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  •      प्रियंका यादव

कंगाली की कगार पर खड़े पाकिस्तान के लिए मुश्किलों का दौर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। आईएमएफ ने शहबाज सरकार के सामने कुछ शर्तें रख दी हैं जिन्हें मानना उनके लिए मुश्किल हो रहा है

 

भारी आर्थिक संकट से जूझ रही पाकिस्तान सरकार अब बीच मझधार में फंसती नजर आ रही है। कंगाली की मार झेल रही शहबाज सरकार को फिलहाल आर्थिक मदद की सख्त जरूरत है जिसके लिए उसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के सामने हाथ फैलाने की जरूरत है। लेकिन आईएमएफ ने कुछ शर्तें रख दिए हैं जिसे मानने पर पाकिस्तानी सरकार को आगामी चुनाव में करारा झटका लग सकता है।
दरअसल, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने पाकिस्तान के सामने सात शर्तें रख दी हैं जिसे मानने से पाकिस्तानी सरकार आनाकानी कर रही है, क्योंकि अगर वह आईएमएफ की इन शर्तों को मानती है तो चुनाव में जनता रूठ सकती है। ऐसे में सवाल है कि आखिर आईएमएफ ने क्या शर्तें रख दी हैं जिसे पाकिस्तान सरकार मानने से पीछे हट रही है। दरअसल, आईएमएफ ने बिजली सब्सिडी वापस लेना, गैस की कीमतों को अंतरराष्ट्रीय बाजार से जोड़ना और फ्री-फ्लोटिंग डॉलर जैसी शर्तें पाकिस्तान के सामने रख दिए हैं जिसे मानने पर शहबाज सरकार को सियासी मोर्चे पर झटका लग सकता है।

आईएमएफ की शर्तें मानने पर महंगाई बढ़नी तय
सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) (पीएमएल-एन) को डर है कि इनमें से कुछ मांगों को लागू करने से सभी आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाएंगी। पाकिस्तानी सरकार चुनाव के इतने करीब इस तरह के रिस्क लेने से बचना चाहेगी। पाकिस्तान में अगस्त के बाद आम चुनाव होने हैं। हालांकि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष और पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान मध्यावधि चुनाव की मांग कर रहे हैं।

गौरतलब है कि मौजूदा समय में पाकिस्तान विदेशी मुद्रा भंडार, खाद्य संकट, बिजली संकट समेत कई संकटों से जूझ रहा है। उसका विदेशी मुद्रा भंडार गिरता जा रहा है। केंद्रीय बैंक का विदेशी मुद्रा भंडार निचले स्तर पहुंच गया है। केंद्रीय बैंक के पास कुल 4.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर ही बचे हैं, जो कि मुश्किल से 3 सप्ताह के आयात के लिए ही हो पाएगा। पाकिस्तान में पहले से ही महंगाई की दर 25 प्रतिशत को पार कर चुकी है। ऐसे में अगर सप्लाई चेन में रुकावट आती है तो हालात और भी गंभीर हो सकते हैं। वहीं आईएमएफ द्वारा भी पाकिस्तान को कर्ज देने के मामले में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी जा रही है।

पाकिस्तान को 1.1 अरब डॉलर के दो कर्जे की मंजूरी देने वाले विश्व बैंक ने अगले वित्त वर्ष तक के लिए टाल दी है। इसके अलावा वाशिंगटन मुख्यालय वाली संस्था ने आयात पर बाढ़ शुल्क लगाने का भी विरोध किया है, जिससे पहले से ही 32 अरब डॉलर की वार्षिक योजना में नया रोड़ा खड़ा हो गया है। इस आर्थिक तंगी के चलते कई पाकिस्तानी इंडस्ट्रीज को अस्थाई रुप से बंद कर दिया गया। बेको स्टील लिमिटेड ने स्ब्े के लैटरस में मंजूरी में देरी होने के चलते उत्पादन बंद कर दिया है। इंपोर्ट पॉलिसी ऑर्डर 2022 के तहत गैर-आवश्यक आयात वस्तुओं की सूची से न केवल यह उद्योग बल्कि लगभग 100 तरह के अन्य व्यवसाय भी प्रभावित हुए हैं। इसी बीच शिपिंग एजेंट्स ने पाकिस्तान को यह चेतावनी दी है कि विदेशी शिपिंग कंपनियां उसके लिए अपनी सर्विस बंद करने पर विचार कर रही हैं। इससे देश में सभी निर्यात ठप हो सकते हैं। दरअसल द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के बंदरगाहों पर आठ हजार पांच सौ कंटेनर्स पड़े हुए हैं। पेमेंट न मिलने की वजह से शिपिंग कंपनियां यह चेतावनी दे रही हैं। देश आर्थिक तंगी की तगड़ी समस्यों से जूझ रहा है। शिपिंग कंपनियों के मुताबिक बैंकों में डॉलर की कमी होने के कारण बैंकों द्वारा माल ढुलाई शुल्क देने से रोक दिया गया है। पाकिस्तान शिप एजेंट एसोसिएशन के चेयरमैन अब्दुल रऊफ ने इसे लेकर वित्त मंत्री इशाक डार को पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने कहा कि सर्विस में कोई रुकावट देश में अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए समस्याएं पैदा कर सकता है।

