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इन देशों में मिली इच्छा मृत्यु को कानूनी मंजूरी

मानव पीड़ा को कम करने और जीवन को आसान बनाने के लिए दुनिया में विभिन्न तकनीकी खोजें हो रही हैं। दुनिया बड़ी तेजी से विज्ञान में नित नए प्रयोग कर रही है। विज्ञान ने जहां अमरता की दवा खोजने में तेजी दिखाई उसी तरह अब इच्छा मृत्यु पर कानून बनाए जा रहे हैं इससे पहले स्विजरलैंड ने अब एक ऐसा उपकरण विकसित किया गया था जो मानव की इच्छा मृत्यु की लालसा को पूरा कर सकेगा । ये एक ताबूत के आकार की ‘सुसाइड मशीन’ है। जिससे कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा से मृत्यु को प्राप्त कर सकेगा। कई देशों द्वारा इच्छा मृत्यु को वैध करने की ओर भी कदम उठाए गए दुनिया के कई देशों में इच्छा मृत्यु वैध है। तो आइये जानते हैं इच्छा मृत्यु लेकर किस देश में कैसे कानून हैं।

विश्व के कुछ ही देशों में इच्छा मृत्यु को क़ानूनी मान्यता मिली मिली हुई है उन्हीं में से एक है नीदरलैंड। यह देश इच्छा मृत्यु को मान्यता देने वाले देशों में पहला माना जाता है। यहां वर्ष 2002 में इस क़ानून को वैधता मिली।

बेल्जियम
नीदरलैंड के अलावा, बेल्जियम दूसरा देश है जहां गंभीर मानसिक बीमारियों वाले लोगों को भी कानूनी तौर पर बहुत सख्त शर्तों के साथ अपनी जान लेने की अनुमति है। हालांकि, अगर शर्तों का ठीक से पालन नहीं किया जाता है, तो मरने में मदद करने वाले व्यक्ति को एक से तीन साल तक की जेल हो सकती है।

स्विट्ज़रलैंड
अब तक कई देशों ने इसे कानूनी मान्यता दी है, लेकिन स्विट्जरलैंड एकमात्र ऐसा देश है जहां कोई भी विदेशी कानूनी तौर पर इच्छामृत्यु प्राप्त कर सकता है। मरीज चाहे तो चिकित्सकीय सहायता ले सकता है। अपनी जान लेना यहां अपराध नहीं है। साथ ही यहां दुनिया की पहली सुसाइड मशीन भी बन गई है।

ऑस्ट्रेलिया
विक्टोरिया ऑस्ट्रेलिया का पहला राज्य है जहां जून 2019 में इच्छामृत्यु कानून लागू हुआ। यह केवल उन लोगों पर लागू होता है जो घातक बीमारी से पीड़ित हैं और उनका दिमाग ठीक से काम कर रहा है। साथ ही जिनकी जिंदगी के सिर्फ छह महीने बचे हैं। उम्मीद है कि इसके बाद क्वींसलैंड और पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया राज्यों में भी ऐसे कानून पारित किए जा सकते हैं।

लक्समबर्ग
वर्ष 2008 में यहां भी इच्छामृत्यु और चिकित्सा सहायता को वैधता मिली। यह गंभीर रूप से बीमार रोगियों के लिए एक कानूनी विकल्प बन गया। इसके लिए मरीज को बार-बार मांग करनी पड़ती है और अपने पक्ष में दी गई सलाह को कम से कम दो डॉक्टरों और एक मेडिकल पैनल को लिखित में देना होता है।

जर्मनी
वर्ष 2017 में जर्मनी में एक बड़ा कदम उठाते हुए अदालत ने गंभीर रूप से बीमार रोगियों को दवा देकर इच्छामृत्यु की अनुमति दी। मार्च 2017 से एक साल के भीतर ऐसी मौत की मांग करने वाले लगभग 108 रोगियों ने आवेदन जमा किए। जिनमें से कई तो इच्छामृत्यु की दवा खाकर आत्महत्या तक कर चुके हैं।

कोलंबिया
वर्ष 2015 में कोलंबिया इच्छामृत्यु को मान्यता देने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया। हालांकि कोलंबिया की संवैधानिक अदालत ने वर्ष 1997 में ही इसके पक्ष में फैसला सुनाया था, लेकिन डॉक्टर ऐसा नहीं करना चाहते थे। वजह थी देश का एक और कानून जिसमें दया-मृत्यु के लिए छह महीने से तीन साल तक की कैद का प्रावधान था।

अमेरिका
कुछ अमेरिकी राज्यों जैसे ओरेगन में इच्छामृत्यु 1997 से कानूनी है। बाद में इसे कैलिफोर्निया में भी मान्यता दी गई थी। जो व्यक्ति आत्महत्या करना चाहता है, उसे डॉक्टर दवा देते हैं, जिसे कॉकटेल कहते हैं। इसे लेते ही रोगी सो जाता है और आधे घंटे के भीतर उसकी मृत्यु हो जाती है।

कनाडा
जून 2014 में, कनाडा के क्यूबेक प्रांत ने एक कानून अपनाया जो गंभीर रूप से बीमार रोगियों को डॉक्टर की मदद से अपनी जान लेने का अधिकार देता है। यह आत्महत्या में सहायता को प्रभावी रूप से वैध बनाने वाला देश का पहला प्रांत बन गया।

भारत
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 2018 में “पैसिव यूथेनेशिया” के पक्ष में फैसला सुनाया। इसमें मरीज को धीरे-धीरे लाइफ सपोर्ट से हटा दिया जाता है। कोर्ट ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को कुछ शर्तों के अधीन सम्मानजनक मृत्यु का अधिकार है, लेकिन इसके लिए व्यक्ति को स्वस्थ शारीरिक और मानसिक स्थिति में वसीयत बनानी होगी।

इच्छा मृत्यु अर्थात यूथनेशिया मूलतः ग्रीक शब्द है। जिसका अर्थ अच्छी मृत्यु का होना है। यूथेनेसिया यानी इच्छा-मृत्यु या मर्सी किलिंग दुनियाभर में बहस का मसला बना हुआ है। काफी मुल्कों में इसे कानूनी मान्यता मिल गई है। जबकि कई देश इस तरह के कानून बनाए जाने के खिलाफ हैं। उनका मानना है की यह मानवीयता और इंसानी वसूल के खिलाफ है। जिसे हम जिंदगी नहीं दे सकते तो उसे मौत देने का हमें क्या अधिकार है।

यह पढ़ें : सुसाइड की मशीन

 

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