पिछले करीब एक साल से चल रहे इजरायल हमास युद्ध पर युद्धविराम लगा दिया गया है। दोनों देशों के बीच यह जंग 7 अक्टूबर से शुरू हुई थी। हाल ही में इजरायल ने 26 नवंबर को इस युद्ध पर विराम लगाने की घोषणा की है। जिसके बाद लेबनान और इजरायल के बीच सीजफायर लागू हो चुका है। इजरायल द्वारा इस प्रकार की घोषणा करने के पीछे की एक वजह अमेरिकी सलाह भी मानी जा रही है । गौरतलब है कि ट्रंप चुनाव जीतने के बाद कहा था कि वे युद्ध रोकेंगे। वहीं हाल ही में इजरायली प्रधानमंत्री कार्यालय का कहना है कि इजरायल इस प्रक्रिया में अमेरिका के सहयोग की सराहना करता है और अपनी सुरक्षा के लिए किसी भी खतरे के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार सुरक्षित रखता है। खबरों के अनुसार अमेरिका कथित तौर पर हिजबुल्लाह की ओर से युद्धविराम का उल्लंघन करने पर जवाब देने से जुड़े अधिकार भी इजरायल को दे रहा है। युद्ध विराम समझौते के तहत हिजबुल्लाह दक्षिणी लेबनान छोड़ देगा और इसके सैन्य बुनियादी ढांचे को खत्म कर दिया जाएगा।
अगर यह सीजफायर यानि युद्धविराम कायम रहता है तो एक साल से चल रहा यह युद्ध खत्म हो जाएगा। इस युद्ध के चलते इजरायल और लेबनान के लाखों को लोगों को विस्थापित होना पड़ा है। हाल के महीनों में इस्राएल और हिज्बुल्लाह के बीच संघर्ष तेज हो गए थे। अबतक चल रहे इस युद्ध में लगभग 44 हजार लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी है। लंबे समय बाद दुनिया इस युद्ध विराम से राहत की सांस लेगी। इजरायल और हमास के बीच हुए समझौते के तहत यहूदी मुल्क इजरायल को अगले 60 दिनों में अपनी सेना को लेबनान से हटाना होगा। वहीं हिज्बुल्लाह को अपनी सेनाएं लिटानी नदी के उत्तर में ले जानी होंगी। यह क्षेत्र इजरायल की सीमा से लगभग 30 किलोमीटर दूर है। दोनों देशों के बीच हुए सीजफायर के मुताबिक लेबनान की सेना और संयुक्त राष्ट्र की शांति सेना (यूएनआईएफआईएल) सीमा क्षेत्र को सुरक्षित करेंगी। इससे हिज्बुल्लाह को वहां नए निर्माण बनाने से रोका जा सकेगा । लेबनान के विदेश मंत्री अब्दुल्ला बूहबीब ने कहा कि लेबनान की सेना दक्षिणी लेबनान में 10,000 सैनिकों को तैनात कर सकती है। लेबनान के डिप्टी संसद अध्यक्ष इलियास बूसाब ने कहा है कि पहले से मौजूद त्रिपक्षीय तंत्र, जिसमें यूएनआईएफआईएल, लेबनान और इजरायल की सेनाएं शामिल थीं, अब इसमें अमेरिका और फ्रांस को भी जोड़ा जाएगा। अमेरिका इस समूह की अध्यक्षता करेगा।
सीजफायर डील के लिए क्यों मजबूर हुवा इजरायल
इसी बीच एक सवाल सभी के मन में उठ रहा है कि ऐसी क्या वजह है कि जो इजराइल अपने युद्ध लक्ष्यों के पूरा करने तक जंग जारी रहने का दावा करता था, उसे हिजबुल्लाह के साथ युद्ध विराम के लिए मजबूर होना पड़ा। इसमें एक वजह तो ईरान को माना जा रहा है। दरअसल इजरायल ईरान से खतरा महसूस करने लगा है। जो ईरान इजरायल से सीधे युद्ध करने से कतराता था अब वह इजरायल से सीधे युद्ध करने के लिए आमादा है। ईरान ने धमकी दी है कि इजरायल पर किया गया इस बार का वार अबतक का सबसे घातक वार होगा। जिसे इजरायल हल्के में नहीं आंक सकता। ईरान के साथ युद्ध करने के लिए उसे सैनिकों को आराम और तैयारी करने की जरूरत है।
दूसरी वजह हिजबुल्लाह के साथ जंग में इजरायल को बड़ा नुकसान पहुंचना है। जिसे पटरी पर लाने के लिए भी यह युद्ध विराम जरूरी था। इस युद्ध में उत्तरी इजरायल से करीब साठ हजार यहूदियों को घर छोड़ कर जाना पड़ा है। इजराइल ने उत्तरी इजराइल से विस्थापित हुए यहूदियों को दोबारा बसाने के युद्ध लक्ष्य के साथ लेबनान में आक्रमण किया, लेकिन उसका यह दांव उल्टा पड़ गया। लेबनान के साथ किए गए इस युद्ध में दो महीने के भीतर ही 50 इजरायल सैनिकों को अपनी जान गवानी पड़ी। नॉर्थ इजराइल में हिजबुल्लाह के हमलों में 40 नागरिकों समेत 70 लोग मारे जा चुके हैं। हाल के दिनों में हिजबुल्लाह ने इजरायल पर हमले तेज करते हुए रोजाना 200 से 300 रॉकेट दागे थे। हिजबुल्लाह ने अपने हमलों में लगातार इजराइल के मिसाइल डिफेंस सिस्टम को निशाना बनाकर पहले ही काफी कमजोर कर दिया है। इस युद्ध इजरायल के लिए झेलना अब मुश्किल हो रहा था।
यह युद्ध इजरायल को 273 मिलियन डॉलर की संपत्ति का नुकसान पहुंचा चुका है। वहीं इजरायल में 55 हजार एकड़ का क्षेत्र युद्ध में जल कर राख हो गया है। ऐसे में कहा जा रहा है कि यह युद्ध विराम इजरायल के लिए आवश्यक था। अगर यह न होता तो आने वाले दिनों में इजराइल को आर्थिक और मानवीय नजरिए से बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता था। इसके अतिरिक्त इजरायल एक साथ कई मोर्चों को संभाले हुए हैं। इजराइल एक साथ कई फ्रंट पर युद्ध लड़ रहा है, एक तरफ गाज़ा में करीब एक साल से ग्राउंड ऑपरेशन जारी है तो वहीं दूसरी ओर इजरायल ने इसी साल 30 सितंबर से लेबनान में भी जमीनी हमले शुरू कर दिए गए थे। सीरिया और ईरान पर एयर स्ट्राइक की जा चुकी है और ईरान के साथ संघर्ष का खतरा अभी टला नहीं है। ऐसे में सैनिकों पर काफी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। हमास के साथ युद्ध रोककर नेतन्याहू अपने सैनिकों को ब्रेक टाइम देना चाहते हैं जिससे वह दोबारा जंग के लिए ज्यादा मजबूती से तैयार हो सके। कई रिपोर्टे दावा कर चुकी हैं कि इजराइली सैनिक कभी न खत्म होने वाले संघर्ष से थक चुके हैं और वह अब सेना में काम नहीं करना चाहते। इजराइली सैनिक और अधिकारी युद्ध की मानसिक थकान की भी शिकायत कर रहे हैं, कई सैनिक तो पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर से भी जूझ रहे हैं।