हांगकांग में पिछले कई समय से लोकतंत्र के समर्थन को लेकर जनआंदोलन अभी भी जारी है। लेकिन इस बीच पूरे विपक्ष ने लोकतंत्र के समर्थन में एक साथ देश की संसद से इस्तीफा दे दिया है। विपक्ष ने यह कदम देश की चीन समर्थक सरकार द्वारा विपक्ष के चार लोकतंत्र समर्थक विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के बाद विपक्ष के सभी लोकतंत्र समर्थक सांसदों ने उठाया है।
विपक्ष के नेता सरकार के उस फैसले का विरोध कर रहे हैं जिसमें सरकार द्वारा विपक्ष के चार विधायकों को अयोग्य ठहराया गया था। खास बात यह थी कि अयोग्य ठहराए गए विधायक लोकतंत्र समर्थक आंदोलन का समर्थन करते आयें है।
इससे ठीक पहले चीन में दो दिनों तक चली नेशनल पीपुल्स कांग्रेस स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में एक प्रस्ताव पारित हुआ। जिसके अनुसार, जो कोई भी हांगकांग की आजादी का समर्थन करेगा, शहर पर चीन के आधिपत्य को नहीं मानेगा, राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालेगा या बाहरी शक्तियों से शहर की गतिविधियों में हस्तक्षेप करने की मांग करेगा, उसे बर्खास्त किया जायेगा। इसी के तहत अयोग्य ठहराए गए विधायकों पर आरोप था कि उन्होंने विदेश से मदद ली थी।
हांगकांग में लोकतंत्र-समर्थक खेमे के समन्वयक वू ची-वाई ने पत्रकारों से कहा, “हम सब अपने पदों से इस्तीफा देने जा रहे हैं, क्योंकि हमारे साथियों, हमारे सहकर्मियों को केंद्र सरकार ने एक निर्मम चाल चलते हुए अयोग्य घोषित कर दिया है।” इसके साथ ही उन्होंने बताया कि आगे आती दिख रही ऐसी तमाम मुश्किलों के बावजूद वे “लोकतंत्र के भविष्य के लिए अपनी लड़ाई कभी भी नहीं छोड़ेंगे।”
वू द्वारा बताया गया कि सभी लोकतंत्र समर्थक सांसदों की ओर से अपना इस्तीफा आज यानी 12 नवंबर की शाम को सौंपा जाएगा। एक अन्य लोकतंत्र समर्थक सांसद क्लाउडिया मो ने हांगकांग सरकार के इस कदम को “असल में बीजिंग का किया धरा” बताया। साथ ही उन्होंने इसे हांगकांग में लोकतंत्र की लड़ाई का गला घोंटने का प्रयास करार दिया।
गौरतलब है कि हाल के महीनों में चीन द्वारा कई ऐसे कदम उठाए गए जिससे विपक्ष की आवाज को दबाया जा सके। जून में हांगकांग में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करना इसका सबसे बड़ा उदहारण माना जा सकता है। जबकि चीन को पता था कि इस कानून के विरोध में युवाओं में काफी गुस्सा है।पिछले साल से ही हांगकांग के लोगों में खासकर युवाओं में इसे लेकर आक्रोश है। फिर भी चीन ने इस कानून को लागू कर ही दिया।
चीन के खिलाफ ऐसे ही आंदोलनों का समर्थन करने के आरोप में हांगकांग सरकार की ओर से चार अयोग्य विधायकों में से एक क्वोक का-की ने कहा, “वैधता और संवैधानिकता के लिहाज से देखें तो यह साफ तौर पर बेसिक लॉ और सार्वजनिक मामलों में हिस्सा लेने के हमारे अधिकार का उल्लंघन है।” बेसिक लॉ हांगकांग के मिनी संविधान को कहा जाता है।
इस बीच मीडिया से बातचीत के दौरान हांगकांग प्रशासन की प्रमुख कैरी लैम ने कहा कि विधायकों को उचित तरीके से पेश आना चाहिए और हांगकांग शहर को “देशभक्त विधायकों” की आवश्यकता है।
प्रो-डेमोक्रेसी आंदोलन के समर्थक सभी विधायकों के इस्तीफे के बाद हांगकांग की विधान परिषद में केवल चीन-समर्थक कानून निर्माता ही बचेंगे। पहले से ही वहां चीन-समर्थक सदस्य बहुमत में थे, लेकिन भविष्य में विपक्ष के अनुपस्थित होने के कारण कोई भी चीन-समर्थक कानून बिना किसी बहस या विरोध के पास कराया जा सकेगा।
बीते साल से ही हांगकांग के लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनों पर विश्व भर की नजरें लगी हुई हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के लागू होने के बाद इस पर अमेरिका और जर्मनी समेत कई पश्चिमी देशों ने इस पर सख्त प्रतिक्रियाएं भी दीं थी और कई देशों की ओर से हांगकांग से अपनी प्रत्यर्पण संधियां तोड़ लीं। इतना ही नहीं अमेरिका ने तो कैरी लैम और उनकी सरकार के प्रमुख लोगों के अमेरिका में प्रवेश पर भी रोक लगा दी। ऐसे सभी कदमों का चीन ने विरोध जताया है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने स्पष्ट कहा है कि “हांगकांग चीन का विशेष प्रशासनिक क्षेत्र है” और हांगकांग पर किसी भी तरह की प्रतिक्रिया को “चीनी राजनीति में विदेशी हस्तक्षेप” माना जाएगा।