चीन की घटती आबादी देश के लिए सबसे बड़ी समस्या बन गई है। यहां लगातार बूढ़े लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसका मुख्य कारण एक बच्चे की नीति को बताया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए 1980 से 2015 तक लागू रही ‘वन चाइल्ड पॉलिसी’ उसके लिए भस्मासुर जैसी साबित हुई है। अब इस संकट से निदान पाने के लिए जिनपिंग सरकार ने कई अनोखे कदम उठाए हैं
पिछले कुछ सालों से पड़ोसी देश चीन ने वर्ष 1980 के दशक में ‘वन चाइल्ड पॉलिसी’ को सख्ती से लागू किया था, तो वहीं अब घटती आबादी ने उसकी चिंता बढ़ा दी है। नौबत यह है कि साल 2015 में 2 बच्चे फिर 2021 में तीन बच्चे पैदा करने की अनुमति दी गई और अब संकट को देखते हुए बच्चों की संख्या पर लगी लिमिट को हटा दिया गया है। यहां तक कि बिन ब्याही माओं को भी वे सरकारी सुविधाएं दी जा रही हैं जो पहले केवल शादीशुदा महिलाओं को बच्चा पैदा करने पर मिलती थी।
दरअसल कभी जनसंख्या की तीव्र वृद्धि से परेशान चीन के लिए अब घटती आबादी सबसे बड़ी समस्या बन गई है। यहां लगातार बूढ़े लोगों की आबादी बढ़ती जा रही है। देश में ‘वन चाइल्ड पॉलिसी’ से पिछले कुछ दशकों में जन्मदर घट गई है। जानकारों का कहना है कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए 1980 से 2015 तक लागू रही वन-चाइल्ड पॉलिसी उसके लिए भस्मासुर जैसी साबित हुई है। अब इस संकट से निदान पाने के लिए जिनपिंग सरकार ने कई अनोखे कदम उठाए हैं । इनमें ‘फॉल इन लव वेकेशन’, ‘पेड प्रेगनेंसी लीव’, ‘एक्सपेंसिव मैरिज बैन’, ’आईवीएफ फ्री फैसिलिटी’, ‘अनमैरिड चाइल्ड सब्सिडी’ शामिल हैं। इसी कड़ी में चीन ने बिना शादी के भी बच्चे पैदा करने की मंजूरी दे दी है।
मैटरनिटी लीव : चीन में पहले अगर किसी मां को बच्चा पैदा करने के बाद सरकारी सुविधाएं लेनी होती थी तो उसे बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र दिखाकर पंजीकरण कराना होता था। यह केवल शादीशुदा महिलाएं कर सकती थीं। लेकिन अब नियमों में बदलाव के बाद सरकारी सुविधाओं का लाभ बिन ब्याही मां भी ले पाएंगी। उनको मेडिकल खर्च से लेकर मैटरनिटी लीव तक दी जा रही हैं। आईवीएफ सुविधा : पिछले 60 सालों में पहली बार जनसंख्या गिरावट के कारण चीनी सरकार इन-विट्रो फर्टिलिटी (आईवीएफ) से जुड़ी सेवाओं को सरल बनाने की कोशिश कर रही है। इससे देश भर में प्रजनन दर को बढ़ाने में मदद मिलेगी। इसे एक बिजनेस के रूप में भी देखा जा रहा है, क्योंकि यह पहले से ही दुनिया का सबसे बड़ा बाजार रहा है। इनवो बायोसाइंस में एशिया पैसिफिक के बिजनेस डेवलपमेंट के निदेशक यवे लिप्पेंस के अनुसार ‘अगर चीन सिंगल महिलाओं को बच्चे पैदा करने की अनुमति देने के लिए अपनी नीति में बदलाव करता है तो इसके परिणामस्वरूप आईवीएफ की मांग में बढ़ोतरी हो सकती है।’ इन-विट्रो फर्टिलिटी एक उपचार तकनीक है, जिसमें महिला के गर्भधारण करने वाले अंडे और पुरुष के स्पर्म को लैब में फर्टिलाइज करके भ्रूण का निर्माण किया जाता है।
‘ब्राइड प्राइस’ परंपरा खत्म : चीन में होने वाली शादियों में बहुत पैसा खर्च किया जाता है। यहां शादी के रीति-रिवाज में लगभग साल भर लग जाता है। इसके अलावा शादी में खर्च भी बहुत होता है। ज्यादा खर्च होने की वजह से बहुत से लोग शादी भी नहीं कर पाते हैं। इस तरह की समस्याओं से निपटते हुए अब चीन सरकार ने ‘ब्राइड प्राइस’ नाम की परंपरा खत्म करने का एलान कर दिया है। इस परंपरा में लड़के वाले लड़की वालों को दहेज देते थे। इसमें लोगों की सारी पूंजी लग जाती है। इन परंपराओं के चलते बहुत से लोग शादी नहीं कर पाते थे। दहेज प्रथा और महंगी शादियों के खिलाफ सरकार के साथ-साथ अब लोगों ने भी कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।
लिव-इन में कर सकते हैं बच्चे पैदा : चीन में रूढ़िवादी समाज है और वहां सख्त नियमों का पालन कराया जाता है। लेकिन इन दिनों चीन की सरकार जनसंख्या बढ़ाने के लिए ऐसे कई उपाय अपना रही है। इन नियमों के अनुसार अब लिव इन में रह रहे जोड़े भी मां-बाप बन सकते हैं।
