- प्रियंका यादव
एक के बाद एक कर्ज के सहारे देश चला रही पाकिस्तान सरकार अब अपने ही बनाए मकड़जाल में फंस गई है। दरअसल, सरकार हर साल यह प्लान बनाती है कि आखिर इस साल किस देश से कर्ज लिया जाए और कितना कर्ज लिया जाए। कर्ज के जाल में फंसी सरकार यह तय नहीं कर पा रही है कि देश में जारी खाद्यान्न आपूर्ति संकट का समाधान करें या फिर विदेशी मुद्रा भंडार बचाएं
पिछले तीन सालों से भी ज्यादा समय से एक ओर जहां पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जंग लड़ रही है वहीं दूसरी तरफ रूस-यूक्रेन युद्ध से दुनियाभर के मुल्कों की अर्थव्यवस्था पर दोहरी मार का असर दिखने लगा है। ऐसी स्थिति में आर्थिक संकट के चलते पड़ोसी देश पाकिस्तान में मची भारी राजनीतिक उथल-पुथल से सरकार बदली, निजाम बदला लेकिन देश की हालत नहीं बदली। हालत यह है कि एक तरफ जहां रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है तो वहीं दूसरी तरफ सरकारी खजाना लगभग खाली हो चुका है। सरकार को अपना पिछला कर्ज चुकाने के लिए नया कर्ज लेना पड़ रहा है।
दरअसल सरकार इस समय मुश्किल में यह तय नहीं कर पा रही है कि देश में जारी खाद्यान्न आपूर्ति संकट का समाधान करें या फिर विदेशी मुद्रा भंडार बचाए। मौजूदा समय में कराची बंदरगाह पर सैकड़ों ऐसे कंटेनर्स यूं ही पड़े हैं जिन पर सब्जियां लदी हुई हैं। पाकिस्तानी अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार प्याज के 250 कंटेनर्स जिनकी कीमत 107 लाख डॉलर है, 8 लाख 16 हजार 480 डॉलर की कीमत वाली अदरक का कंटेनर और 2.5 लाख डॉलर वाले लहसुन के कंटेनर बंदरगाह पर ऐसे ही पड़े हैं। व्यापारी परेशान हैं और उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि क्या किया जाए। अखबार की मानें तो 0.6 मिलियन टन सोयाबीन भी ऐसे ही अटका है क्योंकि सरकार साख पत्र (बैंक द्वारा विक्रेता को भुगतान संबंधी गारंटी पत्र) जारी नहीं करवा पा रही है।
विदेशी मुद्रा के अभाव में जारी नहीं हो पा रहे साख पत्र
प्याज के कंटेनर्स कराची बंदरगाह के कई टर्मिनल्स पर पड़े हुए हैं। देश के बैंक विदेशी मुद्रा के अभाव में साख पत्र जारी नहीं कर पा रहे हैं। इसकी वजह से कंटेनर्स को ऐसे ही पड़े रहने दिया जा रहा है। पाकिस्तान फ्रूट एंड वेजिटेबल एक्सपोटर्स इंपोटर्स एंड मर्चेंट्स एसोसिएशन के सदस्य वाहीन अहमद की मानें तो साख पत्रों को जारी करने में हो रही देरी की वजह से कंटेनर्स की कीमत पर अलग असर पड़ रहा है, टर्मिनल और शिपिंग चार्जेस बढ़ जाएंगे। प्याज के कंटेनर्स पहले से ही महंगे हैं और इसकी वजह से आम आदमी पर बुरा असर पड़ने वाला है।
आसमान छूते प्याज के दाम
प्याज 175 रुपए किलो थोक बाजार में और खुदरा बाजार में 250 से 270 रुपए किलो तक बिक रहा है। क्लीयरेंस में देरी प्याज की कीमतें और बढ़ जाएंगी। सब्जियां भी आम आदमी की पहुंच से दूर हो जाएंगी। फेडरेशन ऑफ पाकिस्तान चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के कार्यवाहक प्रेसीडेंट सुलेमान चावला ने भी इस पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा है कि पोल्ट्री और डेयरी प्रोडक्ट्स पहले ही आम आदमी खरीद नहीं पा रहा है। कुछ ही दिनों पहले कीमतों में थोड़ी स्थिरता आई थी लेकिन अब इन हालातों ने चिंताएं बढ़ा दी हैं। उनकी मानें तो आयात काफी महंगा है और टर्मिनल चार्जेस भी दोगुने हो जाएंगे।
