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नस्ली हिंसा पर भिड़े ओबामा-ट्रंप

अमेरिकी इतिहास में ऐसा कम ही हुआ है जब किसी मुद्दे पर संवैधानिक पद पर रह चुके दो नेता खुलकर एक दूसरे की आलोचना पर उतर जाएं। 2016 में अमेरिका के राष्ट्रपति पद से हटने के बाद बराक ओबामा ने वर्तमान राष्ट्रपति ट्रैम्प को कार्यशैली को लेकर अपनी चुप्पी पहली बार तोड़ी तो मानो देश की राजनीति में भूचाल आ गया। विवादित बयान देने के लिए चर्चित ट्रैम्प ने ओबामा पर प्रहार शुरू कर दिए हैं। दरअसल ट्रैम्प  के शासनकाल में अमेरिकी लोकतंत्र लगातार नस्ली हिंसा को बढ़ते देख रहा है। इस मुद्दे का अब 2020 में प्रस्तावित अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव पर बड़ा असर पड़ना तय है। अमेरिका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ‘ओहियो’, ‘टेक्सास’ व अन्य अमेरिकी शहरों में बढ़ रही नस्ली हिंसा पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए एक चार पेज की विज्ञप्ति जारी कर डाली है।

इसमें ओबामा ने हालांकि ट्रैम्प पर सीधे आरोप नहीं लगाया, लेकिन उन्होंने हमला ट्रैम्प  पर ही किया। ओबामा ने लिखा ”We should soundly reject language coming out of the months of any of our leaders that feeds a climate of war and hatered or normalizes racist sentiments” जाहिर है वे ट्रैम्प के उन नस्ली समर्थक बयानों का जिक्र कर रहे हैं जो उनके अनुसार बेहद गलत है। ओबामा ने टंªप पर निशाने साधते हुए इस बयान पर लिया। ‘अमेरिका ऐसे नेताओं को रिजेक्ट करे जो मानते हंै कि एक विशेष प्रकार (गोरे) के लोगों का ही मुल्क अमेरिका हो सकता है।’ ओबामा के बयान से तिलमिलाए राष्ट्रपति ट्रैम्प  ने तत्काल एक ट्वीट  कर ओबामा को सीधे अपने निशाने पर ले डाला है। उन्होंने ट्वीट  में लिखा ‘ओबामा के समय में 32 बार सामूहिक हत्या कांड हुए थे। लेकिन उनसे पहले राष्ट्रपति रहे जाॅर्ज बुश ने क्या कोई टिप्पणी की?

ओबामा के बयान और उस पर ट्रैम्प के पलटवार के बाद अब दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र और सबसे शक्तिशाली देश में एक बड़ी बहस छिड़ चुकी है।

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