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सैन्य खर्च अपने सर्वोच्च स्तर पर

अंदेशा लगाया जा रहा है कि दुनिया लगातार तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ रही है। रूस यूक्रेन युद्ध अपने तीसरे साल में प्रवेश कर चुका है। वहीं इजरायल- हमास युद्ध को भी लंबा समय हो गया है। इसी बीच स्वीडन के स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट के शोध अनुसार दुनिया में इस वक्त हथियारों ,गोला -बारूद और दूसरे सैन्य साजों समान पर विभिन्न देश जितना धन खर्च कर रहे हैं ,उतना इससे पहले कभी नहीं हुआ। 22 अप्रेल को जारी सिपरी की ताजा रिपोर्ट अनुसार साल 2023 में वैश्विक सैन्य खर्च एक नए रिकॉर्ड पर पहुंच गया है। रिपोर्ट मुताबिक साल 2023 में सैन्य खर्च 2022 के मुकाबले 6.8 फीसदी बढ़कर 24.4 खरब डॉलर पर पहुंच गया। इससे पहले 2022 में यह खर्च22.4 खरब डॉलर था।

गौरतलब है कि साल 2009 के बाद यह एक साल में सबसे बढ़ी वृद्धि है। इस वृद्धि में जिन दस देशों का योगदान सबसे ज्यादा है उनके सैन्य खर्च में काफी बढ़ोतरी हुई है। इस वृद्धि में एक बड़ी भूमिका रूस यूक्रेन युद्ध भी निभा रहा है। ‘सिपरी’ के शोधकर्ता लॉरेंजो स्काराजातो का कहना है कि जिन क्षेत्रों के खर्चों पर नजर रखी जाती है , उन सभी में वृद्धि हुई है। इससे संकेत मिलता है कि दुनिया अब कम सुरक्षित महसूस कर रही है और कूटनीति के बजाय दूसरे तरीकों की ओर जा रही है। दुनिया तनाव और अस्थिरता महसूस कर रही है और उसे हल करने के लिए कूटनीतिक तरीकों का सहारा लेने के बजाय सख्त सुरक्षा उपायों पर निर्भर हुआ जा रहा है। ऐसे में सैन्य खर्च का निवेश बढ़ रहा है। सिपरी के शोधकर्ता लॉरेंजो स्काराजातो ने कहा कि सैन्य निवेश में बढ़ रही वृद्धि में मुख्य कारकों में से एक तो रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध है। यूरोप में सैन्य खर्चएकाएक बढ़ा है।

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अमेरिका सबसे ज्यादा सैन्य खर्च करने वाले देशों में सबसे आगे बना हुआ है। साल 2023 में ज्यादा सैन्य खर्च करने वाले देशों में अमेरिका अब भी सबसे ऊपर बना हुआ है। 2023 में मेरिका ने 916 अरब डॉलर इसमें खर्च किए जो दुनियाभर के कुल खर्च का 37 फीसदी यानी एक तिहाई से भी ज्यादा है। इसके बाद दुसरे नंबर पर चीन है ,जिसका अमेरिका के लगभग एक तिहाई है। चीन द्वारा अबतक सेना के ऊपर 296 अरब डॉलर खर्च किया जा चुका है। जो कुल खर्चे का 12 फीसदी ज्यादा है ,इन दोनों देशों ने ही कुल खर्च में आधे का योगदान दिया रिपोर्ट मुताबिक साल 2022 में सबसे ज्यादा खर्च करने वाले पांच देश थे और ये देश इस मामले में ज्यों के त्यों बने रहे हैं। वहीं तीसरे नंबर पर इस मांमले में रूस है। इस मामले में भारत चौथे नंबर पर है। 2023 में रूस का खर्च 2022 के मुकाबले 24 फीसदी बढ़कर 109 अरब डॉलर पर पहुंच गया। साल 2014 में जब रूस ने क्रीमिया को यूक्रेन से अलग किया था, तब के बाद से यह 57 फीसदी की वृद्धि है। रूस अपनी जीडीपी का 5.9 फीसदी सेना पर खर्च कर रहा है। यह 4.2 फीसदी ज्यादा था। वहीं इस रिपोर्ट में मुताबिक सैन्य खर्च करने के मामले में सूची में आठवे नंबर पर यूक्रेन है। उसका खर्च 51 फीसदी बढ़कर 64.8 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो उसकी कुल जीडीपी का 37 फीसदी है।

सैन्य खर्च में सबसे बड़ी वृद्धि कांगो लोकतान्त्रिक गणराज्य में हुई है। इस देश में सरकार और विद्रोहियों के बीच युद्ध जारी है ,उसका खर्च 105 फीसदी बढ़ा है। मध्य पूर्व में सऊदी अरब के बाद सबसे ज्यादा सैन्य खर्च करने वाले देश इजरायल है। इस मुल्क ने 2022 से 24 फीसदी ज्यादा, 27.5 अरब डॉलर खर्च किए हैं , उधर ईरान क्षेत्र में चौथा सबसे ज्यादा खर्च करने वाला देश रहा जिसने 10.3 अरब डॉलर का कुल खर्च किया। ईरान में सेना पर होने वाला खर्च 2019 में 27 फीसदी था जो अब बढ़कर 37 फीसदी हो चुका है।

 

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