कोरोना महामारी की काट ढूंढ़ने में दुनियाभर केतमाम चिकितस्क जुटे हुए हैं। इस बीच अमेरिका से एक अच्छी खबर सामने आई है। अमेरिकी दवा कंपनी मोडेरना इंक नेशनल इस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ और कोरोना एक्सपर्ट डॉक्टर एंथनी फाउची की टीम द्वारा तैयार की गई एक वैक्सीन अपने पहले प्रयोग में सफल हुई है । डाँक्टर एंथनी का कहना है कि इस वैक्सीन ने पहले परीक्षण में लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली को वैसा ही फायदा पहुंचाया है जैसी हमें उम्मीद थी। डॉ एंथनी ने आगे कहा कि जल्द ही आमलोगों तक यह वैक्सीन पहुंचाई जाएगी। इस वैक्सीन का अहम समय 27 जुलाई से शुरू होगा और करीब तीस हजार लोगों पर इसका परिक्षण किया जाएगा। जिससे यह साफ़ हो जाएगा कि यह वैक्सीन वाकई में कोविड -19 से मानव शरीर को बचा सकती है। 14 जुलाई को अमेरिकी रिसर्च टीम ने इस वैक्सीन के 45 स्वयंसेवकों पर किए गए परीक्षण के नतीजे जारी किए।
इन नतीजों के मुताबिक इन वॉलंटियर्स के शरीर में न्यूट्रालाइज़िंग एंटी बॉडी विकसित हुई है। ये एंटी बॉडी इंफ़ेक्शन को रोकने के लिए अहम होते हैं और कोरोना जैसे वायरस से लड़ने में सक्षम माने जाते हैं। रिसर्च टीम ने न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ़ मेडिसिन में लिखा है कि वैक्सीन लेने वाले वॉलंटियर के रक्त में उतने ही एंटीबॉडी मिले हैं जितने कोविड-19 से ठीक हुए मरीज़ों के शरीर में मिलते हैं।
वॉशिंगटन रिसर्च इस्टीट्यूट से जुड़ीं डॉ. लीसा जैक्सन के मुताबिक इस साल के अंत तक ट्रायल पूरे हो जाएंगे और सब ठीक रहा तो दुनिया के पास एक वैक्सीन होगी। इस वैक्सीन के दो टीके दिए जाएंगे जिनके बीच एक महीने का अंतर होगा। इस वैक्सीन का कोई गंभीर साइड इफेक्ट नहीं है। हालांकि शोध में शामिल आधे से ज़्यादा लोगों ने फ्लू जैसा रिएक्शन दर्ज किया है।
वांडरबिल्ट यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर से जुड़े शोधकर्ता डॉ. विलियम शाफ़नर ने कहा कि किसी वैक्सीन के टीके से हल्का बुखार और सिर दर्द या उल्टी आना एक महामारी से सुरक्षा की बेहद छोटी सी कीमत है। उन्होंने वैक्सीन के शुरुआती नतीजों को अच्छा क़दम बताया है। उन्हें उम्मीद है कि दवा के अंतिम ट्रायल से पता चल सकेगा कि ये सुरक्षित और प्रभावी है या नहीं।ये नतीजे अगले साल की शुरुआत तक मिल जाएंगे। शाफनर कहते हैं कि ये शानदार होगा, बशर्ते सबकुछ अपने समय पर हो। 14 जुलाई को शुरुआती नतीजे आने के बाद अमेरिकी शेयर बाज़ार में मोडेरना इंक के शेयरों के दाम पंद्रह प्रतिशत तक बढ़ गए।
फ़िलहाल 45 लोगों पर जो टेस्ट किया गया है उसमें सभी युवा शामिल थे जबकि अब होने जा रहे टेस्ट में बुज़ुर्गों को भी शामिल किया जा रहा है। डॉ फॉसी ने कहा कि इसका परीक्षण गंभीर बीमारियों से पीड़ित कोरोना संक्रमितों पर भी होना बाकी है। गौरतलब है कि दुनिया भर में क़रीब दो दर्जन वैक्सिन अपने ट्रायल के अंतिम चरण में हैं। चीन और ब्रिटेन की ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन भी जल्द ही परीक्षणों के अंतिम चरण में आ रही हैं। अमेरिकी सरकार ऑक्सफ़र्ड की वैक्सीन और जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन पर भी बड़ा शोध करने की तैयारी कर रही है। इसके अलावा फ़ाइज़र कंपनी की वैक्सीन का भी बड़े पैमाने पर अध्ययन होना है।