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इजराइल अब मानव रीढ़ का भी हो सकेगा ट्रांसप्लांट

आधुनिकरण के बढ़ते इस दौर में रोजाना कोई न कोई आविष्कार देखने को मिलता है। वैज्ञानिकों के द्वारा किये जा रहे नए-नए अविष्कारों को दुनिया भर में प्रोत्साहित किया जाता रहा है। उनके द्वारा की जा रही खोजों और अविष्कारों का आंकड़ा दिन प्रतिदिन असंभव चीजों को संभव करने का जज्बा वाकई काबिल-ए-तारीफ है। ऐसे ही इजराइल के वैज्ञानिकों ने लकवा के इलाज के लिए मानव रीढ़ की हड्डी का प्रत्यारोपण किया है।

मध्य इजरायल में स्थित तेल अवीव विश्वविद्यालय (टीएयू) ने यह जानकारी सोशल मीडिया द्वारा दी है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, को ‘एडवांस्ड साइंस’ जर्नल में प्रकाशित एक नए अध्ययन में, टीएयू के वैज्ञानिकों द्वारा मरीजों से लिए गए पेट के वसा टिशू से रीढ़ की हड्डी के टिशू का निर्माण किया गया है। टीम ने टिशू कोशिकाओं को दोबारा काम करने के लिए जेनेटिक इंजीनियरिंग का उपयोग किया गया है। उन्हें एक ऐसी स्थिति में वापस लाया जो भ्रूण स्टेम कोशिकाओं जैसा दिखता है, एक प्रक्रिया में रीढ़ की हड्डी में भ्रूण के विकास की नकल करता है। इस तरह, रोगी से ली गई ऊतक कोशिकाओं को मोटर न्यूरान्स वाले न्यूरोनल नेटवर्क के 3डी प्रत्यारोपण में बदल दिया गया।

वैज्ञानिकों ने कहा कि उन्होंने अब तक एक व्यक्तिगत हाइड्रोजेल भी बनाया है, जो आरोपण के बाद कोई प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया या अस्वीकृति पैदा नहीं करेगा। हाइड्रोजेल से लिपटे स्टेम सेल को तब प्रयोगशाला जानवरों में प्रत्यारोपित किया गया जिसमें 80 प्रतिशत परीक्षणों में सफलतापूर्वक चलने की क्षमता को बहाल किया। शोधकर्ताओं ने आगे बताया कि ‘हम मनुष्यों में क्लिनिकल टेस्ट तक पहुंचने की योजना बना रहे हैं।’

इससे पहले अमेरिका में दुनिया में पहली बार सूअर की किडनी को इंसान के शरीर में ट्रांसप्लांट किया गया था। यह कारनामा न्यूयॉर्क शहर के एनवाईयू लैंगोन हेल्थ मेडिकल सेंटर के सर्जनों ने किया था। बड़ी बात यह है कि सूअर की किडनी इंसान के शरीर में सफलतापूर्वक काम भी कर रही है। इस सफल प्रत्यारोपण से आने वाले दिनों में मानव अंगों की कमी को दूर किया जा सकता है।

अंग की कमी को दूर करने के लिए सूअर के ऊपर काफी दिनों से रिसर्च किया जा रहा था। इस तरह के आविष्कारों से दुनिया भर में एक नयी उम्मीद की लेहेर उठती है। वह बीमारियां जो आज से पहले लाइलाज थी, वह आज के समय में वैज्ञानिकों और डॉक्टरों की मेहनत से इलाज होती नजर आ रही है।

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