दुनिया भर में अधिकतर लोग हृदय रोग के कारण अपनी जान गवाते जा रहे हैं । हाल ही में द लांसेट प्लैनेटरी हेल्थ जर्नल की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मुताबिक ह्रदय रोग से होने वाली मौतों का एक कारण शीशा (लेड )भी है।
इस रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में हृदय रोग से एक साल में होने वाली सभी मौतों में से 30 फीसदी मौत सीसे (लेड) के संपर्क में आने से हो रही है। इसके अलावा यह भी दावा किया गया है कि लेड के सम्पर्क में आने से ‘एनीमिया’ यानि रक्त की कमी, उच्च रक्तचाप , गुर्दे की दुर्बलता इम्यूनोटॉक्सिसिटी और प्रजनन अंगों में विषाक्तता होती है। वहीं सीसा दमा और स्वशन रोगों के लिए भी जिम्मेदार है।
सीसा हृदय के लिए भी खतरनाक है। द लांसेट प्लैनेटरी हेल्थ जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार 2019 में वैश्विक स्तर पर हृदय रोग से होने वाली सभी मौतों में से 55 लाख लोगों की मौत सीसे के संपर्क में आने से हुई। यह हृदयरोग से संबंधित सभी मौतो का करीब तीस फीसदी है।
इसके प्रभाव से बच्चों के आईक्यू लेवल पर भी असर पड़ता है। सीसे के संपर्क में आने से पांच साल से कम उम्र के बच्चों में 765 मिलियन इंटेलिजेंस कोशेंट (आईक्यू) अंक का नुकसान हुआ है । सीसे के संपर्क में आने के चलते मध्यम आय वाले देशों में आईक्यू हानि पिछले अनुमान की तुलना में करीब 80 प्रतिशत ज्यादा थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ ) ने स्वास्थ्य के लिए 10 खतरनाक रसायनों में से सीसे को भी शामिल किया है।
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष और अमेरिका स्थित पर्यावरणीय स्वास्थ्य गैर-सरकारी संस्था प्योर अर्थ की वर्ष 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में लगभग 27.5 करोड़ यानी तीन में से एक बच्चे के रक्त में सीसे का स्तर पांच माइक्रोग्राम प्रति डेसीलिटर से अधिक दर्ज किया गया है।
किस तरह से आते हैं लोग सीसे के संपर्क में
ऐसी कई कारणों की वजह से लोग सीसे की सम्पर्क में आते हैं। जैसे दूषित पानी, भोज्य पदार्थ, मिट्टी, सीसायुक्त सामग्रियों को जलाने से उत्पन्न कणों का अंतःश्वसन, गलाने और पुनर्चक्रण इसके प्रमुख कारण हैं। वैश्विक लेड खपत का तीन चौथाई हिस्सा मोटर वाहनों के लिए लेड एसिड बैटरी के निर्माण के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
इसके अतिरिक्त सीसा-चमकीले मिट्टी के बर्तन और चीनी मिट्टी की चीज़ें, मसाले, खिलौने, सौंदर्य प्रसाधन, इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट, उर्वरक और सुसंस्कृत मछली फ़ीड भी शामिल हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, धातु को मुंह के माध्यम से निगला जा सकता है, श्वसन प्रणाली के माध्यम से साँस लिया जा सकता है या त्वचा द्वारा अवशोषित किया जा सकता है।
पांच राज्यों की स्थिति खराब
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में जनसंख्या के बीच औसत रक्त सीसे के स्तर के संदर्भ में लगभग 23 राज्य 5 माइक्रोग्राम/डीएल मार्जिन से अधिक हैं। बिहार (औसत रक्त सीसा स्तर 10.42), उत्तर प्रदेश (8.67), मध्य प्रदेश (8.32), झारखंड (8.15 ), छत्तीसगढ़ (7.46) और आंध्र प्रदेश में ( 40 प्रतिशत आबादी के रक्त में सीसे का स्तर) 7.14 माइक्रोग्राम/डीएल है।
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