनी आधारभूत आवश्यकताओं को भी पूरा नहीं कर पा रहें हैं। इसका सबसे बुरा प्रभाव यहां की महिलाओं एवं बच्चों पर पड़ा है। महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न के मामलों में तेजी से उछाल आया है। हिंसा का खामियाजा बच्चों को भी भुगतना पड़ रहा है। गौरतलब है कि हमलों के कारण कई अस्पतालों को बंद कर दिया गया है। जो अस्पताल अभी सेवा प्रदान कर रहे हैं वे भी बंद होने के कगार पर हैं। जिसके कारण पड़ोसी देशों ने सीमाओं को भी बंद कर दिया है। ऐसे में मरने वालों की संख्या में बढ़ोतरी होती जा रही है। हमले में घायल हुए लोगों के साथ-साथ गर्भवती महिलाओं को भी उपचार मिलना मुश्किल हो रहा है।
बढ़ रहा भुखमरी का खतरा
हाल ही में हुई एक बैठक के दौरान संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने निन्दा कर कहा कि सेना और अर्द्धसेना बल ने अन्तरराष्ट्रीय क़ानून की धज्जियाँ उड़ा दी है। संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी वोल्कर टर्क ने बताया कि। आम जनता की हालत यह है कि आने वाले दिनों में भुखमरी रिकॉर्ड स्तर पर पहुँचने की सम्भावना है। बैठक के दौरान अन्य मानवाधिकार विशेषज्ञों ने भी आम लोगों द्वारा भुगते जा रहे मानवाधिकार हनन की कड़ी निन्दा की, जिनमें यौन- शोषण , लिंग आधारित हिंसा, भोजन, पानी व स्वास्थ्य संसाधनों की क़िल्लत शामिल हैं।
यौन शोषण के मामलों में वृद्धि
सूडान में यह युद्ध भले ही सेनाओं के बीच चल रहा है लेकिन इसका नकारात्मक प्रभाव आम जनता को भी झेलना पड़ रहा है। जिसका सबसे अधिक प्रभाव महिलाओं पर देखने को मिल रहा है। ऐसा पहली बार नहीं है कि किसी युद्ध में महिलाओं के साथ होने वाले यौन हिंसा के मामलों में तेजी से उछाल आया हो। हर युद्ध में महिलाओं का यही हाल होता है। फिर चाहे वो देश के भीतर का युद्ध हो या किसी अन्य देश के साथ। आज तक की एक रिपोर्ट के अनुसार सूडान की राजधानी खार्तूम से एक महिला अपनी बच्ची के साथ सुरक्षा की तलाश में भाग रही थी। तभी उसे अर्धसैनिक बल के एक अधिकारी ने पकड़ लिया और उसके सीने पर राइफल रख दी। इसके बाद एक पैरामिलिट्री फाइटर ने उसके साथ बलात्कार किया। जब महिला भाग रही थी तो उस समय उनके साथ उनकी छोटी बहन और दो अन्य महिलाएं भी थी जिनका बलात्कार किया गया। काफी कोशिशों के बाद सैनिकों ने उन्हें जाने दिया जिसके बाद वह उनके चंगुल से अपनी जान बचाकर भाग पाई। इसी प्रकार अन्य महिलाओं को भी यौन हिंसा का शिकार होना पड़ रहा है।
क्यों छिड़ा गृहयुद्ध ?
सूडान में 40 हजार स्थानों पर सोने का खनन होता है। देश के 13 प्रांतों में सोने का शोधन करने वाली 60 कंपनियां हैं। साल 2017 में इन खद्दानों पर अर्धसैनिक बल आरएसएफ मिलीशिया ने कब्जा कर लिया। जनरल मोहम्मद हमदान दगालो वर्तमान में सूडान के इसी अर्ध सेना बल (आरएसफ) के प्रमुख हैं। सूडान में अक्टूबर 2021 में नागरिकों और सेना की संयुक्त सरकार का तख्तापलट हुआ था। जिसके बाद सूडान की सत्ता दो प्रमुख लोगों आरएसफ के मुखिया मोहम्मद हमदान दगालो और सेना प्रमुख अब्देल फतह अल बुरहान में बंट गई। बीते वर्ष अक्टूबर 2022 में दोनों ही सेनाओं ने सहमति बनाते हुए एक नागरिक सरकार के गठन करने की योजना बनाई। जिसमें यह तय किया गया कि सोने का सारा उत्पादन चुनी हुई सरकार को हस्तांतरित कर दिया जाएगा। लेकिन जनरल मोहम्मद हमदान दगालो की बढ़ती ताक़त को देखते हुए सैन्य शासक जनरल अल बुरहान के करीबी लोगों ने अर्धसैनिक बल की गतिविधियों को अपने नियंत्रण में लेने की कोशिश शुरू कर दी। सेना का कहना है कि अर्धसैनिक बल सेना के अंतर्गत ही आता है इसलिए उसे सेना में शामिल कर लेना चाहिए। जिसके कारण सेना के खिलाफ जनरल दगालो का गुस्सा भड़क उठा और आरएसफ ने 15 अप्रैल 2023 को सेना के शिविरों पर हमला करना शुरू कर दिया। तब से यह मामला थम नहीं पाया है। हिंसा इतनी बढ़ गई है कि लोगों की बुनियादी जरूरतें भी पूरी नहीं हो पा रही हैं।
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