वर्तमान में प्लास्टिक हमारे जीवन को सबसे ज्यादा पर्यावरण को प्रभवित कर रही है और यह हमारे लिए सबसे गंभीर चिंता का विषय हैं। पर्यावरण संबंधी एक समूह का कहना है कि धरती पर कचरा फैला रहे प्लास्टिक के लाखों टुकड़े पूरी दुनिया में फ़ैल जाते हैं। आज हमारे आस-पास प्लास्टिक ही प्लास्टिक है।
दुनिया में पहली बार वैज्ञानिकों ने इंसान के खून में माइक्रोप्लास्टिक के होने साक्ष्य पेश किए हैं। जो पूरी दुनिया के लिए चिंताजनक बात है। इससे ये साबित होता है कि दुनिया के हर कोने में प्लास्टिक है। अब ऐसे में इसका रक्त में पाया जाना पूरी दुनिया के लिए खतरे की घंटी है।
शोध में मानव रक्त में प्लास्टिक के कण पाए गए हैं, जो प्लास्टिक प्रदूषण के जोखिम को उजागर करते हैं। शोध वैज्ञानिक पत्रिका एनवायरनमेंट इंटरनेशनल में ये शोध प्रकाशित हुआ है।
पानी की बोतलों, थैलों, खिलौनों और रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल होने वाले ‘यूज एंड थ्रो’ चम्मचों में इंसान के खून में बारीक प्लास्टिक के कण पाए गए हैं। शोधकर्ताओं के एक दल के अनुसार, रक्त में माइक्रोप्लास्टिक पाए जाने का यह पहला मामला है।
वैज्ञानिक पत्रिका ‘एनवायरमेंट इंटरनेशनल’ में हुए शोध से पता चला है कि हम अपने दैनिक जीवन में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक के बहुत छोटे-छोटे टुकड़े इंसानों के खून में पाए गए हैं। पॉलीइथिलीन टेरेफ्थेलेट (पीईटी), पॉलीइथिलीन और पॉलिमर रक्त के नमूनों में पाए जाने वाले प्लास्टिक के सबसे सामान्य प्रकार हैं। पॉलीप्रोपाइलीन का भी विश्लेषण किया गया था। हालांकि, यह माप में बहुत कम था। एम्स्टर्डम में यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिजेज में एक इकोटॉक्सिकोलॉजिस्ट (पर्यावरण प्रदूषण पर शोध) हीथर लेस्ली ने कहा, “अब यह साबित हो गया है कि मानव शरीर के खून में प्लास्टिक है।” मानव रक्त में प्लास्टिक के सूक्ष्म और नैनोकणों को ट्रैक करने के लिए शोधकर्ताओं की एक टीम एक विश्लेषण पद्धति के साथ आई है।
मानव रक्त में पाए जाने वाले प्लास्टिक पर और अधिक शोध की आवश्यकता है, जिससे यह देखना आसान हो जाएगा कि प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या कितनी बड़ी और गंभीर है। आगे के शोध से यह भी पता चलेगा कि प्लास्टिक के कणों से सार्वजनिक जीवन को कितना खतरा है।
एक रिपोर्ट में चीन, इंडोनेशिया, फिलीपीन, वियतनाम और श्रीलंका समुद्र में सबसे अधिक प्लास्टिक का कचरा फेंकता है।लेकिन एशिया में प्लास्टिक प्रदूषण पैदा करने वाले इसके असली कारक बहुराष्ट्रीय कंपनियां हैं।एक मेडिकल यूनिवर्सिटी ऑफ विएना और एनवायरमेंट एजेंसी ऑफ ऑस्ट्रिया के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया है कि तकरीबन नौ तरह की प्लास्टिक के कण खाने-पीने एवं अन्य तरीकों से इंसान के पेट में पहुंच रहे हैं। प्लास्टिक के ये कण लसीका तंत्र और लीवर तक पहुंच कर इंसान की रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित कर सकते हैं।