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संकट में पाकिस्तान

प्रधानमंत्री इमरान से पाकिस्तान की बदहाल अर्थव्यवस्था संभले नहीं संभल पा रही। हालात इतने खराब हैं कि प्रधानमंत्री आवास तक को किराए पर देना पड़ रहा है

पाकिस्तान के वजीरे आजम इमरान खान की मुश्किलें कम होने के बजाय दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही हैं। प्रधानमंत्री के सामने सबसे बड़ी चुनौती आर्थिक मोर्चे पर है। देश के आर्थिक हालात आज इस कदर खराब हो चुके हैं कि प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास को किराए पर उठाने की नौबत आ चुकी है। यह घर इस्लामाबाद में स्थित है और किराए के लिए बाजार में उतर चुका है। आर्थिक हालात इमरान से संभले नहीं सभल रहे, ऊपर से सेना का दबाव सरकार पर अलग से है। विपक्षी दल भी निरंतर धरना-प्रदर्शन कर सरकार के लिए दिक्कतें खड़ी करते रहे हैं।

अगस्त 2019 में सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने प्रधानमंत्री के घर को विश्वविद्यालय में बदलने की घोषणा की थी। इस घोषणा के बाद इमरान खान ने निवास खाली कर दिया था। लेकिन अब सरकार ने अपना इरादा बदल दिया है। खबरों के मुताबिक सरकार ने आवास को विश्वविद्यालय में बदलने की योजना को छोड़ दिया है और संपत्ति को किराए पर देने का फैसला किया है। स्थानीय मीडिया के मुताबिक संघीय कैबिनेट अब आवास में शैक्षणिक संस्थान के बजाय लोगों को सांस्कृतिक, फैशन, शैक्षिक और अन्य कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति देगा। कहा जा रहा है कि इसके लिए दो समितियों का गठन किया गया है। ये समितियां यह सुनिश्चित करेंगी कि आयोजनों के दौरान पीएम हाउस में अनुशासन और मर्यादा का उल्लंघन न हो। खबरों के अनुसार संघीय मंत्रिमंडल बैठक करेगा और पीएम हाउस के माध्यम से राजस्व जुटाने के तरीकों पर चर्चा करेगा। अनुमान है कि प्रधानमंत्री आवास के सभागार, दो गेस्ट विंग्स और एक लाॅन को किराए पर देकर पैसा जुटाया जा सकता है। इसके अलावा पाक पीएम के पूर्व कार्यस्थल पर उच्च स्तरीय राजनयिक कार्यक्रम और अंतरराष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किए जाएंगे।

दरअसल, इमरान खान ने प्रधानमंत्री का पदभार ग्रहण करने के बाद घोषणा की थी कि सरकार के पास जनकल्याणकारी योजनाओं पर खर्च करने के लिए पैसा नहीं है, जबकि देश में कुछ लोग औपनिवेशिक आकाओं की तरह जी रहे हैं। तभी से वो सिर्फ बानी गाला आवास पर रह रहे हैं और सिर्फ पीएम आफिस का इस्तेमाल करते हैं। इमरान खान के सत्ता में आने के बाद पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था 19 अरब डाॅलर तक कम हुई है। मुल्क की अर्थव्यवस्था को राहत पहुंचाने के लिए उन्होंने सरकारी खर्चों में कटौती भी की थी।

संसद के पास लहराया अफगानी ध्वज

अफगानिस्तान में तालिबान को सत्ता में लाने के लिए पूरी ताकत लगाए बैठे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा को अपने ही देश में बड़ा झटका लगा है। पाकिस्तान का दिल कहे जाने वाले राजधानी इस्लामाबाद में युवाओं के एक दल ने बीते हफ्ते संसद के पास स्थित द लेक व्यू पार्क के अंदर अफगानिस्तान का राष्ट्रीय झंडा लहराना शुरू कर दिया। इस घटना के सामने आने के बाद देश की सुरक्षा एजेंसियां चैकन्नी हो गईं। जिस जगह पर यह अफगानी झंडा लहराया गया, वहां से कुछ ही दूरी पर संसद समेत देश की कई महत्वपूर्ण सरकारी इमारतें स्थित हैं। बताया जा रहा है कि ये युवा तालिबान का सफेद झंडा भी लहरा रहे थे। सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि 20 से 25 युवाओं का समूह अफगानिस्तान और तालिबान के झंडे के साथ फोटो खिंचवा रहे थे। सूचना मिलने पर पुलिसकर्मी मौके पर दौड़े और युवाओं से पूछताछ की।

पुलिस ने इसको लेकर अभी कोई मामला नहीं दर्ज किया है। पुलिस ने माना कि पार्क के अंदर अफगानिस्तान और तालिबान के झंडे लहराए गए। बता दें कि अफगानिस्तान में जारी जंग में बड़ी संख्या में पाकिस्तानी मदरसों के जिहादी भी पहुंचे हैं। कई जिहादी अफगान सेना के साथ जंग में मारे भी गए हैं। उन्हें बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में दफनाया गया है। इस दौरान तालिबानी आतंकी भी मौजूद रहते हैं।
यही नहीं पाकिस्तानी सेना ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करते हुए अफगानिस्तान की सरजमीं पर गोलीबारी की है। इस गोलीबारी में अफगानिस्तान का एक नागरिक घायल हो गया। इसके बाद से अफगान रक्षा मंत्रालय ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कुछ दिनों पहले स्पिन बोल्डक इलाके में
पाकिस्तानी सेना को अंतरराष्ट्रीय सीमा के उस पार अफगानिस्तान की जमीन पर देखा गया था।

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