पाकिस्तान की लंबे समय से आर्थिक हालात खस्ताहाल है। हालत ये हो गई है कि अब उसे अपना पिछला कर्ज चुकाने के लिए नया कर्ज लेना पड़ा रहा है। एक के बाद एक कर्ज के सहारे देश चला रही पाकिस्तान सरकार कर्ज के नीचे दब गई है। इतना ही नहीं सरकार हर साल ये प्लान बनाती है कि आखिर इस साल किस देश से कर्ज लिया जाए और कितना कर्ज लिया जाए। कर्ज के इस खेल में पाकिस्तान एक बार फिर चीन से कर्ज लिया है और इस कर्ज से वो कोई प्रोजेक्ट नहीं शुरू करेगा बल्कि सउदी अरब से लिए अपने कर्ज को चुकाएगा।
दरअसल, आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को अपना कर्ज चुकाने के लिए दोबारा कर्ज लेना पड़ रहा है। इस बार फिर पाकिस्तान की मदद चीन ही कर रहा है। इससे पहले सउदी अरब ने पाकिस्तान को कर्ज दिया था और पाकिस्तान को दिसंबर में सउदी अरब को अपना कर्ज चुकाना था, इसके लिए अब पाकिस्तान ने चीन से मदद मांगी है।
पाकिस्तान ने एक बार फिर चीन से कर्ज लेकर सऊदी अरब का लोन चुकाया है। इमरान खान सरकार ने चीन से एक अरब डॉलर उधार देने की गुहार लगाई थी। इस पैसे से सऊदी अरब के कर्ज की दूसरी किस्त चुकाई गई है। तीसरी और आखिरी किस्त जनवरी में चुकाई जानी है। माना जा रहा है कि इसके लिए भी चीन ही पैसा देगा।
पिछले साल जब पाकिस्तान दिवालिया होने की कगार पर था तब सऊदी अरब ने कुल 6.2 अरब देकर उसे बचाया था। इसमें से 3 अरब डॉलर कैश लोन था। बाकी 3.2 अरब डॉलर ऑयल क्रेडिट फेसेलिटी के तौर पर दिए गए थे।
पाकिस्तान के अखबार ‘द डॉन’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान की इमरान खान सरकार चीन से 2 अरब डॉलर लेकर सऊदी अरब को दो किस्तें दे चुकी है। अब तीसरी किस्त जनवरी में चुकाई जानी है। इसको लेकर भी इमरान सरकार बेहद दबाव में है। इसकी वजह यह है कि उसके पास यह लोन चुकाने के लिए पैसा नहीं है और ऐसे में फिर चीन से उधार मांगना पड़ेगा।
यह भी पढ़ें : कर्ज उतारने के लिए पाकिस्तान ने दी बेजुबान पक्षियों के शिकार की अनुमति
अखबार की रिपोर्ट कहती है कि सऊदी अरब कर्ज चुकाने के लिए जिस तरह का दबाव पाकिस्तान पर बना रहा है, वैसा अमूमन वो कभी और किसी देश के साथ नहीं करता। और अकेला सऊदी ही क्यों, संयुक्त अरब अमीरात यानी यूएई भी पाकिस्तान पर तेजी से शिकंजा कस रहा है। इमरान सरकार सिर्फ कर्ज चुकाकर राहत नहीं पा सकती। जानकार पूछ रहे हैं कि 3.2 अरब डॉलर की उस ऑयल क्रेडिट का क्या होगा जिसके जरिए पाकिस्तान सरकार को सऊदी से उधार में तेल खरीदना है। अगर सऊदी ने यह ऑयल क्रेडिट बंद कर दी तो पाकिस्तान में हाहाकार मच जाएगा क्योंकि उसके पास तेल नकद में खरीदने के लिए पैसा नहीं है।
पाकिस्तान की फॉरेन मिनिस्ट्री के एक अफसर ने इन सवालों का एक ही जवाब दिया। कहा- चीन हमें मुसीबत से निकालेगा। फाइनेंस मिनिस्ट्री के एक अफसर ने कहा- चीन के कमर्शियल बैंकों से हमारी बातचीत चल रही है। कुछ खबरों में कहा गया है कि पाकिस्तान को सऊदी ने यह कर्ज अक्टूबर 2018 में दिया था। कुछ रिपोट्स बताती हैं कि यह लोन 2019 जनवरी में दिया गया था।
सऊदी अरब ने जब पाकिस्तान से कर्ज लौटाने को कहा तो पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल बाजवा फौरन रियाद पहुंचे। वहां के अफसरों से बातचीत की। खास बात ये है कि सऊदी प्रिंस सलमान उनसे नहीं मिले। इस महीने भी बाजवा ने इस्लामाबाद में सऊदी एम्बेसेडर से मुलाकात की थी। लेकिन, वहां से भी राहत नहीं मिली।
कुछ दिन पहले अमेरिका ने पाकिस्तान को साफ शब्दों में चेतावनी देते हुए कहा था कि वो चीनी कर्ज के जाल में न फंसे। अमेरिका ने कहा था कि चीन कुछ और मुल्कों के साथ यही कर चुका है। अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा था कि पाकिस्तान चीनी कर्ज के दलदल में फंसता जा रहा है। 6 अरब डॉलर का सीपैक उसकी अर्थव्यवस्था को तहस- नहस कर सकता है।
आर्थिक स्तर पर संकट झेल रहा पाकिस्तान अपने रिजर्व को बढ़ाने के लिए 2020-21 में 15 अरब डॉलर कर्ज लेने का प्लान बना रहा था। एक साल के अंदर यह दूसरा मामला होगा, जब पाक सरकार सबसे ज्यादा कर्ज लेगी। इससे पिछले साल में सरकार ने 10 अरब डॉलर कर्ज का प्लान बनाया था और यह कर्ज की रकम लगातार बढ़ती जा रही है। इसके साथ ही पाकिस्तान लगातार अन्य देशों और आईएमएफ जैसे कई संस्थानों से लगातार कर्ज ले रहा है। बताया जा रहा है कि जुलाई 2018 से लेकर जून 2021 के बीच पाकिस्तान 40 अरब डॉलर का कर्ज ले चुका है, इसमें आधे कर्ज से वह पुराना कर्ज ही चुकाता है।
दरअसल, पिछली सरकारों के भ्रष्टाचार से तंग जनता को इस बात की उम्मीद थी कि इमरान खान देश में फैले भ्रष्टाचार, महंगाई और बेरोजगारी को खत्म कर देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बल्कि हालात और खराब हो गए हैं। साथ ही पाकिस्तान में लगातार ये दिक्कतें बढ़ने से अर्थव्यवस्था पर काफी असर बढ़ रहा है और पाकिस्तान का कर्ज भी लगातार बढ़ रहा है।