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पहल : जंगलों को बचाएंगे यूरोपीय देश

ऐसी कंपनियां जो कोई भी सामान बनाने के लिए जंगलों को काटती हैं उन कंपनियों का सामान खरीदने को लेकर यूरोपीय संघ के देशों ने बड़ा एलान किया है। दरअसल यूरोपीय देशों में आपसी सहमति बनी है कि वह जंगलों को नुकसान पहुंचा कर बनाई गई कोई भी वस्तु नहीं खरीदेंगे और उसपर रोक लगाएंगे। इस फैसले को ऐतिहासिक माना जा रहा है। इस कानून के लागू होने के बाद पाम ऑयल, मवेशी, सोया कॉफी, कोकोआ, चिंबर और रबर के साथ ही बीफ या फर्नीचर जैसी चीजें बेचने वालों को यह साबित करना होगा कि इन चीजों को बनाने में उनके द्वारा जंगल को नुकसान नहीं पहुंचाया गया है। अगर वह इस बात का प्रमाण देंगे तभी उनकी चीजों को ख़रीदा जा सकेगा।

नए नियमों के तहत जो कारोबारी इसका पालन नहीं करेंगे उन पर जुर्माना लगाया जाएगा। यह जुर्माना कितना होगा क्या होगा इस पर यूरोपीय संघ के सदस्यों द्वारा यूरोप की संसद में बहस जारी है।

गौरतलब है कि दुनिया में कृषि उपज का सबसे बड़ा आयातक यूरोपीय संघ के बाद चीन को माना जाता है। पर्यावरण के लिए काम करने वाले समूहों का कहना है कि इससे आयातों के कारण होने वाले जंगलों के नुकसान को रोकने के प्रयासों को बढ़ावा मिलेगा ।

मॉनिटरिंग सर्विस ग्लोबल फोरेस्ट वॉच के अनुसार दुनिया भर में पिछले साल कुल 37.5 लाख हेक्टेयर उष्णकटिबंधीय वनों का सफाया हो गया। यानी हर एक मिनट में फुटबॉल के 10 मैदानों के बराबर जंगल साफ कर दिए गए।

वर्ष 2021 में दुनिया के पुराने जंगलों का सफाया सबसे ज्यादा ब्राजील, डेमोक्रैटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो, बोलीविया और इंडोनेशिया देखा गया है और जिसकी मुख्य वजह खेती रही। खेती करने के लिए यहां बड़े पैमाने पर जंगलों को साफ कर दिया गया।

क्यों बना कानून

कई रिपोर्टों के अनुसार कृषि सामानों का उत्पादन बड़े पैमाने पर उष्णकटिबंधीय जंगलों और गीली जमीनों के नुकसान की कारण किया जाता है। वन संपदा के विशेषज्ञों के अनुसार, यह लगातार हो रही उष्णकटिबंधीय वनों की कटाई का मुख्य कारक है। यूरोपीय संघ के देशों में भी जंगलों का नुकसान करके चीजें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेची जाती हैं।

कानून का विरोध

यूरोपीय संघ द्वारा जारी सूची में शामिल वस्तुओं का निर्यात करने वाले ब्राजील, कोलंबिया और इंडोनेशिया जैसे देश इसकी आलोचना कर रहे हैं। उनका कहना है कि ये नियम बोझिल हैं, जो लागत तो बढ़ाएंगे ही साथ ही मुक्त व्यापार की राह में समस्या भी पैदा करेंगे। हालाँकि, कई कंपनियां जो वनों की कटाई को धीमा करना चाहती हैं, वे इसके समर्थन में हैं। छोटे किसान आपूर्ति श्रृंखला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, उनके लिए अपने माल को वनों की कटाई से मुक्त घोषित करने से परेशानी बढ़ जाएगी।हरित कंपनियों ने आम तौर पर कानून का स्वागत किया है। हालांकि वह स्थानीय लोगों के अधिकारों के प्रति सम्मान साबित करने के लिए आलोचना कर रही हैं।

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