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‘देशभक्त विधायकों’ ने ली हांगकांग में शपथ

चीन की हांगकांग को लेकर धीरे- धीरे मंशाएं पूरी होती नजर आ रही हैं। 3 जनवरी, सोमवार को यहां नई प्रतिनिधि सभा में ‘सिर्फ देशभक्त’ विधायकों ने शपथ ली। हाल ही में हुए निर्वाचन में लोकतंत्र समर्थकों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।

हांग कांग की नई ‘सिर्फ देशभक्त’ प्रतिनिधि सभा में विधायकों ने सोमवार को निष्ठा की शपथ ली। हांग कांग की लोकतांत्रिक विपक्ष की परंपरा को खत्म करने वाली नई निर्वाचन प्रक्रिया लागू होने के बाद यह प्रतिनिधि सभा की पहली बैठक थी।

हांग कांग के नई सियासी हकीकत दर्शाने वाले प्रतीकों से लदे इस आयोजन में 90 विधायकों ने शपथ ली। साथ ही, विधायिका के हॉल में शहर के परंपरागत प्रतीक को चीन के प्रतीक से बदल दिया गया। यह शपथ-ग्रहण समारोह शहर के प्रमुख कैरी लैम की देखरेख में आयोजित किया गया।

कैरी लैम का प्रशासन एक वक्त में प्रबल विपक्ष के निशाने पर रहता था, लेकिन अब उन्हें इसका सामना नहीं करना पड़ेगा। नई विधायिका में उनके तमाम वफादारों को जगह मिली है, जो अगले चार बरसों तक इन कुर्सियों पर बने रह सकते हैं।

लोकतंत्र की मांग वाले प्रदर्शनों से शुरुआत

दुनिया के सबसे बड़े व्यापारिक केंद्रों में से एक हांग कांग में साल 2019 में लोकतंत्र समर्थक विरोध प्रदर्शनों की एक बाढ़ सी आई थी। ये प्रदर्शन बीच-बीच में हिंसक भी हुए, जिसके बाद चीन ने अपने निरंकुश तरीके से हांग कांग की राजनीतिक सूरत बदल दी।

हांग कांग में सरकारी दमन के कारण लगातार लोकतांत्रिक अखबार बंद हो रहे हैं

नए लागू हुए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून में मतभेद और विरोध को अपराध करार दिया गया है. साथ ही, ऐसे कानून भी लागू किए गए, जिनके तहत गैर-देशभक्त या देशद्रोही समझे जाने पर किसी भी प्रतिनिधि को बेदखल किया जा सकता है। इन नए कानूनों के तहत पिछले महीने नई विधायिका के लिए चुनाव आयोजित कराए गए थे।

नए कानून लागू होने के नतीजे

इन चुनावों में सभी उम्मीदवारों की राजनीतिक निष्ठा परखी गई थी और 90 में से सिर्फ 20 सीटों के लिए ही सीधे चुनाव हुए थे। बाकी बची सीटों पर उम्मीदवारों को चीन समर्थक समितियों द्वारा चुना गया था। नतीजतन एक ऐसी विधायिका अस्तित्व में आई है, जिसे लेकर प्रशासन का मानना है कि यह देशभक्तों से भरी हुई है और चीन-विरोधी तत्वों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।

इन 90 में से महज एक विधायक पुनरीक्षण प्रक्रिया से गुजरकर विधान सभा में पहुंचे हैं, जिनकी पहचान ‘नॉन-एस्टैबलिश्मेंट’ के तौर पर की गई है। हालांकि, तिक ची-यूएन हांग कांग के लोकतंत्र-समर्थक खेमे से नहीं आते हैं। हांग कांग में लोकतंत्र की वकालत करनेवाले ज्यादातर कार्यकर्ता चीनी हुकूमत का डंडा चलने के बाद से या तो जेल में हैं, देश छोड़कर बाहर चले गए हैं या फिर उन्होंने राजनीति छोड़ दी है।

सोमवार को हुआ समारोह बिना किसी अप्रिय घटना के पूरा हो गया। यहां माहौल 2016 के समारोह से बिल्कुल उलट था, जब 6 लोकतंत्र-समर्थक विधायकों ने शपथ-ग्रहण के दौरान नारे लगाए थे और बैनर लहराए थे। इन सभी विधायकों को बाद में या तो अयोग्य घोषित कर दिया गया था या पद से हटा दिया गया था।

निरंकुश चीन ने हांग कांग के इस नए शासन को स्थिरता की वापसी के तौर पर पेश किया है और कहा है कि बहुलवाद को अभी भी स्वीकार किया जा रहा है। हालांकि, पश्चिमी देशों समेत कई आलोचकों का कहना है कि चीन ने 1997 में ब्रिटेन से हांग कांग मिलते समय इसकी स्वायत्तता और अधिकारों को बरकरार रखने का जो वादा किया था, उससे अब पल्ला झाड़ लिया है।

हांग कांग में चीन का समर्थन करने वाली सबसे बड़ी पार्टी डीएबी के प्रमुख और विधायक स्टैरी ली ने चीनी हुकूमत का शुक्रिया अदा करते हुए कहा है, “इससे हांग कांग पटरी पर लौट आया है, जिससे स्थिरता वापस आएगी।” ली ने कहा, “हांग कांग के एक नए दौर में प्रवेश करने की वजह से मैं बहुत उत्साहित हूं। अब हम राजनीतिक गतिरोधों से मुक्त हो सकते हैं और बेहतर प्रशासन के लिए कंधे से कंधा मिला सकते हैं।”

पिछले सप्ताह 90 में से 89 विधायकों ने एक साझा बयान जारी कर लोकतंत्र-समर्थक न्यूज वेबसाइट स्टैंड न्यूज पर राष्ट्रीय सुरक्षा पुलिस के छापों और गिरफ्तारियों का समर्थन किया था। तिक ची-यूएन इकलौते विधायक थे, जिन्होंने इस बयान पर दस्तखत नहीं किए थे।

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