पाकिस्तान जल रहा है। कभी महंगाई की आग में तो कभी हिंसा की आग में। वहां आर्थिक मंदी, आसमान छूती महंगाई और हिंसा के सामने आम लोगों के साथ-सरकार और सेना भी मजबूर दिख रही है। सरकार और सेना इन सबसे उबर पाती उसके पहले कट्टरपंथी एवं प्रतिबंधित इस्लामिक संगठन तहरीक-ए-लब्बैक (टीएलपी) का हिंसक प्रदर्शन नई मुसीबत बन गई है। इस आतंकी संगठन के हिंसा से पाक सेना और सरकार दोनों हलकान है जिस कारण इमरान खान सरकार को इस प्रतिबंधित संगठन के सामने झुकना पड़ा।
इमरान सरकार इस प्रतिबंधित संगठन के सामने घुटने टेकते हुए इस पर से सभी प्रतिबंध हटा लिया है। प्रतिबंध हटने के बाद अब यह प्रतिबंधित संगठन पाकिस्तान में राजनीतिक पार्टी बन गया है। तहरीक-ए-लब्बैक अब पाकिस्तान में चुनाव भी लड़ सकता है। जबकि इस संगठन ने कुछ माह पहले ही कई पुलिस कर्मियों की हत्या की है और करोड़ों की सरकारी संपत्ति को आग लगा दिया था। आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए यह और भी ज्यादा परेशान करने वाली बात है।
जानकारी के मुताबिक 2015 में बने तहरीक-ए-लब्बैक को इस साल अप्रैल में प्रतिबंधित किया गया था। क्योंकि इसने फ्रांस में प्रकाशित ‘ईशनिंदा’ कानून पर फ्रांसीसी राजदूत के निष्कासन की मांग को लेकर पूरे पाकिस्तान में हिंसक विरोध प्रदर्शन किया था। उस हिंसक प्रदर्शन में ही आधा दर्जन से अधिक पुलिसकर्मी मारे गये थे। इस हिंसक प्रदर्शन में पुलिसकर्मी सहित कुल 21 लोगों की मौत हो गई थी जिसके बाद टीएलपी के प्रमुख मौलाना साद रिजवी को इमरान खान ने गिरफ्तार करवा दिया था। इनका यह हिंसक प्रदर्शन पाकिस्तान के अधिकतर जिलों में हुआ था। साद रिजवी की गिरफ्तारी के बाद 31 अक्टूबर को गिरफ्तारी के विरोध में इस संगठन ने राजधानी (इस्लामाबाद) को घेर लिया था और अल्टीमेटम देते हुए कहा था कि अगर इमरान खान साद रिजवी को रिहा नहीं करते हैं, तो पूरे पाकिस्तान में आग लगा दी जाएगी। जिससे डरकर इमरान खान ने फौरन इस संगठन से समझौता कर लिया।
रिपोर्टों के अनुसार, इमरान खान ने आंतरिक मंत्रालय के माध्यम से प्रांतीय पंजाब सरकार की सिफारिश के बाद प्रतिबंध हटाने के लिए अपनी सहमति दी। इमरान खान सरकार ने देश के एक कट्टरपंथी संगठन के आगे घुटने टेक दिए, जिसके बाद पाकिस्तान के विश्लेषकों का कहना है कि एक कट्टरपंथी संगठन के आगे सरेंडर कर देना पाकिस्तान के भविष्य को बर्बाद करने वाला है। क्योंकि मजहब के आधार पर पाकिस्तान में हमेशा से कत्लेआम होता आया है, और अगर इसे सरकारी स्वीकृति मिलने लगे, तो इस तरह की घटनाएं और बढ़ जाएंगी।
पाकिस्तान के रक्षा विशेषज्ञ कमर चीमा इस मसले पर पिछले दिनों कहा है कि इमरान खान सरकार ने देश को बर्बाद करने वाला कदम उठाया है और साबित कर दिया है कि कट्टरपंथियों के आगे देश हार गया है। उन्होंने कहा कि अगर एक संगठन से सरकार मुकाबला नहीं कर सकती है, तो फिर इससे सरकार का इकबाल खत्म होता है। आपको बता दें कि इमरान सरकार ने तहरीक-ए-लब्बैक के साथ क्या समझौते किए हैं, इसकी जानकारी अभी तक देश की अवाम को नहीं दी गई है और शर्तों का खुलासा नहीं किया गया है।