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फिर आतंक की जद में कश्मीर

देश में इन दिनों आगामी विट्टाानसभा चुनावों के चलते जम्मू-कश्मीर में हो रही गैर कश्मीरियों की हत्याओं को लेकर सियासत गरमाने लगी है। दो साल पहले केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद-370 को खत्म करने के बाद उम्मीद जगी थी कि कश्मीर में शांति बहाली हो जाएगी। लेकिन इस उम्मीद पर कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठन पानी फेरते नजर आ रहे हैं

सरकार के खिलाफ धरना-प्रदर्शन

घाटी में गैर कश्मीरी लोगों की लगातार हो रही हत्याओं ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। इस मामले में भारतीय जनता पार्टी अपनों से ही घिरती नजर आ रही है। पहले बिहार के सीएम नीतीश कुमार इस संदर्भ में सरकार पर सवाल उठा चुके हैं तो अब मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने सवाल उठाए हैं। दरअसल, जम्मू कश्मीर में भारतीय सेना के ‘ऑपरेशन ऑलआउट’ से बैकफुट पर आए आतंकी अब आम लोगों को निशाना बना रहे हैं। आतंकियों ने पहले गैर हिंदुओं को अपना निशाना बनाया और फिर गैर कश्मीरियों को। पिछले हफ्ते एक बार फिर आतंकियों ने दो अलग-अलग जगहों पर आम लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी।
आतंकी यहां खासतौर से गैर-कश्मीरी मजदूरों को निशाना बना रहे हैं। हाल ही में आतंकियों ने साउथ कश्मीर के कुलगाम में बिहार के 3 लोगों को गोली मार दी। इनमें से 2 लोगों की मौत हो गई, जबकि एक घायल है। कुलगांव के लारन गंजीपोरा एरिया में जिन्हें गोली मारी गई, वे सभी मजदूर थे।

इससे पहले आतंकियों ने श्रीनगर के ईदगाह इलाके में बिहार के एक हॉकर को गोली मार दी थी। गंभीर स्थिति में उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मारे गए व्यक्ति का नाम अरविंद कुमार साह था। वह बिहार के बांका जिले का रहने वाला था और रेहड़ी लगाकर पानी पुड़ी बेचता था। दूसरी घटना में आतंकियों ने पुलवामा में सगीर अहमद नाम के शख्स को गोली मार दी, जिससे उसकी मौत हो गई। उत्तर प्रदेश का रहने वाला समीर कारपेंटर था। ऐसे माहौल में प्रवासी मजदूर जम्मू-कश्मीर छोड़कर जाने को मजबूर हो गए हैं। भारी संख्या में बाहरी मजदूरों के कश्मीर छोड़ने की खबरें लगातार आ रही हैं। इन लोगों का कहना है कि मजदूरों पर जानलेवा हमले की खबरों से वे डर गए हैं। उन्हें यहां पर रहना सुरक्षित नहीं लग रहा है। कई प्रवासी मजदूर दीवाली पर घर जाने वाले थे, लेकिन हिंसा की वजह से त्योहार से पहले ही यहां से निकल रहे हैं।
रेलवे स्टेशनों, बस स्टैंड और जगह-जगह पर मजदूर ग्रुप बनाकर अपने गृह राज्य के लिए रवाना हो रहे हैं। राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, मध्य प्रदेश समेत दूसरे राज्यों के लोगों की भीड़ पलायन करती नजर आ रही है। जम्मू-कश्मीर में हो रहे लगातार आतंकी हमले पर बिहार में राजनीति तेज हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि अगर जम्मू-कश्मीर के हालात प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से नहीं संभल रहे हैं, तो उसकी जिम्मेदारी बिहारियों को दे दें। 15 दिन में बिहारी जम्मू-कश्मीर के हालात सुधार देंगे।

रोते-बिलखते प्रवासी मजदूर के परिजन

इस मामले में बिहार के सीएम नीतीश कुमार भी केंद्र सरकार पर सवाल उठा चुके हैं तो अब मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, ‘मेरे राज्यपाल रहते कोई भी श्रीनगर की 50 से 100 किलोमीटकर की सीमा में कोई भी आतंकवादी प्रवेश नहीं कर सका।’ लेकिन अब श्रीनगर में आतंकी गरीबों की हत्या कर रहे हैं। यह वास्तव में दुखद है।’ इससे पहले बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कश्मीर में बिहार के दो मजदूरों की गोली मारकर हत्या पर दुख प्रकट किया था। इस मामले में सीएम नीतीश कुमार ने एलजी मनोज सिन्हा से बात की। सीएम नीतीश ने कहा कि ‘इस मामले में कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। कुलगाम की घटना से सबको तकलीफ हुई है। देश में कोई कहीं भी काम कर सकता है।’ कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ‘अपने कश्मीर दौरे के दौरान मैंने कहा था कि अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी का असर कश्मीर पर भी पड़ सकता है। मैंने अपनी चिंता भी व्यक्त की कि कश्मीर में यह सन्नाटा आने वाले तूफान का संकेत है।’

