देश का सबसे महत्वपूर्ण राजनैतिक कार्यक्रम फिर टल गया है जो 14 मई गुरुवार को तेल अवीव में होने वाला था। यहाँ इज़राइल के सबसे लोकप्रिय राजनेता बेन्जामिन नेतान्याहू का देश के प्रधानमंत्री पद के लिए शपथ ग्रहण कार्यक्रम आयोजित होना था। लेकिन अब यह टल गया है। अब यह कार्यक्रम नई तारीख रविवार 17 मई को तय किया गया है। अब नेतन्याहू रविवार को प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। ऐसा पहली बार होगा जब उनका कट्टर प्रतिद्वंद्वी उनके गठबन्धन मंत्रीमंडल में उनके साथ होगा।
लोकतांत्रिक युद्धविराम
इस राजनैतिक कार्यक्रम के टल जाने की वजह खुद नेतान्याहू हैं। उनकी और से ही इस कार्यक्रम के लिए और समय की मांग की गई। उनके द्वारा कहा गया कि वह पहले अपनी लिकुड पार्टी के सदस्यों के साथ एक बैठक करना चाहते हैं। जिसके बाद ही वे गठबंधन सरकार में नेताओं को नए पद ऑफर करेंगे। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि नेताओं को सरकार में जो अभी पद दिए जा रहे हैं उनसे वे संतुष्ट नहीं थे। नेतान्याहू के प्रमुख प्रतिद्वंद्वी बेनी गांत्ज की ओर से उनकी मांग के प्रति अपनी स्वीकृति जताई गई है।
नेतन्याहू इजराइल के सबसे बड़े नेता हैं। इसके बावजूद वह मजबूत और एकजुट विपक्ष के होने के कारण हाल के राष्ट्रीय चुनावों में अपने लिए उचित सीटें नहीं हासिल कर पाए। जिसके कारण मजबूर होकर नेतन्याहू को राजनीतिक गठजोड़ करके अपनी सरकार बनानी पड़ी है। विपक्षी नेता बेनी गांत्ज ने उनसे हाथ मिलाया है और इस नई सरकार को इजराइल के राजनीतिक विश्लेषक योहानन प्लेसनेर ने ‘लोकतांत्रिक युद्धविराम’ करार दिया है।
गौरतलब है कि बेनी गांत्ज नेतान्याहू की गठबंधन सरकार में सम्मिलित होंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि वह स्पीकर पद से भी अपना इस्तीफा वापस ले रहे हैं। रविवार, 17 मई को एक बार फिर नेतान्याहू प्रधानमन्त्री पद पर आसीन होने जा रहे हैं। जिसके बाद बेनी गांत्ज देश में नेता नंबर दो की स्थिति में उनके नये मंत्रीमंडल का हिस्सा बनेंगे।
एक साल में तीन बार चुनाव
इससे इस्राइल के इतिहास के सबसे लंबे राजनीतिक गतिरोध का अंत हो गया, जिसमें 500 से अधिक दिनों के लिए एक केयर टेकर सरकार काम कर रही थी। बता दें कि इस्राइल में एक के बाद एक तीन लगातार आम चुनाव हुए, लेकिन किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला। नेतन्याहू ने औपचारिक रूप से घोषणा की कि वह राष्ट्रपति रेवेन रिवलिन और ब्लू एंड व्हाइट पार्टी के अध्यक्ष बेनी गांत्ज को भेजे गए पत्रों में बुधवार को सरकार बनाने में सफल रहे, जो कि केसेट्स (इस्राइली संसद) अध्यक्ष के रूप में अस्थायी रूप से सेवा कर रहे हैं।
नई सरकार में गठबंधन समझौते के मुताबिक 18 महीने तक नेतन्याहू प्रधानमंत्री रहेंगे जबकि, 18 महीने बाद बेनी गांत्ज प्रधानमंत्री बनेंगे। गुरुवार शाम को शाम 6 बजे शुरू होने वाले केसेट प्लेनम सत्र के दौरान सांसदों ने इसे मंजूरी देने के लिए मतदान करने की शपथ ली। यह यहूदी राज्य के इतिहास में सबसे बड़ी सरकार बन जाएगी।
PM मोदी से अच्छे रिश्ते
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नेतन्याहू के बीच काफी अच्छे रिश्ते माने जाते हैं। भारत में बीजेपी की जीत के बाद नेतन्याहू ने ट्वीट कर अपने ‘दोस्त’ मोदी को बधाई दी थी। साथ ही उनके अपने चुनाव प्रचार अभियान में देश में जगह-जगह पीएम मोदी के साथ उनके बड़े-बड़े होर्डिंग देखने को मिल जाया करते थे। भारत ने इजरायल को हाइड्रोक्लोरोक्वाइन भेजी तो नेतन्याहू ने ट्वीट कर मोदी को धन्यवाद दिया था। कोरोना वायरस से लड़ाई में भी इजरायल और भारत एक साथ खड़े हैं।