पड़ोसी देश पाकिस्तान में बशर्ते सियासी उथल – पुथल थम गई है लेकिन देश के वजीरे आजम शाहबाज शरीफ की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। दरअसल काफी लंबे समय से आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान ने आर्थिक संकट से उभरने के लिए एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के आगे घुटने टेक दिए हैं।शाहबाज की सबसे बड़ी मुश्किल है देश की लगातार गिरती आर्थिक स्तिथि। इससे देश की राजनीतिक सरगर्मियां एक बार फिर से तेज़ हो गई है।
इन विपरीत हालातों में ऐसा लग रहा है कि पाकिस्तान की किस्मत बदलने की बजाय और खराब होने वाली है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान में अगर आर्थिक संकट बढ़ गया तो एक बार फिर वहां राजनीतिक अस्थिरता आ सकती है।
आईएमएफ की शरण में पहुंचा पाकिस्तान
प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ द्वारा भेजा गया एक प्रतिनिधिमंडल अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक में भाग लेने के लिए दोहा पहुंच गया है। इस दौरान पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल देश में आर्थिक सुधार के लिए निश्चितता और गति प्रदान के लिए छह अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज को पुनर्जीवित करने पर जोर देगा। साथ ही एक अरब डॉलर का महत्वपूर्ण कोष जारी करने को लेकर अलग से बातचीत होगी। पाक को उम्मीद है कि पाकिस्तान को आईएमएफ से मदद मिलेगी।
दोहा में चल रही है दोनों पक्षों की बातचीत
पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल में वित्त मंत्री मिफ्ता इस्माइल, राज्य मंत्री डॉ आयशा घोष पाशा, वित्त सचिव हमीद याकूब शेख, स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के कार्यवाहक गवर्नर डॉ. मुर्तजा सैयद, फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू के चेयरमैन असीम अहमद और अन्य वित्त विभाग के अधिकारी शामिल हैं। यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब पाकिस्तान आर्थिक बदहाली की तरफ है। अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है और नई सरकार इसे पटरी पर लाने के लिए प्रयासरत है, जिसके लिए उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मदद की आवश्यकता है।
आईएमएफ से कार्यक्रम विस्तार करने का अनुरोध
बैठक को लेकर पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय द्वारा बताया गया कि पूर्ववर्ती सरकार द्वारा फंड के साथ की गई अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में विफलता के कारण 2019 के समझौते को कभी भी पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है। इसके अलावा वित्त मंत्री इस्माइल ने कहा कि उन्होंने आईएमएफ से जून 2023 तक एक साल के लिए कार्यक्रम का विस्तार करने का भी अनुरोध किया।
एक अरब डॉलर की किश्त जारी करने की भी मांग
एजेंसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक अब तक पाकिस्तान को आईएमएफ के इस प्रोग्राम से कम से कम 3 अरब डॉलर प्राप्त हुए हैं। आईएमएफ प्रोग्राम इस साल के अंत में समाप्त होने वाला है, यही वजह है कि पाकिस्तान जून 2023 तक विस्तार की मांग कर रहा है, साथ ही एक अरब डॉलर की अगली किश्त जारी करने की भी मांग हो रही है।
हालांकि मौजूदा शहबाज शरीफ सरकार ने ईंधन की कीमतों में वृद्धि से परहेज किया है, क्योंकि कोष ने कीमतों में वृद्धि के लिए तेल और गैस नियामक प्राधिकरण और वित्त मंत्रालय द्वारा खारिज कर दिया था। आईएमएफ पाकिस्तान से ईंधन सब्सिडी को वापस लेने और इसे बेलआउट पैकेज से जोड़ने के लिए कह रहा है। पाकिस्तान अपनी नकदी-संकट वाली अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए बार-बार अंतरराष्ट्रीय समर्थन की मांग करता रहा है।
आईएमएफ ने कहा था गिरेगी पाक की आर्थिक दर
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की एक रिपोर्ट में कहा था कि पाकिस्तान पर चीन का कर्ज बढ़ते-बढ़ते 18.4 बिलियन डॉलर तक पहुंच चुका है। यानी देश पर जो कुल विदेशी कर्ज है, उसमें 20 फीसदी हिस्सा चीन का है। पाकिस्तान पर कुल 92.3 बिलियन डॉलर का विदेशी कर्ज है।
आईएमएफ के अनुमान लगाया था कि चालू वित्त वर्ष में पाकिस्तान की आर्थिक वृद्धि दर चार फीसदी रहेगी। जबकि अगले वित्त वर्ष तक देश पर विदेशी कर्ज बढ़ कर 103 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा। विश्लेषकों का कहना है कि इस संकट के बीच पाकिस्तान अधिक से अधिक चीन पर निर्भर होता जा रहा है। इसका असर अब उसकी विदेश नीति पर भी दिखने लगा है।
पाकिस्तानी रुपये में ऐतिहासिक गिरावट
पाकिस्तानी रुपया डॉलर के मुकाबले 200 के स्तर पर पहुंच गया। यानि 200 पाकिस्तानी रुपया 1 डॉलर के बराबर है। खबर के मुताबिक, पाकिस्तानी रुपये की गिरावट देखी गई है। इंटरबैंक मार्केट में स्थानीय मुद्रा लगातार धराशायी हो रही है। इंट्राडे ट्रेडिंग में इसमें 199 रुपये के ऐतिहासिक स्तर की गिरावट देखी गई। यह स्थिति तब है जब पाकिस्तान का सेंट्रल बैंक रुपये में गिरावट को रोकने के भरपूर प्रयास कर रहा है।