राजनीति और बिजली संकट
आर्थिक तंगी से घिरे देश में राजनीतिक उथल-पुथल भी मची हुई है। दरअसल पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को तगड़ा झटका लगा हुआ है। इमरान खान सरकार में मंत्री रह चुके पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के नेता फवाद चौधरी को पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया है। फवाद चौधरी समेत कई पीटीआई नेताओं पर चुनाव आयोग ने धमकी देने का आरोप का आरोप लगाया था। इससे पहले फवाद चौधरी ने वर्तमान सरकार पर इमरान खान की गिरफ्तारी की साजिश रचने का आरोप भी लगाया था। जिसके बाद चुनाव आयोग ने अवमानना के मामले में पीटीआई अध्यक्ष इमरान खान, फवाद चौधरी और असद उमर के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था। पीटीआई नेताओं ने आयोग के सामने पेशी से छूट मांगी थी, लेकिन आयोग ने इस मांग को खारिज करते हुए 50,000 रुपये के जमानती बॉन्ड के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया। इस वजह से अंदेशा लगाया जा रहा है कि मंत्री की गिरफ्तारी के बाद इमरान खान को भी गिरफ्तार किया जा सकता है। हालांकि इनके समर्थन में बड़ी संख्या में भीड़ खड़ी हइुई है।

राजनीतिक उथल-पुथल के अतिरिक्त पाकिस्तान में टेक्नोलॉजी और बिजली संकट भी एक मसला बना हुआ है। इस देश के हालात ऐसे हैं कि स्मार्ट फोन से दूरी बढ़ती जा रही है। गौरतलब है कि पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान एक सस्ते मोबाइल फोन का मार्केट रहा है। लेकिन अब इस देश के नागरिक पैसे न होने की वजह से सस्ते स्मार्टफोन भी खरीद नहीं पा रहे। जिस वजह से बीते एक साल में देश में स्मार्टफोन का आयात 69.1 फीसदी कम हो गया है। यह दावा पाकिस्तान के हितैशी माने जाने वाले चीन की एक न्यूज एजेंसी ग्पदीनं की रिपोर्ट में किया गया है। पाकिस्तान में स्मार्ट फोन नहीं बनाए जाते वह इनके लिए चीन पर निर्भर रहता है। जिन लोगों के पास पहले से स्मार्ट फोन मौजूद है उनके सिग्नल भी ठप हो गए हैं। इस वजह से वह भी स्मार्टफोन पर कॉलिंग, मैसेजिंग और इंटरनेट नहीं चला पा रहे हैं। पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टैटिक्स (पीबीएस) के आंकड़ों के मुताबिक बीते वर्ष जुलाई से दिसंबर के दौरान पाकिस्तान में 362.86 मिलियन डॉलर के मोबाइल आयात किए गए थे। जो इसी दौरान वित्त वर्ष 2021-21 में पाकिस्तान में 1,090 मिलियन डॉलर के मोबाइल फोन का आयात किया गया था। ऐसे में स्मार्टफोन आयात में 66.73 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है।

अगर इस देश के आर्थिक हालात ठीक नहीं रहे तो आने वाले दिनों में स्मार्ट फोन पाकिस्तान के लिए महज खिलौना बन कर रह जाएंगे। इसकी एक वजह यह भी मानी जा रही है कि पाकिस्तान के कई इलाकों में 24 से 48 घंटों तक बिजली नहीं आ रही है, जिस वजह से मोबाइल टावर नहीं चल पा रहे हैं।

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