अभी कोरोना वायरस का खौफ थमा भी नहीं है कि एक और वायरस के दस्तक देने खबर है। चीन में हंता वायरस से पहली मौत की खबर 23 मार्च को यानी सोमवार को आई।
बीबीसी न्यूज़ ने ग्लोबल टाइम्स के हवाले से बताया है कि जिस बस में हंता वायरस से संक्रमित व्यक्ति सवार था उसमें 32 और लोग सवार थे। खबर के मुताबिक, उन सभी 32 लोगों की जांच कराई गई है।
A person from Yunnan Province died while on his way back to Shandong Province for work on a chartered bus on Monday. He was tested positive for #hantavirus. Other 32 people on bus were tested. pic.twitter.com/SXzBpWmHvW
— Global Times (@globaltimesnews) March 24, 2020
जिस शख्स की मौत कल हुई थी वह चीन के युन्नान प्रांत का रहने वाला था। हंता वायरस से मौत की खबर आने के बाद #Hantavirus सोशल मीडिया पर लगातार ट्रेंड कर रहा है। लोगों बेहद डरे हुए हैं कि कहीं हंता वायरस भी कोरोना की तरह महामारी का रूप न ले ले।
हंता वायरस कैसे फैलता है?
अब सवाल उठता है कि कोरोना वायरस और हंता वायरस में क्या अंतर है? हंता वायरस का संक्रमण क्यों और कैसे फैलता है? जानकारों का मानना है कि कोरोना की हंता वायरस से अधिक घबराने की जरूरत नहीं है। क्योंकि यह उतना घातक नहीं है जितना कोरोना वायरस। सबसे अच्छी बात इसमें ये है कि वायरस किसी को छूने या फिर हवा के रास्ते नहीं फैलता है। दरअसल, ये वायरस चूहे या फिर गिलहरी के संपर्क में आने से फैलता है।
सेंटर फॉर डिजिज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, हंता वायरस चूहों के मल, मूत्र से फैलता है। इंसान इस वायरस से तभी संक्रमित होते हैं जब वो इसके संपर्क में आते हैं। अगर आपके घर में चूहे हैं तो फिर आपको सतर्क रहने की ज़रूरत है। यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि कोरोना वायरस की हंता के संक्रमण का पता लगने में एक से आठ हफ्तों का वक़्त लग सकता है।
हंता के क्या है लक्षण?
हंता वायरस से अगर कोई आदमी संक्रमित है तो उसे बुखार, दर्द, सर्दी, बदन दर्द, उल्टी जैसी समस्याएं आएंगी। इसमें इंसानों को ठंडी लगने का साथ बुखार आता है। मांसपेशियों में दर्द की समस्या रहती है। एक-दो दिन में सूखी खांसी, सिर में दर्द की दिक्कत, उल्टी होने की समस्या और सांस लेने में दिक्कत होती है।
हंता संक्रमित व्यक्ति की हालत बिगड़ने पर फेफड़ों में पानी भरने और सांस लेने में जैसी तकलीफ भी हो सकती है। सीडीसी के मुताबिक, हंता वायरस के संक्रमण में 100 में से 38 लोगों के मरने की उम्मीद रहती है। हंता का कोई ‘स्पेसिफिक ट्रीटमेंट’ अभी तक नहीं है।