अफ्रीकी देश इथियोपिया के हालातों ने संयुक्त राष्ट्र की चिंता को बढ़ा रखा है। यहां के टिगरे क्षेत्र के हालात काफी खराब हो चुके हैं। हिंसाग्रस्त और अशांत क्षेत्र में यूएन ने शांति बनाए रखने और मानवीय आधार पर सहायता के लिए सभी पक्षों से अपील की है। लेकिन ‘अलजजीरा’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, इथियोपिया सरकार ने अपने आंतरिक मामलों में दखल देने को लेकर देश से सात वरिष्ठ संयुक्त राष्ट्र अधिकारियों को निष्कासित करने का आदेश दिया है।
इथियोपियाई अधिकारियों ने संयुक्त राष्ट्र के इन अधिकारियों पर देश में अज्ञात सहायता कर्मियों पर टिग्रेयन बलों का पक्ष लेने और यहां तक कि उन्हें हथियार देने का आरोप लगाया है। हालांकि उन्होंने अपने आरोपों को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं दिया है। इससे पहले सरकार ने दो प्रमुख अंतरराष्ट्रीय सहायता समूहों डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स और नॉर्वेजियन रिफ्यूजी कमेटी के संचालन को निलंबित कर दिया था।
क्या है ग्रहयुद्ध का कारण ?
दरअसल, इथियोपिया के टिग्रे क्षेत्र में गृहयुद्ध चल रहा है। इस गृहयुद्ध कारण यह है कि इथियोपिया में अबिय अहमद के सत्ता में आने के पहले इथोपिया पर 27 साल तक तिगरे पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का शासन रहा। हालांकि इथोपिया के तिगरे क्षेत्र की आबादी पूरे देश की आबादी का लगभग छह फीसदी ही है। लेकिन उराष्ट्रीय राजनीति पर यहां के नेताओं का लंबे समय तक वर्चस्व रहा है।
इनके शासनकाल में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और मानवाधिकार हनन की घटनाएं हुईं। तब सरकार विरोधियों को यातना दिए जाने के आरोप बड़े पैमाने पर लगाए गए थे। इससे तिगरे पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट (टीपीएलएफ) की सरकार की लोकप्रियता कम होती गई। इसी कारण अबिय अहमद की सरकार सत्ता को सत्ता में आने का अवसर मिला।
अबिय अहमद का कहना है कि टीपीएलएफ को सत्ता में भागीदारी देने की उन्होंने पूरी कोशिश की। उसे राष्ट्रीय संसद में स्पीकर का पद दिया गया। साथ ही कई मंत्री पद भी उसे मिले। लेकिन टीपीएलएफ इससे संतुष्ट नहीं हुआ। इसलिए दोनों पक्षों में तनाव की स्थिति बनी रही। टीपीएलएफ का आरोप है कि अबिय अहमद सरकार संविधान का उल्लंघन कर रही है और वह तय समय पर चुनाव नहीं करवा रही है।
इसलिए पिछले सितंबर में टीपीएलएफ ने अपनी तरफ से चुनाव करवाने का एलान कर दिया। सरकार ने तब हुए इस मतदान को गैर-कानूनी घोषित कर दिया। चुनाव के बाद टीपीएलएफ ने अबिय अहमद सरकार की सत्ता को मानने से इनकार कर दिया। जिसके बाद अबिय अहमद ने सेना की नॉदर्न कमांड के नए प्रमुख की नियुक्ति की। इसको लेकर जो विवाद भड़का, वह अब गृह युद्ध में तब्दील हो चुका है।
यह भी पढ़ें : सूडान में असैन्य शासन की मांग को लेकर प्रदर्शन
इथोपिया अफ्रीका का एक बड़ा देश है। इसकी राजधानी अदिस अबाबा में ही अफ्रीकी देशों के संगठन अफ्रीकन यूनियन का मुख्यालय है। आशंका यह है कि गृह युद्ध के कारण यहां से बड़ी संख्या में शरणार्थी भागकर दूसरे अफ्रीकी या यूरोपीय देशों में जा सकते हैं। इथोपिया का पड़ोसी देश इट्रिया से 1998 से साल 2000 तक युद्ध चला था। जिसमें तकरीबन एक लाख लोग मारे गए थे।
टीपीएलएफ का आरोप है कि इट्रिया की सरकार अबिय अहमद की सरकार का साथ दे रही है। इसलिए उसने इट्रिया पर भी रॉकेट दागे थे। इस तरह इट्रिया के भी इस हिंसक विवाद में घिसट जाने का अंदेशा जताया गया। इससे शरणार्थी समस्या और गहरा सकती है। इथोपिया लंबे समय से अकाल और टिड्डियों के आक्रमण का शिकार रहा है। कोरोना महामारी ने उसकी अर्थव्यवस्था और तबाह कर दी है। इसी बीच ये गृह युद्ध शुरू हुआ।
जिन सात अधिकारियों को निष्कासित किया गया है। उनमें संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) और मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNOCHA) के व्यक्ति शामिल हैं। देश के विदेश मंत्रालय की ओर से इन्हें अवांछित व्यक्ति घोषित करते हुए देश छोड़ने के लिए 72 घंटे का वक्त दिया गया है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि वह निष्कासन से हैरान है। साथ ही संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टेफ़नी ट्रेमब्ले ने एक समाचार पत्र में बताया कि हमें इथियोपिया की सरकार से उम्मीद है कि वह जल्द ही संयुक्त राष्ट्र को अपना महत्वपूर्ण काम जारी रखने की अनुमति देगी। इथियोपिया सरकार के इस कदम से संयुक्त राष्ट्र की चिंता बढ़ गई है।
एक बयान में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि अमेरिका इस निर्णय की कड़ी निंदा करता है और इथोपिया को इस पर पुनः विचार करना चाहिए । वर्तमान में इथोपिया में संयुक्त राष्ट्र द्वारा अकाल के बढ़ते जोखिम के बीच मानवीय राहत प्रयास करते रहना बेहद महत्वपूर्ण था।
गौरतलब है कि इथियोपिया के उत्तरी टाइग्रे क्षेत्र में नवंबर 2020 से संघीय बलों और टाइग्रे पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट (टीपीएलएफ) के साथ गठबंधन करने वालों के बीच लड़ाई चल रही है। सामूहिक बलात्कार, सामूहिक निष्कासन और चिकित्सा केंद्रों के विनाश से संघर्ष कर रहे हजारों लोग अपनी जान गंवा रहे हैं।
डेविड जेफरी ग्रिफिथ्स एक अमेरिकी भौतिक विज्ञानी और शिक्षक हैं। उनका कहना है कि इथियोपिया में 1980 के अकाल की यादें, जिसमें लगभग दस लाख लोग मारे गए थे। उन तस्वीरों ने दुनिया को झकझोर दिया था, वो तस्वीरें उनके दिमाग में अब भी हैं। लेकिन हमें उम्मीद है कि वर्तमान में ऐसा नहीं हो रहा है।