संयुक्त राष्ट्र ने ‘डिकेड इन रिव्यू’ रिपोर्ट में पाकिस्तान की सामाजिक कार्यकर्ता और नोबेल पुरस्कार (शांति) विजेता मलाला यूसुफजई को ‘विश्व की सबसे मशहूर किशोरी’ घोषित किया है।
इस समीक्षा रिपोर्ट में 2010 के मध्य से लेकर 2013 के अंत तक के कार्यक्रमों को शामिल किया गया था। द न्यूज इंटरनेशनल के मुताबिक, इनमें 2010 में हैती में आए भूकंप, 2011 के सीरियाई संघर्ष और 2012 में मलाला यूसुफजई द्वारा लड़कियों की शिक्षा को लेकर चलाए गए अभियान को शामिल किया गया।
2014 में मलाला को बच्चों के अधिकारों के प्रयास के लिए शांति का नोबेल पुरस्कार दिया गया था। साथ ही वह सबसे कम उम्र में नोबेल पुरस्कार जीतने वाली हस्ती बनीं। इसके बाद तालिबानी आतंकियों ने उन्हें सिर में गोली मार दी थी। संयुक्त राष्ट्र ने उन्हें 2017 में यूएन मैसेंजर ऑफ पीस भी बनाया था।
क्यों हुआ था मलाला पर हमला
मलाला जब 11 साल थी तब उन्होंने बीबीसी उर्दू सेवा के लिए एक गुमनाम ब्लॉग लिखना शुरू किया था। इस ब्लॉग में वो तालिबान शासन के दौरान के अपने जीवन के बारे में लिखा करती थीं। वह महिला शिक्षा को लेकर शुरुआत से ही मुखर रही हैं, इसलिए तालिबान ने जान-बूझकर उन्हें ही निशाना बनाया। जब वो 15 साल की थी तब उनकी स्कूल बस पर हमला किया गया था उस वक्त इस घटना ने अपनी ओर पूरी दुनिया का ध्यान केंद्रित किया था। इस हमले के बाद पाकिस्तानी तालिबान द्वारा जारी एक बयान में कहा था कि मलाला पश्चिमी सभ्यता की समर्थक हैं और पश्तो इलाके में वो इसका प्रचार कर रही हैं।