पिछले कुछ सालों में चरमपंथी संगठन तालिबान, अफगानिस्तान में बड़ा खतरा बनकर उभरा है। अफगान शांति वार्ता का भी सिलसिला जारी है पर इन सबके बावजूद कोई समाधान नहीं निकल पा रहा है।
दोहा में पिछले साल फरवरी में अमेरिका और तालिबान के बीच समझौता हुआ था। लेकिन इसके बावजूद अफगानिस्तान में हिंसा में बढ़ावा देखने को मिला। जिसकी वजह रही राष्ट्रपति अशरफ गनी की सरकार तालिबान के एजेंडे पर राजी नहीं है। अफगानिस्तान में हित रखने वाले अन्य पक्ष भी यहां कट्टरपंथी इस्लामी व्यवस्था की वापसी नहीं चाहते हैं। इसके जवाब में तालिबान ने हिंसा तेज कर दी है।
संयुक्त राष्ट्र अफगानिस्तान सहायता मिशन (यूएनएएमए) की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, पिछले सितंबर में शांति वार्ता की शुरुआत के बाद से मारे जाने वाले नागरिकों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है।
अब इस महीने 13 अप्रैल को तुर्की ने अफगानिस्तान के विभिन्न संघर्षरत पक्षों के मध्य इस्तांबुल में 10 दिनों के शांति सम्मेलन की मेजबानी करने की घोषणा की है।
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तुर्की के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इस सम्मेलन में तालिबान और अफगानिस्तान सरकार के प्रतिनिधियों के अलावा तुर्की, कतर और संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी सम्मिलित रहेंगे। सबसे अहम बात ये है कि चर्चा थी कि भारत को इस मामले में नहीं शामिल किया गया है। लेकिन भारत भी इस सम्मेलन में आमंत्रित है। 24 अप्रैल से चार मई तक ये सम्मेलन होगा।
गौरतलब है कि तालिबान के एक प्रवक्ता द्वारा 12 अप्रैल को कहा गया कि इस हफ्ते होने वाले इस शांति सम्मेलन में धार्मिक मिलिशिया शामिल नहीं होगी। ऐसे समय पर ही अचानक ये घोषणा की गई। जिससे अमेरिका का शांति योजना का ये प्लान अब असफल होता दिख रहा है।
सम्मेलन में भाग लेने वालों के बारे में तुर्की के विदेश मंत्रालय ने विस्तृत जानकारी नहीं दी। कहा गया कि अंतर अफगान वार्ता में तेजी लाना बैठक का मकसद है जो इस समय दोहा में जारी है। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि सम्मेलन के सह आयोजक एक संप्रभु, स्वतंत्र और एकीकृत अफगानिस्तान के समर्थक हैं।
बिडेन ने बढ़ाई US आर्मी को बुलाने की डेडलाइन
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने यूएस आर्मी को अफगानिस्तान से बुलाने की समय सीमा भी बढ़ा दी है। ट्रंप के कार्यकाल में 1 मई को अफगानिस्तान से यूएस आर्मी को बुलाना था लेकिन बिडेन असमंजस में दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने अमेरिकी सैनिकों को इस साल 11 सितंबर तक युद्धग्रस्त अफगानिस्तान से वापस बुला लेने की योजना बनाई है। अधिकारियों के अनुसार, यूएस आर्मी 9/11 की 20वीं बरसी पर अफगानिस्तान को अलविदा कह देगी।
गौरतलब है कि अफगानिस्तान की वेबसाइट तोलोन्यूज.कॉम ने इस बीच खबर भी दी थी कि अब भी अफगानिस्तान में शांति की संभावना न हो पाने के डर से एक मई तक अमेरिकी राष्ट्रपति अमेरिकी सैनिकों की अफगानिस्तान से वापसी को टालने की सोच रहे हैं। अगले एक नवंबर तक वे इस समयसीमा को कम से कम बढ़ा देंगे। पिछले कई हफ़्तों से बिडेन इस बात का इशारा भी कर रहे थे कि वह जल्द ही यूएस आर्मी को अफगानिस्तान से वापस बुला लेंगे। लेकिन जैसे-जैसे दिन बीतते गए साफ होने लगा कि बचे 2,500 सैनिकों की वापसी अभी असंभव नजर आ रही है।