ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में पिछले चार महीनों से आग ने ऐसा तांडव मचा रखा है कि जंगली जीवों से लेकर इंसानों के सम्मुख गंभीर संकट खड़ा हो गया है। हालांकि देश का पूरा सरकारी तंत्र आग पर काबू करने की कोशिशों में जुटा हुआ है, लेकिन विकराल हुई लपटें अब तक पचास करोड़ से ज्यादा जानवरों की जीवन लीला स्वाह कर चुकी हैं।
यही नहीं करीब अठ्ठारह सौ से ज्यादा घर तबाह हो चुके हैं। जैव विविधता के बुरी तरह प्रभावित होने के साथ ही अब लोगों के सामने सूखे की समस्या खड़ी हो गई है। आग इतनी भयावह हो चुकी है कि इस आग के कारण अब तक करीब अठारह सौ से ज्यादा घर तबाह हो चुके हैं।
आग की चपेट में आने से अब तक 1 लाख वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र जलकर राख हो चुका है। ऑस्ट्रेलिया के कुछ इलाकों में जहां आग बुझ चुकी है तो वहीं आग बुझने के बाद दूसरे संकट सामने आ रहे हैं। इन समस्याओं में पानी की कमी, हवा का प्रदूषित होना शामिल है। पानी की कमी का असर अब इंसान और जानवरों के बीच संघर्ष के रूप में सामने आ रहा है।
आग की तबाही से जूझ रहे ऑस्ट्रेलिया में आदिवासी नेताओं के एक फैसले ने सबको हैरान कर दिया है। उन्होंने सूखाग्रस्त इलाकों में पीने के पानी को बचाने के लिए दक्षिण ऑस्ट्रेलिया में करीब 10 हजार ऊंटों को मारने का आदेश दिया है।
आग की तबाही से जूझ रहा ऑस्ट्रेलिया अब 10 हजार ऊंटों को मारने जा रहा है। कारण ये ऊंट साल भर में एक टन मीथेन उत्सर्जित करते हैं, जो इतनी ही कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर है। इसके अलावा ऊंटों की बढ़ती जनसंख्या भी देश के लिए समस्या बन रही है, क्योंकि यह सूखे वाले इलाके में पानी पी जाते हैं।
पेशेवर निशानेबाज हेलीकॉप्टर से ऊंटों का शिकार करेंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले कुछ आदिवासी समुदायों की शिकायत है कि जंगली ऊंट पानी की तलाश में उनके इलाके में आते हैं और उनकी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाते हैं।
इसी शिकायत के बाद ऊंटों को मारने का फैसला लिया गया है। इसमें करीब पांच दिनों का समय लग सकता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि हम पानी की किल्लत की वजह से एसी का पानी भी स्टोर कर रखते हैं। ये ऊंट इस पानी को पीने आ जाते हैं। ये घर के आस-पास घूमते हैं और फेंसिंग को भी नुकसान पहुंचाते हैं।
मध्य ऑस्ट्रेलिया में इनकी आबादी 12 लाख से अधिक है। बचाव दल के सदस्यों के मुताबिक दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया के कंगारू द्वीप पर लगी आग से पेड़ों पर रहने वाले एक जीव कोआला की आधी आबादी खत्म हो गई है। आग लगने से पहले इस द्वीप पर करीब 50 हजार कोआला थे।
वहां भी जंगल का एक बड़ा क्षेत्रफल तक जलकर खाक हो चुका है। इतना ही नहीं लाखों हेक्टेयर की फसल जलकर खाक हो चुकी है। गर्म हवा और जहरीले धुंए के कारण पास के कस्बों और शहरों में लोग घर छोड़कर जहां-तहां भाग रहे हैं। यह आग अब तक 50 करोड़ जानवरों और पक्षियों को लील चुकी है।
ऑस्ट्रेलिया के लिए जंगलों में आग लगना कोई नई बात नहीं है। लेकिन बढ़ते तापमान और सूखे की वजह से ऑस्ट्रेलिया के अलग-अलग हिस्सों के जंगलों में आग लग चुकी है।
कई इलाकों में तापमान पचास डिग्री सेल्सियस के आसपास है और कहीं-कहीं इससे भी ज्यादा हो जाता है। ऐसे में सूखे जंगलों में आग लगना काफी सामान्य है। साल 2019 में तापमान में बढ़ोतरी की वजह से साल के अंत में लगी आग के अब तक बुझने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं।