जहां एक ओर पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति से जूझ रहा है वहीं दूसरी तरफ इस मुल्क के कई बड़े शहरों में अपराध का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। इस मुल्क के करांची शहर में लूटपाट की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। इसे देखते हुए सिंध प्रांत के विपक्ष द्वारा मांग की जा रही है कि शहर को तीन महीने के लिए सेना के हवाले कर दिया जाए। पडोशी मुल्क की राजधानी करांची को बढ़ते अपराध ने इसे अपराधों का श्हर बना दिया है। इस प्रान्त बढ़ते क्राइम को देखते हुए विपक्ष ने शहर का प्रशासन सेना के हाथों में देने के मांग की है। जिससे देश के सबसे बड़े शहर को जुर्म से बाहर निकाला जा सके। विपक्षी दल मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट-पाकिस्तान (एमक्यूएम-पी) के नेताओं ने प्रांत में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) की सरकार पर हमला करते हुए कहा कि कराची के निवासियों को आंतरिक सिंध के अपराधियों और डकैतों के ‘रहम-ओ-करम’ पर छोड़ दिया गया है।
आठ अप्रेल को एमक्यूएम-पी के संयोजक मुस्तफा कमाल ने प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि मैं कराची को तीन महीने के लिए पाकिस्तानी फौज को सौंपने का आह्वान करता हूं ताकि अराजकता और सड़कों पर होने वाले जुर्म पर काबू पाया जा सके। कराची पुलिस के आधिकारिक आकड़ों अनुसार इस साल सिर्फ चार महीनों में अबतक शहर की सड़कों पर 16,हजार से अधिक अपराधों को अंजाम दिया जा चुका है। अधिकतर मामले ऐसे हैं जिसमें अपराधियों द्वारा लूट का विरोध करने पर व्यक्ति की हत्या कर दी जाती है, जो सबसे ज्यादा चिंता की बात है।
मीडिया रिपोर्ट्स मुताबिक केवल मार्च में ही 16 लोगों की हत्या कर दी गई। इस साल करीब 50 से ज्यादा लोगों का कत्ल किया जा चुका है। सिंध हाईकोर्ट द्वारा 6 मार्च को कानून प्रवर्तन एजेंसियों को कराची में सड़कों पर होने वाले अपराध पर अंकुश लगाने और प्रांत के अन्य हिस्सों में सुरक्षा में सुधार करने के लिए अपराधियों, उनके आकाओं और मददगारों पर कार्रवाई शुरू करने का आदेश दिया है। इसके अलावा सिंध विधानसभा में 28 सीट और कराची से नेशनल असेंबली में 17 सीट जीतने वाली एमक्यूएम-पी ने केंद्र में गठबंधन सरकार से अलग होने की भी धमकी दी है।
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