ईरान और अफगानिस्तान इन दोनों ही देश के नागरिक मानव अधिकारों से संबंधित कई संकटों से जूझ रहे हैं। ईरान में जहां एक ओर महिलाओं को हिजाब विरोध की वजह से प्रताड़ित किया जा रहा है वहीं अफगान में शिक्षा से लेकर खेल तक के सभी क्षेत्रों में महिलाओं की उपस्थिति प्रतिबंधित है। इस बीच एक और मामला सामने आया है कि 3 हजार 123 अफगान प्रवासियों को ईरान से निष्कासित कर दिया गया।
इससे पहले ईरान में कई अफगानी शरणार्थियों को हिरासत में लेकर इस्लाम कला और पुले अब्रीशम सीमाओं से जबरन अफगानिस्तान भेज दिया गया था । दरअसल तालिबान द्वारा अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने के बाद से ही कई लोगों ने जीवन और आर्थिक स्थितियों की चिंता की वजह से देश छोड़ दिया था। मौजूदा समय ईरान में 40 लाख से अधिक अफगानी नागरिक रहते हैं। तालिबान के अधिकारियों के मुताबिक अफगान शरणार्थी हेरात और निमरूज प्रांतों के सीमाओं से अफगानिस्तान में प्रवेश कर चुके हैं। वहीं तालिबान द्वारा ईरानी अधिकारियों से अफगान शरणार्थियों के साथ उचित व्यवहार करने की अपील की गई है।
गौरतलब है कि अगस्त साल 2021 से तालिबान द्वारा अफगानिस्तान की सत्ता हासिल की थी । जिसके बाद हजारों की संख्या में नागरिक तालिबान उत्पीड़न और मौत के डर से देश छोड़ कर भाग गए थे। जिसके बाद इन अफगानी नागरिकों ने पाकिस्तान और ईरान में शरण ली। इन दोनों देशों में अफगान प्रवासियों की बढ़ती संख्या के पीछे मुख्य वजह अफगानिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक संकट रहा है । इसके अलावा तालिबान में खास तौर पर महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों को प्रतिबंधित करना भी है। इसी तर्ज पर मानवाधिकार संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच का कहना है कि तालिबान ने सभी महिलाओं को सिविल सेवा में नौकरी के पदों से बर्खास्त कर दिया है और अधिकतर प्रदेशों में लड़कियों के माध्यमिक विद्यालय जाने पर रोक लगा दी गई है ।