- पूरा विश्व इस वक्त कोरोना महामारी की मार झेल रहा है। कई देशों की अर्थव्यस्था पर बुरा असर पड़ा है। विपरीत हालत से उबरने के लिए हर देश अपने-अपने हिसाब से हरसंभव उपाय कर रहा है। इसी कड़ी में अब कुवैत में लम्बे समय से लगे ट्रैवेल प्रतिबन्ध को हटा लिया गया है। 1 अगस्त से अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को फिर शुरू करने का फैसला लिया गया है। लेकिन ट्रैवेल प्रतिबन्ध हटाने के साथ ही कुवैत सरकार ने कुछ देशों के लोगों के प्रवेश पर बैन जारी रखा है। इनमें भारत के लोग भी शामिल हैं। मतलब कि कुवैत में अब भारतीय नागरिक प्रवेश नहीं कर पाएंगे।
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दरअसल, कुवैत सरकार ने कोरोना वायरस संकट को देखते हुए मार्च से ही अंतर्राष्ट्रीय विमान सेवाओं को बंद कर रखा था। अब एक अगस्त से इन सेवाओं को शुरू करने का फैसला लिया गया है। लेकिन इसी के साथ कुवैत ने सात देशों के नागरिकों के प्रवेश पर रोक लगाई है। इनमें भारत, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, ईरान और फिलीपींस शामिल हैं। इन देशों में रहने वाले लोगों को छोड़कर अन्य देशों के नागरिक और पर्यटक यात्रा कर सकते हैं।
बताया जाता है कि भारत सरकार की ओर से इस मामले को गंभीरता से लिया गया है और प्रशासनिक स्तर पर इसके समाधान के प्रयास भी जारी हैं। उड्डयन मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि वह कुवैत सरकार के साथ परिचालन फिर से शुरू करने के लिए बातचीत कर रहा है।
इससे पहले भी कुवैत में काम करने वाले करीब 8 लाख भारतीयों को एक बड़ा झटका लगा था। कुवैत की नेशनल असेंबली की कानूनी और विधायी समिति ने प्रवासी कोटा बिल के प्रारूपण की अनुमति दी थी। इसके तहत कुवैत में काम करने के लिए विदेश से आने वाले लोगों की संख्या सीमित होगी। कुवैत सरकार ने नियमों का एक नया मसौदा तैयार किया है जो विदेशियों को देश में काम करने की अनुमति देता है। भारतीय श्रमिकों के लिए राहत की बात यह है कि प्रस्तावित कानून कुवैत में काम करने वाले भारतीयों के लिए 15 प्रतिशत कोटा निर्धारित करता है। हालाँकि, यदि यह कानून लागू हो जाता है तो लगभग 8.5 लाख भारतीयों को स्वदेश लौटना होगा।
अंग्रेजी अखबार अरब न्यूज के मुताबिक, नए कानून के तहत, स्थानीय श्रमिकों, खाड़ी निगम परिषद के सदस्य देशों के नागरिकों, सरकारी अनुबंध श्रमिकों, राजनयिकों और कुवैती नागरिकों के बीच संबंधों को कोटा प्रणाली से बाहर रखा जाएगा। विशेष रूप से, कुवैत अपने नागरिकों और बाहर से आने वाले लोगों के बीच रोजगार का संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रहा है।