विश्वभर में कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन लगा हुआ है। जिससे आर्थिक मंदी की चिंता बढ़ती जा रही है। यह समय कच्चे तेल उत्पादकों के लिए भी किसी चुनौती से कम नहीं है। विकराल रूप धारण कर रहे इस जानलेवा वायरस का असर अब कच्चे तेल पर भी हो रहा है। आर्थिक गतिविधियों लगभग ठप्प है जिसके चलते कच्चे तेल की मांग में गिरावट आ रही है तो इसके दाम को प्रभावित भी कर रही है।
लगातार दाम में गिरावट के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार संकट में आ गया है। सोमवार को अमेरिकी के बेंचमार्क क्रूड वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) ने कहा कि सोमवार को अब तक के इतिहास में सबसे बुरा दिन देखा गया। सोमवार को अंतरराष्ट्रीय बजार में अमेरिकी वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट में कच्चे तेल का भाव गिरकर जीरो डॉलर प्रति बैरल से भी नीचे के स्तर पर पहुंच गया है।
United States benchmark West Texas Intermediate (WTI) #Oil price closes at -$37.63/barrel: AFP news agency
— ANI (@ANI) April 20, 2020
कीमत में गिरावट चिंताजनक
इससे पहले दिन में बाजार खुलने पर यह भाव 10.34 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया था जो 1986 के बाद इसका सबसे निचला स्तर था। कोरोना वायरस के कहर के बीच दुनियाभर में कच्चे तेल की घटती मांग के चलते इसकी कीमत लगातार गिर रही है। जो बेहद चिंताजनक है। उद्योगपति और व्यापारियों का कहना है कि कीमत में यह गिरावट चिंताजनक है। क्योंकि मई डिलीवरी के अनुबंधों का निस्तारण सोमवार शाम तक कर दिया जाना है। लेकिन कोई निवेशक तेल की वास्तविक डिलीवरी लेने में रूचि नहीं दिखा रहा है। अमरीकी स्टोरोज फैसिलिटी अब तेल की फीकी पड़ती चमक और मांग में कमी दोनों से चिंता में हैं।
इससे पहले भी ऑयल इंडस्ट्री मांग में कमी और उत्पादकों के बीच प्रोडक्शन कम करने को लेकर छिड़ी बहस की वजह से दिक्क्तों का सामना कर रही थी। इस महीने के शुरू में ही ओपेक सदस्य देशों और इसके सहयोगी तेल उत्पादन में 10 फ़ीसदी तक की कमी लाने को सहमत हुए थे। तेल उत्पादन में इतनी बड़ी कमी लाने को लेकर यह पहली डील थी। क्योंकि इसमें तेल के सबसे बड़े निर्यातक ओपेक और इसके सहयोगी जैसे रूस, पहले ही तेल के उत्पादन में रिकॉर्ड कमी लाने पर राजी हो चुके थे।
अमेरिका और कुछ बाकी देशों ने तेल के उत्पादन में कमी लाने का निर्णय लिया था। एक्सिकॉर्प के चीफ़ ग्लोबल मार्केट स्ट्रैटेजिस्ट स्टीफ़न इन्स ने कहा, ”बाज़ार को यह समझने में देर नहीं लगी कि ओपेक प्लस तेल कीमतों में संतुलन नहीं बना पाएगा, ख़ास मौजूदा हालात में तो बिल्कुल नहीं।” जानकारों का कहना है कि इस वक्त दुनिया के पास प्रयोग में लाने से अधिक कच्चा तेल उपलब्ध है। आर्थिक गिरावट दुनिया भर में कच्चे तेल की मांग में आई कमी का नतीजा है।