पाकिस्तान की जनता लगातार बढ़ती मेहगाई की मार झेल रही है। आलम यह है कि पडोशी देश की आवाम महीने के वेतन समान ही बिजली का बिल दे रही है। जिसके खिलाफ देशभर में व्यापक स्तर पर विरोध प्रदर्शन किये जा रहे हैं। बिजली कीमतों में बढ़ोतरी से आम जन की परेशानियां निरंतर बढ़ती जा रही है। विरोध प्रदर्शन ने सरकार को 48 घंटे के अंदर कोई रास्ता निकाले जाने के लिए मजबूर कर दिया । जिससे अंतरिम प्रधानमंत्री अनवार उल हक काकर को आपातकालीन बैठक बुलानी पड़ी।
पाकिस्तान की हालत लगातार खस्ता होती जा रही है। दरअसल अगस्त की शुरुआत में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में बिजली के बढ़े हुए दामों के खिलाफ विरोध शुरू हुआ था। लेकिन अब यह विरोध पूरे देश में आग की तरह फेल गया है। हजारों लोग विरोध करने के लिए सड़कों पर उतर आये। कई स्थानों पर इन प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया वहीं । पीओके में मस्जिद के लाउडस्पीकरों पर लोगों से बिलों का भुगतान न करने की अपील की जा रही जा रही है ।
पडोशी देश आर्थिक तंगी से लम्बे समय से जूझ रहा है। जिससे वह किसी न किसी देश से वित्तीय सहायता की मांग करता रहता है। पाकिस्तान की मुसीबत तब बढ़ी जब उसने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से वित्तीय सहायता ली। आईएमएफ द्वारा तीन अरब डॉलर के वित्तीय सहायता पैकेज को मंजूरी देते समय लगाई गई कड़ी शर्तों के कारण पाकिस्तान कमरतोड़ महंगाई की चपेट में है।
इसी के परिणाम स्वरूप बिजली की कीमतों में बढ़ोतरी होने से जनता परेशान हो कर सड़कों पर उतरने को मजबूर हो गई हैं। पाकिस्तान के हर कोने में विरोध प्रदर्शन हो रहे है। पीओके के लोगों की शिकायत है कि उनके इलाके में चार हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है, लेकिन फिर भी उन्हें कोई राहत नहीं मिल रही है। खबरों के अनुसार यहां के लोग बिजली कटौती की भी शिकायत कर रहे हैं।गौरतलब है कि यह विरोध तीन अगस्त को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में शुरू हुआ। जो अब कराची से लेकर खैबर तक पहुंच गया है। लोगों ने सोशल मीडिया पर शिकायत की कि बिजली के बिल अब उनकी मासिक आय का 20 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक खत्म कर रहे हैं। कराची में लोगों द्वारा शिकायत की गई है कि उन्हें जो बिल भेजे जा रहे हैं, वे उनके वेतन से अधिक हैं।
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