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इमरजेंसी की ओर पाकिस्तान

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद से ही पूरे देश में बवाल मचा हुआ है। पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने जगह- जगह आगजनी और तोड़फोड़ करना शुरू कर दिया है। पाकिस्तानी सेना के दफ्तर भी सुरक्षित नहीं रह गए हैं। ऐसे में इमरजेंसी के हालात बनते जा रहे हैं। सवाल है कि क्या अब पाकिस्तान में इमरजेंसी लागू होने वाली है? क्या स्थिति को नियंत्रण में लेने के लिए सेना अपने हाथ में कमान लेगी?

पड़ोसी देश पाकिस्तान एक ओर जहां राजनीतिक, आर्थिक तंगी, महंगाई और भुखमरी के चलते दिवालिया होने की कगार पर है तो वहीं दूसरी तरफ पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद देशभर में पीटीआई कार्यकर्ता सड़कों पर उतरकर तोड़-फोड़ कर रहे हैं। इस मामले के कारण देश में धारा 144 लागू कर दी गई है। प्रदर्शनकारियों को देखते ही गोली मारने का आदेश दिया गया है। विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी और सेना ने एक बयान में इसके संकेत दे दिए हैं। कहा जा रहा है कि देश में मार्शल लॉ या आपातकाल जैसी स्थिति होने की जो बात विदेश मंत्री ने कही है उसके बाद कहा जा रहा है कि पाकिस्तान में मार्शल लॉ लग सकता है। दरअसल राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) ने इमरान खान को गिरफ्तार किया, जिसका पाकिस्तानी सेना से कोई संबंध नहीं है। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष को अल कादिर ट्रस्ट मामले में जवाबदेही पहरेदार की जांच के हिस्से के रूप में गिरफ्तार किया गया है, जो उनके खिलाफ दर्ज कई एफआईआर में जमानत लेने के लिए आईएचसी के समक्ष उनकी उपस्थिति से पहले था। उनकी गिरफ्तारी के बाद देश के विभिन्न शहरों में विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए हैं।

क्या है अल कादिर ट्रस्ट का मामला
इमरान खान पर करीब 140 से ज्यादा मामले चल रहे हैं। लंबे समय से वे तोशखाना मामले में फंसे हुए हैं। इस मामले में भी उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही थी। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर तोशखाना मामले में इमरान की गिरफ्तारी नहीं हुई है तो वह क्या मामला है, जिसमें इमरान इतने बुरे फंस गए? दरअसल, यह मामला अल कादिर ट्रस्ट विश्वविद्यालय से जुड़ा है। एनएबी ने पिछले दिनों इमरान खान, उनकी पत्नी बुशरा बीवी और उनकी पार्टी पीटीआई से जुड़े कई नेताओं के खिलाफ केस दर्ज किया था। जिसमें इमरान ने प्रधानमंत्री रहते अपनी पत्नी बुशरा बीबी और पीटीआई के कुछ नेताओं के साथ मिलकर अल कादिर यूनिवर्सिटी प्रोजेक्ट ट्रस्ट का गठन किया था। इसका उद्देश्य पंजाब के सोहावा जिला झेलम में ‘गुणवत्तापूर्ण शिक्षा’ प्रदान करने हेतु विश्वविद्यालय स्थापित करना था। ट्रस्ट के कार्यालय के पते का उल्लेख ‘बनी गाला हाउस, इस्लामाबाद’ के रूप में किया गया है। इस विश्वविद्यालय के लिए इमरान और उनकी पत्नी ने एक रेशिडेंशियल कॉम्प्लेक्स की जमीन गैरकानूनी तरीके से हड़प ली। इसके लिए दोनों ने पाकिस्तान के सबसे अमीर शख्सियत मलिक रियाज को धमकी भी दी थी। इमरान की पत्नी बुशरा बीबी की ओर से पांच कैरेट के हीरे की अंगूठी मांगे जाने की बात भी सामने आई थी। इसके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री, उनकी पत्नी बुशरा बीबी और अन्य पीटीआई नेताओं पर राष्ट्रीय खजाने को 190 मिलियन पाउंड का नुकसान पहुंचाने का भी आरोप लगा है।