दूसरी तरफ कश्मीर में बिहार के दो मजदूरों की हत्या के बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और चिराग पासवान बिहार सरकार को घेरने की कोशिश करते नजर आ रहे हैैं। तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर लिखा है कि ‘गजब है, बिहार में ठनके और सांप के डंसने से होने वाली मौत पर सरकार की तरफ से चार लाख का मुआवजा दिया जाता है। लेकिन आंतकियों की गोली से बिहार के लोगों की मौत पर बिहार सरकार 2 लाख रुपये देती है।’
लोक जनशक्ति पार्टी( रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने भी कश्मीर में बिहार के दो श्रमिकों के मारे जाने पर नीतीश सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने ट्वीट कर बिहार सरकार से सवाल पूछा कि ‘बिहार का बेटा कश्मीर में मारा जा रहा है। आजीविका कमाने गया था, जहां सुरक्षा का खतरा है वहां बिहार के लोगों को क्यों जाना पड़ा, क्योंकि बिहार में काम नहीं है? नीतीश जी से सवाल है अगर बिहार में रोजगार होता तो क्या कश्मीर में आतंकियों की गोली का निशाना बनना पड़ता?’ शिवसेना नेता संजय राउत ने भी जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर चिंता व्यक्त की, स्थिति को चिंताजनक बताते हुए राउत ने कहा कि प्रवासियों को निशाना बनाया जा रहा है और गृह मंत्री अमित शाह या रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से एक बयान की मांग की। उन्होंने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर में स्थिति चिंताजनक है।

बिहारी प्रवासियों, कश्मीरी पंडितों और सिखों को निशाना बनाया जा रहा है। जब पाकिस्तान की बात होती है, तो आप सर्जिकल स्ट्राइक की बात करते हैं। फिर, यह चीन के लिए भी किया जाना चाहिए।’ रक्षा मंत्री या गृह मंत्री को चाहिए राष्ट्र को बताएं कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की स्थिति क्या है। घाटी में बिगड़ते हालातों को देखते हुए केंद्रीय मंत्री ने आतंकियों के सफाए का टारगेट देकर एक स्पेशल ऑपरेशन टीम दिल्ली से रवाना की है। केंद्रीय सुरक्षा बलों की मदद से जम्मू- कश्मीर पुलिस बड़े पैमाने पर कार्यवाही करने में जुटी है। अभी तक लगभग सात सौ लोगों को आतंकी संगठनों संग संपर्क रखने के अंदेशे चलते गिरफ्तार किया चुका है। 13 आतंकियों का इन्काउंटर कर पाने में भी सुरक्षा बल सफल रहे हैं। लेकिन सरकार के ये कड़े कदम हाल-फिलहाल कश्मीर में रह रहे अप्रवासियों और स्थानीय नागरिकों का भय कम कर पाने में सफल होते नजर नहीं आ रही हैं।

इस माह मारे गए बेगुनाहों की सूची

 

मोहम्मद शफी डारः महीने की शुरुआत में 2 अक्टूबर को मोहम्मद शफी डार की आतंकवादियों ने हत्या कर दी।
माजिद अहमद गोजरीः श्रीनगर के छत्ताबल निवासी गोजरी की 2 अक्टूबर को करण नगर इलाके में मदीना कॉम्प्लेक्स के पास आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।
माखन लाल बिंदूः एक प्रमुख कश्मीरी पंडित, माखन लाल बिंद की 5 अक्टूबर को श्रीनगर में उनकी फार्मेसी में बिंदु-रिक्त सीमा पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
वीरेंद्र पासवानः श्रीनगर के लाल बाजार में एक स्ट्रीट फूड विक्रेता की उसी दिन गोली मारकर हत्या कर दी गई, पासवान बिहार के भागलपुर के रहने वाले थे।
मोहम्मद शफी लोनः बांदीपोरा में एक टैक्सी स्टैंड के अध्यक्ष और कैब चालक शफी की उसी दिन गोली मारकर हत्या कर दी गई, जिस दिन बिंदू और पासवान की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
सुपिन्दर कौरः श्रीनगर के एक सरकारी स्कूल की प्रिंसिपल कौर की 7 अक्टूबर को हत्या कर दी गई थी। कौर ईदगाह इलाके के गवर्नमेंट बॉयज हायर सेकेंडरी स्कूल में थी। आतंकवादियों ने परिसर में धावा बोल दिया और उन्हें गोली मार दी।
दीपक चंदः सुपिंदर कौर के स्कूल में शिक्षक, चंद जम्मू के रहने वाले थे। उसी दिन स्कूल में उनकी भी गोली मारकर हत्या कर दी गई।
सगीर अहमदः उत्तर प्रदेश के एक बढ़ई सगीर अहमद की 16 अक्टूबर को पुलवामा में आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।
अरबिंद कुमार शाहः आतंकवादियों ने श्रीनगर में गोल-गप्पे बेचने वाले शाह की गोली मारकर हत्या कर दी। वह बिहार के बांका का रहने वाले थे।
राजा रेशी देवः बिहार के एक मजदूर देव की कुलगाम के वानपोह में किराए की दुकान में गोली मारकर हत्या कर दी गई।
जोगिंदर रेशी देवः आतंकवादियों ने उसी दुकान पर राजा देव के साथ रह रहे जोगिंदर की भी गोली मारकर हत्या कर दी। आतंकवादियों ने दुकान पर धावा बोल दिया और गोलियां चला दीं, जिसमें बिहार के जोगिंदर और राजा दोनों की मौत हो गई।

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