जग जाहिर है कि पाकिस्तान इस वक्त पूरी तरह से कर्ज में डूब चुका है और कंगाली के कगार पर है। सऊदी के भी अरबों रुपये पाकिस्तान नहीं दे पाया है, लेकिन अब पाकिस्तान बेजुबानों की मौत का सौदा करके कर्जा चुका रहा है। जी हां, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने सऊदी अरब के अरबों डॉलर के कर्ज से बाहर निकलने के लिए प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को अपने देश में बेजुबानों की हत्या करने की मंजूरी दे दी है।
सऊदी प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और उनके शाही परिवार से जुड़े दो अन्य सदस्यों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संरक्षित हुबारॉ या तिलोर पक्षियों के शिकार की अनुमति दी गई है। इमरान सरकार पर प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के दबाव का आलम यह है कि इमरान खान सरकार ने एक भगोड़े सऊदी प्रिंस को भी शिकार करने की स्वीकृति दी है जिसने पिछले साल फीस का पैसा नहीं दिया था।
पक्षियों का इमरान ने किया ‘सौदा’
पाकिस्तानी अखबार डॉन ने सूत्रों के हवाले से बताया कि प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के अलावा जिन दो अन्य लोगों को हुबारॉ के शिकार करने की अनुमति दी गई है, उनमें एक भगोड़ा भी है। इस भगोड़े सऊदी शाही परिवार के सदस्य ने पिछले साल पाकिस्तान में शिकार करने के बाद भी फीस नहीं दी थी।
बताया जा रहा है कि इन तीनों ही लोगों को बलूचिस्तान और पंजाब में शिकार के लिए विशेष इलाके दिए गए हैं। शिकारियों की इस लिस्ट में सऊदी प्रिंस का नाम सबसे नीचे है जो सऊदी अरब के अब असली बादशाह हैं। मध्य एशियाई देशों में पाए जाने वाले हुबारॉ पक्षी भीषण ठंड से बचने के लिए पाकिस्तान में शरण लेते हैं और अब इमरान सरकार ने एक बार फिर से इन्हीं बेजुबानों की जान का सऊदी प्रिंस से सौदा कर लिया है।
इमरान ने पीएम बनने से पहले किया था विरोध, अब दी अनुमति
इमरान खान सरकार की ओर से अरब देशों के शिकारियों को शिकार करने के लिए आमंत्रित किया गया है। हुबारा पक्षियों की संख्या बहुत तेजी से कम होती जा रही है। पाकिस्तान समेत दुनियाभर में इसके शिकार पर प्रतिबन्ध है। सूत्रों के मुताबिक इमरान खान जब सत्ता में नहीं थे तब वह हुबारॉ पक्षियों के शिकार को अनुमति देने के विरोधी थे और खैबर पख्तूनख्वा में शिकार की अनुमति नहीं दी थी जहां पर उनकी पार्टी का शासन था। हालांकि अब इमरान खान ने अपने फैसले को नजरअंदाज करते हुए सऊदी प्रिंस को हुबारॉ पक्षियों के शिकार की अनुमति दे दी है। डॉन ने बताया कि ताबुक प्रांत के गवर्नर प्रिंस फहद बिन सुल्तान को भी अनुमति दी गई है।
बेजुबानों की हत्या से इमरान सरकार भरेगी खजाना
पाकिस्तान की हालत इतनी दयनीय हो गई है कि अब इमरान सरकार बेजुबान पक्षियों की हत्या करवाके अपना खजाना भर रही है। कुछ साल पहले भी प्रिंस फहद द्वारा 2000 हुबारॉ पक्षियों का शिकार किया गया था और दुनियाभर की मीडिया में सुर्खियों में आ गए थे। इतना ही नहीं पिछले साल शिकार करने के बाद प्रिंस फहद ने पाकिस्तान को जरूरी एक लाख डॉलर की फीस भी अदा नहीं की थी।
इससे पहले प्रिंस फहद द्वारा पिछले साल 60 बाज के इस्तेमाल के लिए जरूरी 60 हजार डॉलर की फीस को भी नहीं दिया गया था। हुबारॉ के शिकार के बाद प्रिंस फहद फीस दिए बिना ही वापस सऊदी अरब लौट गए थे। प्रिंस फहद की पाकिस्तान में इतनी दादागिरी है कि उन्होंने 2000 हुबारॉ पक्षियों का शिकार किया जबकि उन्हें मात्र 100 पक्षियों के शिकार की अनुमति मिली थी। पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत को शिकार के हर सीज़न में कम से कम 2 अरब रुपये की कमाई होती है।
सऊदी अरब के राजकुमारों की पाकिस्तान में दादागिरी
इससे पहले वर्ष 2014 में पाकिस्तान की एक अदालत ने साल 2014 में बाज के निर्यात और हुबारॉ के शिकार पर प्रतिबंध लगा दिया था तो सऊदी अरब और यूएई के साथ उसके संबंध बिगड़ गए थे। तनावपूर्ण स्थिति को बढ़ते देख अंततः पाकिस्तान सरकार झुक गई।
पाकिस्तान में संरक्षित पक्षियों की सूची में है हुबारॉ
हुबारॉ या तिलोर पक्षी शर्मीले मिज़ाज का पक्षी है, लेकिन यह बेहद खूबसूरत होता है और इसका आकार दिखने में टर्की चिड़िया जैसा होता है। पिछले चार दशकों से भी ज़्यादा समय से पाकिस्तान अरब देशों के उच्चाधिकारियों को बाज की मदद से होने वाले शिकार के लिए न्यौता देता रहा है।
जबकि हुबारा पंजाब और बलूचिस्तान से ठण्ड से बचने के लिए पाकिस्तान की धरती पर शरण लेता है। लेकिन यह ये बेहद चिंताजनक है कि ठण्ड से बचने के लिए शरण लेने वाले इन पक्षियों की मौत का यहां सौदा कर दिया जाता है।
इमरान सरकार की ओर से ये अनुमति सऊदी प्रिंस को ऐसे समय पर दी गई है जब संऊदी अरब ने अपने बचे हुए 2 अरब डॉलर लौटाने को कहा है, वहीं यूएई दवारा पाकिस्तानियों को वीजा देने पर प्रतिबंध लगाया गया है। गौरतलब है कि पाकिस्तानी नागरिक बड़ी संख्या में यूएई में रहते हैं और पैसा भेजते हैं। इससे पहले इमरान खान सरकार ने संयुक्त अरब अमीरात के वाइस प्रेसिडेंट और दुबई के शासक शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मक्तूम को 150 दुर्लभ बाज निर्यात करने की मंजूरी दी थी।