म्यांमार में सैन्य तख्तापलट को अब तक 17 दिन बीत चुके हैं लेकिन विरोध कर रही जनता अब भी सड़कों पर है और लोकतंत्र बहाली की मांग कर रही है। सेना के खिलाफ प्रदर्शन इसलिए हो रहा है कि उसने तख्तापलट करके लोकतंत्र खत्म कर दिया है। लेकिन इस बात को यहां की मिलिट्री मानने ही तैयार नहीं है।
16 फरवरी, मंगलवार को म्यांमार सेना (जुंटा) के प्रवक्ता द्वारा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया गया कि सेना की ओर से किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है न ही कोई तख्तापलट किया गया है। ये कुछ लोगों द्वारा देश में हिंसा और अफवाहें फैलाने की साजिश मात्र है। तो वहीं चीन ने भी तख्तापलट में म्यांमार आर्मी को मदद जैसे आरोपों से इंकार किया है। हालांकि अब म्यांमार में चीन की दिक्कत अब म्यांमार में भी बढ़ रही है। यहां बौद्ध भिक्षु भी तख्तापलट के विरोध में सड़कों पर उतर आए हैं और चीन विरोधी नारे लगा रहे हैं।
चुनाव जरूर कराएंगे: जुंटा
तख्तापलट के बाद 16 फरवरी, मंगलवार को पहली बार म्यांमार की सेना के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल जे मिन तुन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने इस दौरान कहा- हमारा प्रयास है कि जल्द से जल्द देश में नए चुनाव करवाए जाएं और जो भी पार्टी जीत हासिल करे उसे सत्ता पर काबिज किया जाए। लेकिन सेना ऐसा कब करेगी इसकी उन्होंने कई बार पूछे जाने पर भी कोई जानकारी नहीं दी। सेना जनरल ने ये जरूर बताया कि एक साल के पहले इमरजेंसी नहीं हटाई जाएगी। साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया कि सेना ज्यादा समय तक सत्ता में रहने की इच्छुक नहीं है।
मिन ने कहा कि हम यह गारंटी देते हैं कि चुनाव अवश्य होंगे । कुछ देर के लिए सेना ने इंटरनेट खोला और इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को लाइव स्ट्रीम किया।
आंग सान सू की नहीं हिरासत में
किसी पार्टी के नेता को हिरासत में लिया गया है इस बात से मिन ने इंकार कर दिया।उन्होंने कहा- सभी नेता अपने घरों में सुरक्षित हैं बस उनकी सुरक्षा में बढ़ोतरी की गई है।
बहरहाल, भले ही सेना कुछ भी कहे या करे मगर जनता को सेना की किसी बात पर विश्वास नहीं है। लगातार सड़कों पर जनता विरोध जता रही है। दुनिया को डर इस बात का है कि इंटरनेट बंद होने की वजह से लोगों पर सेना के जुल्म बढ़ जाएंगे और इसकी हकीकत बहुत मुश्किल से सामने आ पाएगी।