आर्थिक संकट से गुजर रहे पाकिस्तान में जनता की भूंख के बाद अब जानवरों के खाने पर भी संकट आ गया है। हालात यह हैं कि करांची का मशहूर चिड़िया घर बंद होने के कगार पर है। देश के जलवायु परिवर्तन मंत्री शेरी रहमान ने प्रांतीय सिंध सरकार से जानवरों की देखभाल करने की क्षमता में कमी के कारण चिड़ियाघर बंद करने का आग्रह किया है । सरकार के मुताबिक चिड़िया घर में रखे हुए जानवरों को सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट किया जाएगा। लेकिन उनकी शिफ्टिंग अभी तक नहीं हुई है। चिड़िया घर के जानवरों की कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। जिससे लोगों में प्रशासन के खिलाफ आक्रोश बढ़ता जा रहा है। 17 वर्षीय नूरजहां नामक एक हथिनी की ठीक तरह से देखभाल न होने की वजह से वह गंभीर रुप से घायल हो गई।
एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के बड़े शहर करांची के चिड़िया घर में किल्लत महसूस की जा रही है। अंतराष्ट्रीय पशु कल्याण संगठन ,फॉर पॉज की एक टीम द्वारा करांची के चिड़ियाघर में मधु और नूरजहां नाम की दोनों हथनियो की जांच की गई। स्थानीय अंग्रेजी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चिड़िया घर के कई जानवर कुपोषण के शिकार हुए हैं। जानवरों के रेक्स्यूअर टीपू शरीफ काम के सिलसिले में कई बार कराची के चिड़िया घर जा चुके हैं। वे पशु पक्षियों के आवास के रूप में चिड़ियाघर को “अंसतोषजनक” बताते हैं। मैनेजमेंट के पास उनका पेट भरने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं और जो खाना पशुओं को दिया जाता है वह भी अच्छी क्वालिटी का नहीं है। बड़े जानवरों के लिए उनके हिसाब वहां उचित जगह भी नहीं दी गई है।
वित्तीय संकट से गुजरता जू
यह कोई पहली बार नहीं है जब जू प्रशासन को खाने की सप्लाई जुटाने में दिक्कत हो रही है। पहले भी इस तरह के हालात पैदा हो चुके हैं। चिड़िया घर के स्टाफ के पास संसाधन नहीं हैं। जिससे कई तरह की दिक्क़ते पैदा हो रही हैं। इसके अलावा वहां करांची चिड़िया घर के कई जानवर भूख का सामना कर रहे हैं। डी डब्लू के मुताबिक कराची मेट्रोपॉलिटन कॉरपोरेशन (केएमसी) के वरिष्ठ अधिकारी महमूद बेग नहीं मानते कि चिड़ियाघर में जानवर भूखे हैं। हालांकि वह यह तो स्वीकार करते हैं कि केएमसी बहुत बुरे वित्तीय संकट के दौर से गुजर रहा है। फंड रिलीज नहीं हो पा रहा है। प्रशासन पर 3 करोड़ रुपये से ज्यादा का भुगतान बकाया है और एनिमल फूड सप्लाई करने वाले भोजन की आपूर्ति बंद करने की धमकी दे रहे हैं।
कर्मचारियों की कमी
गौरतलब है कि 1878 में स्थापित, कराची चिड़ियाघर को पहले महात्मा गांधी गार्डन के नाम से जाना जाता था। यह लाहौर चिड़ियाघर के बाद देश का दूसरा सबसे पुराना चिड़ियाघर है जो की काफी बड़ा है । लेकिन मौजूदा समय में इसके हालात यह हैं कि यहां पशुओं को भोजन कराने, उनकी देखभाल करने और बाड़े साफ करने के लिए सिर्फ 14 कर्मचारी हैं। वर्ष 1997 से अतिरिक्त कर्मचारियों की भर्ती नहीं की गई है। नियुक्तियों पर सिंध सरकार ने प्रतिबंध लगाया है। कराची जू में कई साल से करीब 93 पद खाली पड़े हैं।