एक ओर जहां एक साल से ज्यादा समय से चल रहा इजराइल और हमास युद्ध लेबनान, ईरान तक पहुंच गया है, वहीं दूसरी तरफ तीन वर्षों से जारी रूस-यूक्रेन जंग अब खतरनाक मोड़ पर आ गई है। यूक्रेन ने अमेरिकी मिसाइल को दाग रूस में व्यापक पैमाने पर तबाही मचाई है। इसके बाद रूस ने इंटरकॉन्टिनेंटल मिसाइलों का प्रयोग कर ऐसा कदम उठाया जिससे पूरी दुनिया सहम गई है। रूसी हमले की आशंका को देखते हुए यूक्रेन में कई देशों ने अपने दूतावास बंद कर दिए हैं। ऐसी स्थिति को तीसरे विश्व युद्ध की आहट के रूप में देखा जा रहा है
वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में बहुत कुछ ऐसा घटित हो रहा है जिसने तीसरे विश्वयुद्ध की सम्भावना और आशंका को गहरा दिया है। हालांकि ऐसी स्थिति को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ समेत कई देश कूटनीति का सहारा ले रहे हैं लेकिन यूक्रेन और रूस के मध्य तेज हो रही लड़ाई को रोक पाने में ऐसे प्रयास कारगर होते नजर नहीं आ रहे हैं। दूसरी तरफ एक साल से भी ज्यादा समय से चल रही हमास-इजराइल जंग लेबनान से लेकर इजराइल और ईरान के बीच तक पहुंच चुकी है। पहले बात लगभग तीन साल से जारी रूस और यूक्रेन युद्ध की जो अब निर्णायक दौर पर जा पहुंची है। बाइडेन प्रशासन के फैसले के बाद यूक्रेन को अमेरिकी मिसाइलों से रूसी धरती पर हमले करने की छूट मिल गई है। इसके साथ ही फ्रांस की स्कैल्प और ब्रिटेन की स्टॉर्म शैडो क्रूज मिसाइल से भी रूसी धरती पर हमले किए जाएंगे। अमेरिका के इस फैसले के बाद रूस-यूक्रेन में जमीनी लड़ाई के बदले अब लंबी दूरी की मिसाइलों का इस्तेमाल होने लगा है। यूक्रेन ने रूस पर अमेरिकी आर्मी टैक्टिकल मिसाइल सिस्टम (एटीएसीएमएस) मिसाइलों से हमला करना शुरू कर दिया है तो रूस ने भी इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) दागकर बता दिया है कि वह किस हद तक जा सकता है। ऐसे में अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन से लेकर मॉस्को तक विश्वयुद्ध की आशंकाएं बढ़ गई हैं, वहीं रूसी हमले की आशंका को देखते हुए यूक्रेन में कई देशों ने अपने दूतावास बंद कर दिए हैं। ऐसे बदले हालात में तीसरे विश्वयुद्ध का खतरा मंडराने लगा है।
ये आशंकाएं इसलिए जोर पकड़ रही हैं क्योंकि बाइडेन ने यूक्रेन को अमेरिका और पश्चिमी देशों के हथियारों से रूसी जमीन पर हमले की छूट दे दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन के इस फैसले को तीसरे विश्व युद्ध का ‘मैनहट्टन प्रोजेक्ट’ कहा जा रहा है। अमेरिका का यही प्रोजेक्ट दूसरे विश्व युद्ध को परमाणु विनाश तक ले गया था और बाइडेन के फैसले की तुलना उसी से की जा रही है। अमेरिका ने 13 अगस्त 1942 को ‘मैनहट्टन प्रोजेक्ट’ की शुरुआत की थी। इसी प्रोजेक्ट के तहत पहला परमाणु बम बनाया गया। इसके बाद 6 अगस्त 1945 को हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए गए। उस बम धमाके से दूसरा विश्वयुद्ध खत्म हो गया लेकिन बाइडेन के फैसले से उलटा होने की आशंका है। अगर रूसी धरती पर धमाके हुए तो पुतिन तीसरे विश्वयुद्ध का बिगुल बजा सकते हैं। यूक्रेन फिलहाल तीन लॉन्ग रेंज मिसाइलों का इस्तेमाल कर रहा है।
