एक कहावत है कि ‘जैसा बोओगे, वैसा काटोगे’। आतंकवाद को अपने संरक्षण में पाल-पोसकर पाक ने भारत के खिलाफ जो नापाक जाल बुना उसमें वह आज खुद ही फंस चुका है। फंसा भी इस कदर कि कहीं से भी कोई उसके साथ खड़ा नहीं दिखाई दे रहा है। यहां तक कि पाकिस्तान के परंपरागत दोस्त माने जाने वाले देश भी उसके साथ नहीं हैं। पुलवामा हमले के बाद भारत ने आतंकवादी ठिकानों को ध्वस्त किया तो पाकिस्तान के अलावा दुनिया के किसी भी देश ने इसे गलत नहीं ठहराया।
पाकिस्तान की छत्रछाया में पल रहे आतंकवाद से त्रस्त ईरान और अफगानिस्तान जैसे देश तो पहले ही इस पक्ष में थे कि भारत कोई करारा जवाब दे। अब आतंकी ठिकानों पर भारत ने जो ठोस कार्रवाई की उसके बाद ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस के बाद अमेरिका भी भारत के पक्ष में खड़ा दिखाई दे रहा है। इस बीच अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने पाकिस्तान से कहा है कि वह अपनी जमीन से संचालित हो रहे आतंकी ठिकानों को खत्म करे। पॉम्पियो का कहना है कि सिर्फ ऐसा करने पर ही दोनों देशों के बीच तनाव कम हो पाएगा। इससे साफ है कि पॉम्पियो मानते हैं कि तनाव की मूल वजह आतंकवाद ही है। उन्होंने पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी से बात की और उनसे किसी भी सैन्य कार्रवाई से बचते हुए वर्तमान तनाव को कम करने की प्राथमिकता पर ध्यान देने को कहा। साथ ही यह भी कहा, ‘भारत की तरफ से 26 फरवरी को की गई आतंक विरोधी कार्रवाई के बाद मैंने भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से बात की। उनसे सुरक्षा, सहयोग और क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लक्ष्य पर जोर देने को कहा। मैंने दोनों देशों के मंत्रियों से कहा है कि हम दोनों देशों के बीच शांति चाहते हैं। टकराव को किसी भी कीमत पर टाला जाना चाहिए। हम चाहते हैं कि दोनों देश सीधे संवाद को प्राथमिकता दें और किसी भी सैन्य कार्रवाई को नजरअंदाज करें।’ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप भी पुलवामा आतंकी हमले को ‘खौफनाक हालात’ बता चुके हैं।
अमेरिका से पहले ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस ने भी कहा कि पाकिस्तान को अपने देश में आतंकी गतिविधियों को खत्म करना चाहिए। फ्रांस ने दो टूक कहा कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की कार्रवाई जायज है। अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उसे ऐसा करना ही था। फ्रांस ने पाकिस्तान से कहा कि वह अपनी सीमा में आतंकी ऑपरेशनों पर लगाम लगाए। फ्रांस आतंक के खिलाफ लड़ाई में हर तरह से भारत का समर्थन कर रहा है। इसके साथ ही वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट करने में भी भारत की मदद कर रहा है।
इसी तरह ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मैरिस पाइन ने कहा कि पाकिस्तान को अपनी भूमि पर सक्रिय आतंकी संगठनों के खिलाफ तुरंत सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले के बाद ऑस्ट्रेलिया की सरकार भारत-पाक के बीच संबंधों को लेकर चिंतित है। ऑस्ट्रेलिया ने इस हमले की निंदा की थी।’
इजराइल ने भी भारत को आतंकवाद के खिलाफ बिना शर्त मदद की पेशकश की है। यही नहीं इजराइल ने कहा कि इसमें भारत को सहायता देने में उसकी कोई सीमा नहीं है। जरूरत पड़ी तो युद्ध में भी साथ खड़ा रहेगा। पाकिस्तान के लिए कूटनीतिक मोर्चे पर सबसे बड़ा झटका सऊदी अरब और चीन से लगा। शायद उसे उम्मीद ही नहीं रही होगी कि सऊदी अरब भारत में भी निवेश का उत्साह दिखाएगा। इस बीच पाकिस्तान के परंपरागत दोस्त समझे जाते रहे चीन ने भी कह दिया है कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करे। पुलवामा अटैक के बाद जहां भारत-पाक के बीच तनाव बढ़ गया है, वहीं संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने नई दिल्ली और इस्लामाबाद से अपील की है कि दोनों देश अत्यधिक संयम से काम लें और तनाव कम करने के लिए तत्काल कदम उठाएं। इससे पहले गुतारेस ने आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की थी। आतंकवादी हमले पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा था, ‘हम घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं और हमला करने वालों को न्याय के दायरे में लाए जाने का आह्नान करते हैं।’
पाकिस्तान को अहसास हो जाना चाहिए कि चीन भी उसकी हरकत का समर्थन नहीं कर रहा है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि हमारे बीच सभी तरह के आतंकवाद के खिलाफ नीतिगत समन्वय और व्यवहारिक सहयोग के आधार पर साथ मिलकर काम करने की सहमति बनी है। खासतौर पर जहां आतंकवाद और चरमपंथ पनप रहा है, उन्हें खत्म करना बेहद जरूरी है।