अमेरिका और ईरान के संबंधों की खाई दिन दूनी रात चौगुनी गति से गहराती जा रही है। इसकी शुरूआत ट्रंप ने ही की थी और वर्ष 2005 में ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते से खुद को अलग कर लिया। इसके बाद ईरान पर अमेरिका ने व्यापारिक प्रतिबंद लगा दिए और पूरी दुनिया को ही धमकी दे दी कि जो भी अमेरिका के लगाए हुए प्रतिबंदों को नहीं मानेगा उस पर भी अमेरिका सख्त कार्यवाही करेगा।
इन सब से भी ट्रंप का मन नहीं भरा तो उन्होंने अपने ट्वीट में ईरान को चेताया कि वह अमेरिका को धमकी देने की कोशिश न करे अगर अगली बार ऐसा हुआ तो ईरान को इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। इसके जवाब में ईरान की स्पेशल आर्मी के चीफ मेजर जनरल कासिम ने अमेरिका को करारा जवाब दिया।
कासिम ने भी ट्वीट किया और कहा कि एक सैनिक होने के नाते आपकी धमकियों का जवाब देना मेरा फर्ज है। राष्ट्रपतिఀ हसन रुहानी से नहीं मुझसे बात करो। आप जैसों को जवाब देना हमारे राष्ट्रपतिఀ की गरिमा में नही है। हम आपके इतना नजदीक हैं कि आप सोच भी नहीं सकते। आप आएं हम तैयार हैं। आप युद्ध को शुरू जरूर करेंगे लेकिन उसे खत्म हम करेंगे। यकीन जानिए ये युद्ध आपका सब कुछ तबाह कर देगा।
जनरल कासिम सुलेमानी ने यह भी कहा कि ट्रंप आपत्ति जनक भाषा का इस्तेमाल करते हैं जिस पर उन्हें विचार करना चाहिए।
हालांकि ट्रप ने अपना ट्वीट हसन रुहानी के एक बयान के जवाब में कहा था। कुछ समय पहले ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी से बात करते हुए कहा था कि ‘अमेरिका को पता होना चाहिए कि अगर वह ईरान के साथ शांतिఀ बनाए रखेंगे तो पूरी दुनिया शांत रहेगी और अगर ईरान के साथ जंग हुई तो ये जंग बड़ा रूप ले सकती है।
मामले की शुरूआत 2015 में हुए परमाणु समझौते से बाहर निकलने के ट्रंप के फैसले के साथ ही हो गई थी। दूसरे यूरोपीय साथी देशों की सलाह भी अमेरिका ने नहीं मानी और खुद को इस समझौते से अलग कर लिया। इस पर ईरान ने भी साफ कर दिया कि वह यूरेनियम का संवर्धन फिर से शुरू करेगा।
अमेरिका इतने में ही नहीं रुका, उसने ईरान पर तेल, विमान निर्यात और बहुमूल्य धातुओं के व्यापार पर प्रतिबंध लगाने की पूरी तैयारी कर ली। इसके अलावा अमेरिका ने ईरान के दुश्मन देश इजराइल और साउदी अरब की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। जवाब में ईरान ने भी हाल ही में अमेरिका को आंखे दिखाने वाले देश चीन से दोस्ती जग जाहिर कर दी और जिंग पिंग से बिजिंग में मुलाकाल कर आए।
फिलहाल चीन के बाद अब अमेरिका ईरान से भी दुश्मनी मोल ले रहा है और हाल फिलहाल में ऐसे कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं जिनसे यह लगे कि ईरान के साथ रिश्तों में अमेरिका कोई मधुरता ले आएगा। और ईरान भी इतना कमजोर देश नहीं है जो अमेरिका के जुल्मोसितम को चुपचाप सहता जाए। ऐसे में दुनिया की राजनीति किस दिशा में जाएगी यह गौर करने वाली बात है।