अमेरिका की इस घोषणा के साथ ही रूसी संसद ने परमाणु सिद्धांतों का हवाला देते हुए अमेरिका से सीधी जंग की अंतिम चेतावनी जारी कर दी है। रूस ने कहा कि उसने उत्तरी पोलैंड में स्थित नए अमेरिकी बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस बेस को अपने टारगेट के प्रायोरिटी लिस्ट में शामिल कर लिया है। रूसी विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक बयान में कहा, ‘पोलैंड में तथाकथित अमेरिकी मिसाइल डिफेंस बेस को संभावित टारगेट के प्रायोरिटी लिस्ट में रखा गया है।’
सितंबर में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा था, अगर रूसी धरती पर पश्चिमी देशों के हथियारों से हमले होते हैं तो इसे अमेरिका-रूस की सीधी जंग माना जाएगा। ऐसी स्थिति में रूस अपनी संपूर्ण शक्ति का प्रयोग करने पर विचार करेगा। नए नियमों के तहत किसी भी गैर-परमाणु देश के समर्थन से रूस के विरुद्ध आक्रामकता को रूस पर संयुक्त हमले के रूप में माना जाएगा और विश्वसनीय जानकारी मिलने पर रूस परमाणु हथियारों के उपयोग की संभावना पर भी विचार करेगा।
यूक्रेन को मिल गई हमले करने की छूट
नाटो देशों ने अब यूक्रेन के हाथ खोल दिए हैं। बाइडेन प्रशासन के फैसले के बाद यूक्रेन को अमेरिकी मिसाइलों से रूसी धरती पर हमले करने की छूट मिल गई है। यूक्रेन अमेरिका की एटीएसीएमएस मिसाइल से रूसी एयरबेस, सैन्य बेस पर हमले करने के लिए आजाद है। इसके साथ ही फ्रांस की स्कैल्प और ब्रिटेन की स्टॉर्म शैडो क्रूज मिसाइल से भी रूसी धरती पर हमले किए जाएंगे।
अभी तक यूक्रेन इन मिसाइलों का इस्तेमाल ईस्टर्न फ्रंटलाइन तक कर रहा था। यानी यूक्रेनी धरती पर बनाए रूसी मोर्चों पर इन मिसाइलों से हमले किए जा रहे थे। अब ये मिसाइलें रूसी धरती पर बरसने को तैयार हैं और यूक्रेन ने रूस पर बड़े हमलों की तैयारी शुरू कर दी है।
अमेरिका से मिली आर्मी टैक्टिकल मिसाइल सिस्टम की रेंज 300 किलोमीटर तक है। इसके साथ फ्रांस से मिली स्कैल्प क्रूज मिसाइल की रेंज भी 300 किलोमीटर है। ब्रिटेन से मिली क्रूज मिसाइल स्टॉर्म शैडो की रेंज भी इन दोनों मिसाइलों जितनी है। इन मिसाइलों से रूसी धरती पर हमले की अनुमति मिलने का मतलब है पश्चिमी रूस में बड़ा विनाश क्योंकि रूस के बहुत से बेस और एयरबेस सहित कई हथियार गोदाम यूक्रेन की रेंज में आ रहे हैं।