फॉल इन लव वकेशंस : एक रिपोर्ट के मुताबिक फैन मेई एजुकेशन ग्रुप से नौ कॉलेज जुड़े हुए हैं। इनमें से एक कॉलेज मियायांग फ्लाइंग वोकेशनल कॉलेज ने 1 अप्रैल से 7 अप्रैल तक युवा जोड़ों को छुट्टी दी ताकि वे बिना किसी टेंशन के रोमांस कर पाएं। मियायांग फ्लाइंग वोकेशनल कॉलेज के डिप्टी डीन लियांग गुओ हुई ने इस तरह के अनोखे प्रयोग पर अपना अनुभव दर्ज कर कहा कि उन्हें उम्मीद है कि उनके कॉलेज के छात्र सरकार द्वारा दी जा रही एक हफ्ते की छुट्टी के जरिए अपने पार्टनर्स को अधिक समय दे सकेंगे और प्रकृति का आनंद लेते हुए प्यार को महसूस करेंगे। प्रेम की भावनाओं के प्रति आकर्षित होंगे। साथ ही उन्हें कहा भी गया है कि वह इस दौरान महसूस होने वाले अपने अनुभवों को डायरी में लिख कर उनके लिए आगे प्रयास करेंगे और जल्द ही किसी नतीजे पर पहुंचेंगे।
तीन बच्चे पैदा करें कपल : चीनी सरकार ने 2021 में नियमों में बदलाव कर बच्चा पैदा करने की सीमा तीन कर दी थी। मगर चीन के लोग बच्चे पैदा करने में हिचक रहे हैं। जबकि ऐसा नहीं कह सकते कि समय की कमी और लोगों की व्यस्त जिंदगी के कारण वह ऐसा नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि 2021-2022 तक कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन में लोग घरों में ही थे, लेकिन इसके बाद भी कपल बच्चा पैदा नहीं कर रहे हैं। गौरतलब है कि चीन की जनसंख्या में साल 1961 के बाद सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। चीन में अब नकारात्मक जनसंख्या ग्रोथ शुरू हो गई है। मरने वालों का आंकड़ा, पैदा होने वाले बच्चों से ज्यादा है। चीन के नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिक्स के आंकड़ों के अनुसार, साल 2022 के अंत में देश की जनसंख्या 1.41175 अरब थी जो कि साल 2021 के 1.41260 अरब के मुकाबले कम है। इसका मुख्य कारण कई दशकों तक जनसंख्या नियंत्रण नीति लागू रही और माना जा रहा है कि उन जनसंख्या नियंत्रण के उपायों के चलते ही देश की जनसंख्या में गिरावट आ रही है। आबादी में गिरावट, बुजुर्ग होती आबादी और जनसांख्यिकी में आ रहे बदलावों को रोकने के लिए चीन की सरकार कई नीतियां लेकर आई है, जिससे लोग एक से ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए प्रेरित हो जिनमें आथि्र्ाक और सामाजिक सुरक्षा शामिल है लेकिन इसके बावजूद चीन की आबादी नहीं बढ़ पा रही है। साल 2021 में चीन में जन्मदर 7.52 बच्चे प्रति एक हजार लोग थी। बीते साल यह घटकर 6.77 बच्चे प्रति एक हजार हो गई। इससे चीन की जनसंख्या में 10 लाख से ज्यादा बच्चे कम पैदा हुए। इतना ही नहीं चीन में मृत्युदर भी साल 1976 के बाद सबसे ज्यादा है। चीन में 2022 में मृत्युदर 7.37 मौतें प्रति एक हजार लोग रही।
बुजुर्ग होती जनसंख्या के चलते चीन के सरकारी खजाने पर भी बोझ बढ़ रहा है और चीन की सरकार को बुजुर्गों की देखभाल और पेंशन आदि पर ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में यह खर्च और बढ़ेगा। बढ़ती मकान की कीमतों, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि पर बढ़ते खर्च की वजह से लोग अब ज्यादा बच्चे पैदा नहीं करना चाहते। वर्ष 1980 में चीन की सरकार ने बढ़ती आबादी की वजह से अपने यहां ‘वन चाइल्ड पॉलिसी’ लागू कर दी थी। साथ ही एक से ज्यादा बच्चे पैदा होने पर दंडित करने का प्रावधान भी किया था। अब चीन का यह फैसला ही उसे भारी पड़ता दिख रहा है।
चीन के सरकारी आंकड़ों के अनुसार साल 2020 में चीनी आबादी के 17.8 प्रतिशत लोग 60 साल से अधिक उम्र वाले लोग हैं। अगर यही हाल रहा तो 2050 तक यह कुल आबादी का 40 फीसदी हो जाएगी। वर्ष 2022 में चीन में प्रति 1,000 लोगों पर सिर्फ 6 .77 बच्चों का जन्म हुआ, जो अब तक का सबसे कम आंकड़ा है। जबकि वर्ष 2021 में यह आंकड़ा 7.52 था। वर्ष 1980 और 2015 के बीच लागू की गई एक-बच्चे की नीति के कारण चीन को घटती जनसंख्या दर का सामना करना पड़ रहा है। वर्ष 1980 से 2015 तक चीन द्वारा लागू की गई एक- बच्चे की नीति के कारण चीन की जनसंख्या में गिरावट आई है। चीन द्वारा घोषित जनसंख्या अनुमानों के अनुसार उसकी आबादी में पिछले वर्ष 8 .5 लाख की गिरावट दर्ज की गई है। वर्ष 1960 के बाद चीन की जनसंख्या में इस तरह की गिरावट पहली बार देखी गई है।