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पशुओं के भविष्य को लेकर चिंतित हैं ईरानी

पालतू पशुओं पर ईरान में खतरा मंडराता जा रहा है । लोग अपने पशुओं के भविष्य को लेकर चिंतित हैं। ईरान सरकार ने पालतू जानवरों को बाहर घुमाने पर रोक लगा दी है। सरकार ने इसे दंडनीय अपराध साबित कर दिया है। एक दशक पहले ईरान में जानवरों के खिलाफ एक बिल को पेश किया गया था। जिसे लोगों के संरक्षण के नाम पर इसी महीने मंजूरी दी जा रही है।

गौरतलब है कि इस विधेयक को 39 सांसदों के द्वारा लगभग 11 वर्ष संसद में पेश किया गया था। उस दौरान के सांसदों द्वारा सभी कुत्तों को जब्त करके रेगिस्तान में छोड़ देने के प्रयास किये गए थे। चर्चा ये भी थी कि यदि किसी व्यक्ति को पालतू जानवरों के साथ पाया गया तो उसे 74 कोड़े मारे जाएंगे । इस बिल को पेश किये जाने से पहले 2010 में ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेताअयातुल्ला नासिर मकारेम शिराजी ने एक फतवा जारी किया था। जिसमें कुत्ता पालना मजहब के खिलाफ बताया गया था। जिसके बाद से ही पुलिस ने कुत्ता पालने पर जुर्माना लगाने के साथ शहरों से कुत्तों को हटाना शुरू कर दिया था। अब ईरान सरकार द्वारा इस कानून पर जल्द ही मुहर लगा दी जाएगी।तेहरान जिले में हाल ही में पुलिस ने ये घोषणा करते हुए कहा कि पार्कों में कुत्तों को घुमाना दंडनीय अपराध है। पालतू जानवरों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। पुलिस के मुताबिक ये प्रतिबंध जनता के सुरक्षा को देखते हुए जरूरी है। बिल के मुताबिक यदि लोग इन जानवरों का आयात ,निर्यात करते हैं या इन्हे पालतू पशु बनाकर घरों में रखते हैं तो उन पर लगभग 800 डॉलर तक का जुर्माना लगाया सकता है।


विधेयक को मंजूरी देने के पीछे की मुख्य वजह

कुत्तों से निजात पाने के लिए देश में कारावास भी बनाये गए हैं । जहां कुत्तों को कई दिनों तक भूखा भी रक्खा जाता है। उन्हें सही समय पर पर्याप्त मात्रा में भोजन तक उपलब्ध नहीं कराया जाता। आर्थिक तंगी से परेशान ईरान द्वारा विदेशी मुद्रा भंडार को बचाने के लिए जानवरों के लिए विदेशो से आने वाले भोजन के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह प्रतिबंध तीन सालों के लिए लगाया गया है। ईरान में स्थानीय तौर पर जो भोजन जानवरों के लिए बनाया जाता है वह अच्छी गुणवत्ता वाला नहीं होता। वो काफी निम्न स्तर के गुणवत्ता वाले मास – मछली से बनाया जाता है। खबरों के अनुसार जानवरों के खिलाफ इस तरह के विधेयक को मंजूरी देने के पीछे एक मुख्य वजह यह भी बताई जा रही है कि पश्चिमी देशों द्वारा लगाएं गए आर्थिक प्रतिबंधो के कारण ऐसा किया गया है।

अपने ही मुल्क में सुरक्षित नहीं पर्शियन कैट

विधेयक के अनुसार मगरमछ ,कुत्तों सहित बिल्लियों को भी पालने की इजाजत नहीं है। लोगों को अपने पालतू जानवरों के भविष्य की चिंता सत्ता रही है। इस विधेयक की वजह से ईरान में अधिकतर पाए जाने वाले पर्शियन कैट पर भी खतरा मंडरा रहा है। अंदेशा लगाया जा रहा है कि पर्शियन कैट अपने ही मुल्क से लुप्त हो सकती हैं। पर्शियन कैट बिल्लियों की सबसे फेमस नस्ल मानी जाती है। लेकिन अब ये बिल्लियां अपने ही मुल्क में सुरक्षित नहीं है। खबरों के अनुसार लोगों के मुताबिक इस कानून का कोई लॉजिक नहीं है।


क्यों लगाया जा रहा है जानवरों पर प्रतिबंध

ईरान एक समय उन चुनिंदा देशों में से एक था जिसने वर्ष 1948 में पशु कल्याण के लिए कानून बनाया था। जिसमें गांव ही नहीं शहरी स्तर पर भी जानवरों को पालना आम बात होती थी। ईरान के शाही परिवारों में भी कुत्ते पाले जाते थे। लेकिन ईरान में हुई 1979 की इस्लामी क्रांति ने जानवरों के प्रति मनुष्य के प्रेम को बदल कर रख दिया। गौरतलब है कि ईरान एक मुस्लिम कंट्री है। इस्लाम में कुत्ते को पालना अशुद्ध माना जाता है। इस क्रांति के बाद से ही इस कथन को और बढ़ावा दिया गया। क्रांति के बाद बनी नई सरकार ने कुत्तों को पश्चिमीकरण का प्रतीक घोषित कर दिया। जिसके बाद से ही ईरान में जानवरों को अशुद्ध और पश्चिमीकरण का प्रतीक माना जाने लगा। । ईरान प्रशाशन के मुताबिक पालतू जानवरों को टहलाना ,उनके साथ आना -जाना ये सब पश्चिमीकरण के समान है।

 

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