यूक्रेन की रेंज में रोस्तोव ऑन डॉन, वोरोनिश और कुर्स्क के एयरबेस आ रहे हैं। अब यूक्रेन को 300 किलोमीटर तक रूसी धरती पर हमले की करने की क्षमता मिल चुकी है। उसकी रेंज में 50 से ज्यादा रूसी बेस, एयरबेस और हथियार डिपो आ चुके हैं। इस वक्त यूक्रेन का सबसे बड़ा टारगेट कुर्स्क एयरबेस क्षेत्र है जहां रूसी वायुसेना एक्टिव है। कुर्स्क की जंग में नॉर्थ कोरिया के जवान भी शामिल हैं। इसलिए माना जा रहा है कि यूक्रेन सबसे ज्यादा हमले रूस के कुर्स्क पर करेगा। हालांकि रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि सितंबर में ही पुतिन का आत्मरक्षा प्लान लागू कर दिया गया है। रूस ने इस आशंका को देखते हुए यूक्रेन की रेंज से फाइटर जेट और हेलीकॉप्टर हटा दिए हैं। इसके साथ-साथ आर्टिलरी और सैन्य वाहन भी यूक्रेनी रेंज के पीछे ले जाए जा चुके हैं। यूक्रेनी सीमा पर बने हथियार डिपो भी खाली करके नए डिपो रेंज के बाहर बना दिए गए हैं।
हमले शुरू हुए तो पलटवार होगा ही होगा
अगर रूसी जमीन पर पश्चिमी हथियारों से हमले शुरू हुए तो पलटवार तय माने जा रहे है। यूरोप में रूस के पहले दो टारगेट फ्रांस और ब्रिटेन बन सकते हैं। रूस के नॉर्थ सी फ्लीट की 3 सबमरीन इस वक्त फ्रांस और ब्रिटेन के पास मौजूद हैं। ये हाइपरसोनिक परमाणु मिसाइलों के साथ गश्त लगा रही हैं और रूस पर हमले होते ही पुतिन न्यूक्लियर कोड रिलीज कर सकते हैं। यही दोनों देश यूक्रेन को स्कैल्प और स्टॉर्म शैडो की सप्लाई कर रहे हैं। यूरोप के देश भी ये मानकर चल रहे हैं कि रूस के साथ सीधी जंग की आशंका जोर पकड़ती जा रही है इसलिए ब्रिटेन ने नई मिसाइल का परीक्षण किया है। इसे स्वीडन में यूरोफाइटर टायफून से दागा गया। मिसाइल ने 100 किलोमीटर दूर टारगेट पर सटीक हमला किया। कहा जा रहा है कि यूरोप के देश ट्रम्प की वापसी से पहले आत्मरक्षा की तैयारियों में जुट गए हैं, वहीं बाइडेन भी लॉन्ग रेंज हमलों का फैसला ले चुके हैं तो ऐसी स्थिति में तीसरे विश्व युद्ध की आहट सुनाई देने लगी है।
गौरतलब है कि रूस ने यूक्रेन से लड़ने के लिए उत्तर कोरिया के हजारों सैनिकों को मैदान में उतार दिया है, वहीं यूक्रेन ने अमेरिकी और ब्रिटिश मिसाइलों की मदद से रूस पर कई हमले किए हैं। इसके जवाब में सबसे ज्यादा परमाणु बम रखने वाले रूस ने अपने एटमी प्रिंसिपल्स में बदलाव किया है। रूस ने पहली बार लम्बी दूरी तक मार करने वाली अंतर महाद्वीपीय मिसाइल का प्रयोग यूक्रेन में किया है।
प्रतिबंध हटने से विश्व युद्ध तय!
बीते 17 नवंबर को बाइडेन का फैसला आने के बाद रूस के उच्च सदन के उप प्रमुख ने कहा है कि अमेरिका के प्रतिबंध हटाने का मतलब तीसरे विश्वयुद्ध की ओर बढ़ना है। रूस त्वरित हमले के लिए तैयार है। बाइडेन की सत्ता के पास 60 दिन का वक्त बचा है और विदाई से पहले बाइडेन के इस फैसले को अधीरता के तौर पर देखा जा रहा है।
अमेरिकी राजनीतिक जगत में भी इसे खतरनाक फैसला करार दिया जा रहा है। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बेटे ने कहा है कि अमेरिका का मिलिट्री इंडस्ट्रियल कॉम्प्लेक्स मेरे पिता की वापसी से पहले तीसरा विश्वयुद्ध सुनिश्चित करना चाहता है। अमेरिका के नेता नहीं चाहते कि मेरे पिता शांति स्थापना करके मानव सभ्यता को सुरक्षा दें।