करीब तीन सालों से दुनिया कोरोना महामारी से अभी पूरी तरह से उभरी भी नहीं थी कि अब एक नए वायरस की दस्तक ने दुनिया की नींद उड़ा दी है। कोरोना वायरस के कहर को पूरी दुनिया ने देखा। कोरोना के कारण महीनों तक कई देशों को लॉकडाउन का सामना करना पड़ा और करोड़ों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। दुनिया के ज्यादातर देशों को कोरोना संक्रमण के कारण आर्थिक नुकसान भी पहुंचा। काफी समय बाद एक बार फिर से लोगों की जिंदगी कोरोना सेउभर कर पटरी पर लौट ही रही थी, कि अब एक नए वायरस ‘मारबर्ग’ की दस्तक ने होश उड़ा दिए हैं। खबरों मुताबिक मारबर्ग वायरस के कारण घाना में पिछले महीने 2 लोगों की मौत हो गई थी। ये दोनों लोग मारबर्ग वायरस से संक्रमित पाए गए थे। प्रशासन ने दोनों के संपर्क में आने वाले लोगों को आइसोलेट कर दिया है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) ने भी इसे लेकर अलर्ट जारी कर कहा कि अगर मारबर्ग वायरस को लेकर तुरंत सावधानियां नहीं बरती गईं तो इस वायरस के फैलने पर हालात बेकाबू हो सकते हैं।
डब्ल्यूएचओ की ओर से चिंता जताते हुए बताया गया है कि वर्ष 1967 से अब तक दक्षिण और पूर्वी अफ्रीका में इस खतरनाक वायरस के मामले सामने आ चुके हैं। मारबर्ग इबोला वायरस से भी तेज गति में फैल रहा है। वर्ष 1967 में ऐसा माना जाता था कि जो भी इस वायरस की चपेट में आता था उसकी स्थिति जानलेवा बन जाती थी। डब्लूएचओ के अलावा भारत में भी स्वास्थ्य संस्थान इस खतरनाक वायरस को लेकर अलर्ट हो गए हैं। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद् के पूर्व महानिदेशक एनके गांगुली ने भी इसे लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है और इसके लक्षण भी फ्लू जैसे ही दिखते हैं। गांगुली ने यह भी बताया कि अभी तक इसके लिए कोई वैक्सीन तैयार नहीं हुई है। अभी तक इसके मामले सिर्फ अफ्रीका में ही सामने आए हैं।
क्या है मारबर्ग वायरस
मारबर्ग वायरस कोरोना की ही तरह चमगाड़ों के स्रोत के कारण होने वाली बीमारी है। विशेषज्ञों के मुताबिक, संक्रमित जानवर से इंसानों में वायरस के क्रासओवर के बाद इसका एक से दूसरे व्यक्ति में संचरण हो सकता है। जानकारों के मुताबिक मारबर्ग वायरस के कारण मारबर्ग वायरस डिसीज का खतरा होता है और इसकी मृत्यु दर 88 फीसदी से अधिक हो सकती है।
बताया जा रहा है कि मारबर्ग इबालो से भी ज्यादा तेजी से फैलाता है। साल 1967 में जर्मनी के मारबर्ग और फ्रैंकफर्ट में सबसे पहले इस वायरस का प्रकोप देखा गया था।
मारबर्ग वायरस के लक्षण
विशेषज्ञों के मुताबिक, मारबर्ग वायरस से पीड़ित इंसान में इसके लक्षण आने में 2-21 दिन का समय लगता है। इससे संक्रमित मरीज में बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द और मायलगिया जैसे लक्षण दिख सकते हैं। अगर समय पर इसका इलाज नहीं किया जाता तो यह जानलेवा साबित हो सकता है।