डॉलर न होने का खामियाजा
विदेशी मुद्रा की कमी के कारण स्थिति लगभग बेकाबू हो गई है। आयातकों को इसकी वजह से भारी नुकसान उठाना पड़ेगा जिसकी भरपाई भी मुश्किल हो जाएगी। उन्होंने सरकार से मांग की है कि इस मसले को तेजी से सुलझाया जाए ताकि देश में गहराते खाद्यान्न संकट को टाला जा सके।
सऊदी अरब की शरण में पाकिस्तान
खाद्य संकट और विदेशी मुद्रा भंडार से निपटने के लिए पाकिस्तान ने सऊदी अरब से 4.2 अरब डॉलर की आर्थिक सहायता देने के लिए गुहार लगाई है। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने मंत्रालय के एक बयान का हवाला देते हुए बताया कि वित्त मंत्री इशाक डार ने सऊदी राजदूत नवाफ बिन सईद अल-मल्की के साथ एक बैठक के दौरान यह अनुरोध किया है। लगातार दो दिन तक पाकिस्तानी वित्त मंत्री ने इस सहायता को पाने के लिए विदेशी राजनायिकों के साथ बैठक की। इसके अलावा डार ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा पाकिस्तान को 1.2 अरब डॉलर की किश्त जारी करने पर अपने रुख को नरम करने के लिए प्रभावित किया है।
आर्थिक तंगी से निपटने के लिए सरकार ही नहीं सेना भी अपना प्रयास कर रही है।
पाकिस्तान का सैन्य नेतृत्व भी देश के लिए इस राहत पैकेज पर सऊदी अरब से बात करना चाहता है। संभावना जताई जा रही है कि सऊदी अरब से आर्थिक सहायता हेतु नए सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर जल्द ही सऊदी अरब का दौरा कर सकते हैं। वित्त मंत्री इशाक डार द्वारा सऊदी अरब को बता दिया गया है कि बाढ़ पुनर्निर्माण और पुनर्वास के लिए देश को विदेशी मुद्रा की जरूरत है। दरअसल, आईएमएफ से मिलने वाले 6.5 अरब डॉलर के राहत पैकेज में हो रही देरी ने पाकिस्तान को एक बार फिर से पड़ोसी देशों की तरफ देखने के लिए मजबूर कर दिया है। तीन साल में यह चौथी बार हुआ है जब पाकिस्तान को आईएमएफ से कर्ज नहीं मिल सका है।
गौर करने वाली बात है कि पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 2019 के बाद पहली बार 7 अरब डॉलर के स्तर से नीचे चले गया है। देश का वर्तमान भंडार लगभग 6.7 अरब डॉलर है। यह विदेशी मुद्रा भंडार 8.8 अरब डॉलर के मूलधन और ब्याज भुगतान के लिए काफी नहीं है। पिछले महीने वित्त मंत्री की तरफ से कहा गया था कि पाकिस्तान को चीन और सऊदी अरब ने 13 अरब डॉलर के वित्तीय पैकेज का भरोसा दिया गया था जिसमें 5.7 अरब डॉलर के नए कर्ज भी शामिल हैं। इसमें से 4.2 अरब डॉलर सऊदी अरब और 8.8 अरब डॉलर का कर्ज चीन से मिल सकता है। लेकिन पिछले एक महीने से मामला ज्यों का त्यों अटका हुआ है। चीन से कोई मदद तो नहीं मिली बल्कि पाकिस्तान को चीन का 1.2 अरब डॉलर कर्ज अदा करना पड़ गया।
इसके बावजूद भी चीन का असर पाकिस्तान पर से कम नहीं हो रहा है। इसका दावा खुद ‘चाइना इंडेक्स’ रिपोर्ट में किया गया है। यह रिपोर्ट ताइवान में मौजूद एक रिसर्च ऑर्गनाइजेशन डबल थिंक लैब्स के द्वारा हाल ही में जारी की गई है। इस रिपोर्ट में दुनिया के 82 देशों में चीन के असर का मूल्यांकन किया गया है। असर वाली कैटेगरी में एजुकेशन, सामाजिक मामले, डिफेंस, टेक्नोलॉजी, सियासत और फॉरेन पॉलिसी के मुद्दों के अलावा अर्थव्यवस्था के बारे में जिक्र किया गया है। विदेश नीति और रक्षा के क्षेत्र में चीन का असर पाकिस्तान में सबसे अधिक है।