पाकिस्तान की पुलिस ने वहां की एक महिला संगठन जिसका नाम ‘औरत आजादी मार्च’ है के कुछ कार्यक्रताओं के ख़िलाफ़ ईश निंदा के तहत एफआईआर दर्ज की है। यह एफआईआर पाकिस्तान के नार्थ वेस्टर्न सिटी में दर्ज कराई गई है। हालांकि इसी मामले में पाकिस्तान के एक दूसरे शहर में केस को निराधार बता कर कोर्ट द्वारा डिसमिस किया जा चुका है।
पेशावर की नार्थ वेस्टर्न पाकिस्तानी सिटी की पुलिस ने यह एफआईआर ,देश के एक कड़े नियम के तहत दर्ज की है। आपको बता दें कि ईशनिंदा कानून पाकिस्तान के कड़े क़ानूनों में से एक है।इस कानून के तहत मृत्यु दंड का प्रावधान भी है।
औरत आजादी मार्च संस्था की एक सदस्य ने इन सभी आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि, ‘8 मार्च को हमारे संस्थान ने जो जुलूस निकाला था उसमें किसी भी महिला ने ऐसी कोई गतिविधि नहीं की थी जिससे यह कानून हमारे ऊपर लागू हो सके।
उन्होंने आगे कहा कि,’हमारे ऊपर लगाए गए सभी आरोप झूठे और बेबुनियाद हैं।’
क्या है पूरा मामला?
दरअसल पाकिस्तान के एक अख़बार ‘डेली उम्मत’ में नारीवादी महिलाओं को अपशब्द कहा गया। विशेषकर उन महिलाओं को बुरा-भला कहा गया जो पाकिस्तान में नारीवादी संगठनों के साथ किसी मुद्दे पर सड़कों पर उतरती हैं। उपर्युक्त मामला इस वर्ष के 8 मार्च का है। जिस दिन पूरा विश्व ‘महिला दिवस’ मनाता है।
पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून का इतिहास
पाकिस्तान को ईशनिंदा कानून ब्रिटिश शासन से विरासत में मिला है। 1860 में ब्रिटिश शासन ने धर्म से जुड़े अपराधों के लिए कानून बनाया था जिसका विस्तारित रूप आज का पाकिस्तान का ईशनिंदा कानून है।
एक सवाल यह भी उठता है कि क्या पाकिस्तान में लोगों को पीड़ित करने का हथियार ‘ईशनिंदा’ ? पाकिस्तान में विशेषकर अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित करने के लिए हमेशा ईशनिंदा कानून का उपयोग किया जाता है। तानाशाह जिया-उल-हक के शासनकाल में पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून को लागू किया गया। पाकिस्तान पीनल कोड में सेक्शन 295-बी और 295-सी जोड़कर ईशनिंदा कानून बनाया गया।
लेकिन पाकिस्तान दुनिया का ऐसा अकेला देश नहीं है जहां ईशनिंदा को लेकर क़ानून हैं। शोध संस्थान प्यू रिसर्च की ओर से साल 2015 में जारी की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के 26 फ़ीसदी देशों में धर्म के अपमान से जुड़े क़ानून हैं जिनके तहत सज़ा के प्रावधान हैं। इनमें से 70 फ़ीसदी देश मुस्लिम बहुल है।
इन देशों में ईशनिंदा के आरोप के तहत जुर्माना और क़ैद की सज़ा के प्रावधान हैं लेकिन सऊदी अरब, ईरान और पाकिस्तान में इस अपराध में मौत तक की सज़ा का प्रावधान है।
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ईशनिंदा की सजा सिर्फ मौत !
ईशनिंदा क़ानून को कई चरणों में बनाया गया और उसका विस्तार किया गया।वर्ष 1980 में एक धारा में कहा गया कि अगर कोई इस्लामी व्यक्ति के खिलाफ़ अपमानजनक टिप्पणी करता है तो उसे तीन साल तक की जेल हो सकती है।
वहीं वर्ष 1982 में एक और धारा में कहा गया कि अगर कोई व्यक्ति कुरान को अपवित्र करता है तो उसे उम्रकैद की सज़ा दी जाएगी।वर्ष 1986 में अलग धारा जोड़ी गई जिसमें ये कहा गया कि पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ ईशनिंदा के लिए दंडित करने का प्रावधान किया गया और मौत या उम्र कैद की सज़ा की सिफारिश की गई।