क्या होता है मार्शल लॉ

अगर किसी देश में मार्शल लॉ लागू होता है तो देश का नियंत्रण पूरी तरह से सेना के हाथों में दे दिया जाएगा और सेना ही देश चलाएगी। हालांकि यह जरूरी नहीं होता कि यह कानून पूरे देश में ही लागू किया जाए मुल्क के एक हिस्से में भी इसे लागू किया जा सकता है। यही वजह है कि इसे सैनिक कानून भी कहते हैं, पर ऐसा विशेष परिस्थितियों में ही किया जाता है। सेना द्वारा देश पर नियंत्रण होने के बाद देश के नेताओं की गिरफ्तारी की संभावना बढ़ भी जाती है। अधिकतर युद्ध या नागरिक अशांति और प्राकृतिक आपदाओं जैसी आपात स्थितियों में मार्शल लॉ घोषित किया जाता है। आपको बता दें कि सैन्य तख्तापलट के मामलों में मार्शल लॉ घोषित किया जा सकता है। वैसे मार्शल लॉ तो एक ही होता है, लेकिन एक से दूसरे में इसे लागू करने के तरीके बदले जा सकते हैं। जैसे इसके जुड़े हुए कर्फ्यू के नियम अलग हो सकते हैं। मार्शल लॉॅ लागू होने के बाद वहां लोग घूम सकेंगे या नहीं, यह भी सेना तय करती है।

पाकिस्तान में कितनी बार लागू हुआ है मार्शल लॉ

पाकिस्तान में अब तक 4 बार मार्शल लॉ लागू किया जा चुका है। पहली बार इसे 1958 में लागू किया गया था। इस दौरान वरिष्ठ राजनेताओं, नागरिकों और पत्रकारों की हत्या भी हुई थी और पाकिस्तान आर्मी के रावलपिंडी डिवीजन ने संविधान के नियमों के विरुद्ध गैरकानूनी तरीके से इसे लागू किया था। पाकिस्तान में मार्शल लॉ की चार अवधियां लागू की गई हैं, पहली 1947 में पाकिस्तान की आजादी के बाद और फिर राष्ट्रपति अयूब खान ने साल 1958 में मार्शल लॉ की दूसरी अवधि लागू की थी। इसके बाद राष्ट्रपति जिया-उल-हक ने साल 1977 में मार्शल लॉ की तीसरी अवधि लागू किया था। गौरतलब है कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पीटीआई के अध्यक्ष इमरान खान को अल- कादिर ट्रस्ट मामले में गिरफ्तार किया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इमरान खान पर आरोप है कि उन्होंने बतौर प्रधानमंत्री अल-कादिर यूनिवर्सिटी को अवैध तरीके से करोड़ों रुपए की जमीन दी थी।

पाकिस्तान की सबसे अमीर शख्सियत में से एक मलिक रियाज ने मामले का खुलासा करते हुए आरोप लगाया था कि इमरान और उनकी पत्नी ने उन्हें गिरफ्तारी का डर दिखाकर अरबों रुपए की जमीन अपने नाम करा ली। आपको बता दें कि अल-कादिर यूनिवर्सिटी में इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा ही ट्रस्टी हैं। इमरान के ऊपर कई केस दर्ज हैं। इमरान खान की गिरफ्तारी से पहले उनका एक वीडियो सामने आया था। जिसमें इमरान ने कहा, ‘मेरे खिलाफ कोई केस नहीं है। वो मुझे जेल में डालना चाहते हैं। मैं इसके लिए तैयार हूं।’ हालांकि पाकिस्तानी सेना ने इन आरोपों को खारिज किया था। इमरान ने इसके बाद एक वीडियो जारी कर फिर से यही आरोप लगाए और इस वीडियो के जारी होने के चार घंटे बाद इमरान को कोर्ट के बाहर से गिरफ्तार कर लिया गया।

पीटीआई के नेता करवा रहे हिंसा
सेना ने कहा कि पीटीआई के कुछ नेता लगातार लोगों को हिंसा के लिए उकसा रहे हैं। ‘इस तरह के कृत्य को किसी भी मामले में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है और कानून के अनुसार निपटा जाएगा।’

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