उइगर मुसलमानों के लिए चीन में रहना अब एक चुनौती बन गया है। चीन में बिताया हर दिन अब इनके लिए नरक सा साबित हो रहा है। दमनकारी चीन उइगर मुसलमानों का दमन करने में तो जुटा ही हुआ है। वहीं अब चीन मुस्लिमों के अस्तित्व को भी खत्म करने में जुट गया है। चीन ने मुस्लिमों पर दमन की सारी हदें पार कर दी हैं।
उइगर मुस्लिमों के लिए चीन के उत्तर पश्चिमी प्रांत शिनजियांग में बने प्रशिक्षण केंद्र अब यातना के अड्डे बन चुके हैं। इन शिविरों में अत्याचार की निर्ममता का खुलासा हाल ही में चीन की पुलिस और प्रशिक्षण केन्द्रो के लीक दस्तावेजों से हुई है। चीन के प्रशिक्षण केंद्रों में उइगर मुसलमानों के साथ हो रहे है अत्याचार के कई किस्से सुनने को मिलते हैं। लेकिन इन सभी खबरों और दावों को चीन हमेशा से नकारता आया है। जबकि अमेरिका सहित कई देश इस तरह के मामले सामने आने के बाद चीन को मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाला करार दे चुके हैं। लेकिन चीन की गतिविधियां बंद नहीं हो रही हैं।
उइगर मुस्लिमों के मानवाधिकारों के हनन व उन पर अत्याचारों में चीन का शीर्ष नेतृत्व पूरी तरह से शामिल है। इसकी पुष्टि चीन की पुलिस और बंदी शिविरों से लीक हुए हजारों दस्तावेजों से हुई है। लीक दस्तावेजों के बाद हुए खुलासे से चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के शीर्ष नेतृत्व व राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भूमिका पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।
शिनजियांग के बदनाम बंदी शिविरों में उइगर मुस्लिमों को व्यावसायिक कौशल और प्रशिक्षण के नाम पर रखा जाता है। 2018-19 में यह सिलसिला चरम पर था। 2020 तक 20 लाख लोगों को इन शिविरों में रखा गया। उधर, चीन की सरकार का दावा है कि इन शिविरों में बंदियों के दिल-दिमाग को साफ कर उन्हें काम में लगाया जाता है।
लीक दस्तावेजों के आधार पर आई मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2017 के बाद से इन शिविरों में बड़ी संख्या में बंदी रखे गए हैं। इन शिविरों में उइगरों प्रशिक्षुओं को दंडित किया जाता है। कई को बिना किसी कारण के हिरासत में लिया जाता है। इन्हें चीन के प्रति अविश्वसनीय माना जाता है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शिनजियांग पुलिस की जो फाइल्स लीक हुई है उनमें साफ़ तौर पर में उइगर मुस्लिमों पर किए जा रहे अत्याचार की पूरी तस्वीर साफ हो गई है। शिनजियांग में चीन ने उइगर मुस्लिमों को बंदी रखने के लिए कई शिविर बनाए गए हैं। उन पर अत्याचार की खबरें आती रहती हैं। हालांकि, चीन इन शिविरों को शिक्षा या पुनर्वास केंद्र बताता है। आपसी झगड़े जैसे मामूली या झूठे आरोप तक में उइगुर मुसलमानों को 5 से 25 साल तक की कैद की सजा सुना दी जाती है।
गौरतलब है कि इससे पहले भी सितंबर 2019 में ऐसी रिपोर्ट्स सामने आई थी जिनमें डिटेंशन सेंटर्स में मुस्लिमों के साथ मनमानी की ख़बरें सामने आई थीं। यह पहली बार नहीं है जब चीन पर ऐसे आरोप लगे हैं। चीन पर कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने इलज़ाम लगाया है कि सरकार मुस्लिमों का इस्तेमाल नई दवाओं और अन्य मेडिकल टेस्ट के लिए भी कर रही है। हालांकि, चीनी सरकार इन डिटेंशन कैंप को आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ लड़ाई का नाम देती आई है।
उइगर मुसलमान कौन हैं ?
उइगर मुस्लिम अल्पसंख्यक तुर्क जातीय समूह से ताल्लुक रखते हैं। ये मूल रूप से मध्य और पूर्व एशिया के निवासी हैं। इनकी भाषा तुर्की है। चीन में जिन 55 अल्पसंख्यक समुदायों को आधिकारिक पर मान्यता दी गई है, उइगर उनमें से ही एक हैं। उइगरों की सबसे ज्यादा आबादी शिनजियांग क्षेत्र में रहती है।