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माली में अंतरिम उप-राष्ट्रपति ने कब्जाई सत्ता

माली के अंतरिम उप-राष्ट्रपति कर्नल असिमी गोइता ने मंगलवार 25 मई को कहा कि अंतरिम राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री द्वारा नई सरकार के गठन के बारे में उनसे परामर्श करने में विफल रहने के बाद उन्होंने सत्ता पर कब्जा कर लिया है। उन्होंने कहा कि अगले साल योजना के अनुसार चुनाव कराए जाएंगे।

राष्ट्रपति बाह नदौ और प्रधान मंत्री मोक्टर औअने को गिरफ्तार कर लिया गया और सोमवार शाम को राजधानी के बाहर एक सैन्य अड्डे पर ले जाया गया, जिसकी अंतरराष्ट्रीय शक्तियों ने कड़ी निंदा की, जिनमें से कुछ ने इसे “तख्तापलट का प्रयास” कहा। असिमी ने कहा कि अगले साल योजना के अनुसार चुनाव होंगे।

दोनों लोग अगस्त में एक सैन्य तख्तापलट के बाद बनाई गई एक अंतरिम सरकार के प्रभारी थे, जिसने राष्ट्रपति इब्राहिम बाउबकर को हटा दिया था। उन्हें अगले साल लोकतांत्रिक चुनावों में वापसी की देखरेख का काम सौंपा गया था।

गिरफ्तारी के बाद माली के अंतरिम प्रधानमंत्री मोक्टर औअने ने कहा था कि उप-राष्ट्रपति कर्नल असिमी गोइता की सुरक्षा में तैनात सेना के जवान उन्हें ले गए थे। असिमी वहीं नेता है जिन्होंने पिछली सरकार में तख्तापलट में अहम भूमिका निभाई थी।

इन सभी नेताओं की गिरफ्तारी नई सरकार के गठन के बाद की गई। दरअसल माली में अगस्त में बनी सरकार में ज्याादतर मंत्री सेना से थे। सेना पर सरकारी कामकाज में हस्तक्षेप करने के आरोप लग रहे है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्र्पति के गार्ड ने उनकी सुरक्षा करने से मना कर दिया था, और उन्हें अपने साथ लेकर चले गए।

इससे पहले 2012 में सेना ने तख्तापलट किया था सेना के अधिकारियों ने पिछले साल अगस्त में भ्रष्टाचार और देश के उत्तरी इलाके में सशस्त्र विद्रोह से निपटने के लिए कीता सरकार को अपदस्थ कर दिया था।

तब अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों के बाद भी अंतरिम सरकार का गठन किया। ये सरकार संविधान सुधार के पक्ष में थी। इसके तहत 18 महीने में चुनाव कराने का वादा किया गया था। इससे पहले मई में वहां की अदालत ने संसदीय चुनावों के नतीजों को पलट दिया था।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर निंदा

एक संयुक्त बयान में, संयुक्त राष्ट्र और एयू (यूरोपियन यूनियन) ने माली के नेताओं की “तत्काल और बिना शर्त रिहाई” का आह्वान किया और कहा कि “अंतर्राष्ट्रीय समुदाय पहले से जबरदस्ती के किसी भी कार्य को खारिज कर देता है, जिसमें जबरन इस्तीफे भी शामिल हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, जर्मनी और पश्चिम अफ्रीकी क्षेत्रीय ब्लॉक जिसे ईसीओडब्ल्यूएएस (ECOWAS ) के नाम से जाना जाता है, ने भी बयान पर हस्ताक्षर किए।

इस बीच, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने एक ट्विटर पोस्ट में गहरी चिंता व्यक्त की और शांत रहने का आग्रह किया, जबकि यूरोपीय संघ के नेताओं ने माली के नेताओं के अपहरण की निंदा की।

क्षेत्रीय प्रतिबंधों के खतरे का सामना करने के बाद माली में एक अंतरिम सरकार को सत्ता सौंपने के लिए सहमत हुए थे। प्रधानमंत्री औअने एक पूर्व सैनिक है औअने ने पिछले साल सितंबर में शपथ ली थी।

माली में इससे पहले भी तख्तापलट हो चुका है

यह पहली बार नहीं है जब माली में सेना ने तख्तापलट किया है। इससे पहले 2012 में सेना ने राष्ट्रपति इब्राहिम बाउबकर को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया था। असिमी वही नेता है जिसने पूर्ववर्ती अमादौ तौमानी तोरे की सरकार गिराने में मदद की थी।

उसके बाद माली में यह सिलसिला आम होता जा रहा है। तोरे के जाने से एक जातीय तुआरेग विद्रोह शुरू हो गया, जिसे अल कायदा से जुड़े लड़ाके ने हाईजैक कर लिया था।

फ्रांसीसी सेना ने 2013 में सशस्त्र समूहों को वापस हराया, लेकिन वे फिर से संगठित हो गए हैं और सेना और नागरिकों पर नियमित हमले करते हैं। उन्होंने पड़ोसी बुर्किना फासो और नाइजर को अपने तरीके निर्यात किए हैं जहां 2017 से लगभग हर दिन हमले हो रहे है।

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