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वैज्ञानिकों की चेतावनी, अमेजन वर्षावनों की अंधाधुंध कटाई से आएगी नई महामारी

वैज्ञानिकों की चेतावनी, अमेजन वर्षावनों की अंधाधुंध कटाई से आएगी नई महामारी

पूरा विश्व अभी कोरोना वायरस से जंग लड़ रहा है। वैज्ञानिक इसकी वैक्सीन बनाने में जुटे हुए हैं। लेकिन इसी बीच वैज्ञानिकों की ओर से अब एक और बीमारी को लेकर आशंका जताई गई है। वैज्ञानिकों की इस चेतावनी ने पहले से कोरोना वायरस से फैली दहशत को और अधिक बढ़ा दिया है।

दरअसल, ‘धरती का फेफड़ा’ कहे जाने वाले अमेजन के वर्षावनों की तेजी से कटाई की जा रही है जिससे वन्य क्षेत्र पूरी तरह से सिमटता जा रहा है। वैज्ञानिकों ने यह आशंका जताई है कि इससे एक और महामारी उत्पन्न होने का खतरा है। इकोलॉजिस्ट डेविड लापोला ने भी चेताया है कि यह अमेजन के वर्षावन संक्रमण के प्रसार का अगले हॉट जोन बन सकते हैं। अमेजन के जंगल वायरस का एक बड़ा भंडार है।

यह चिंता ऐसे वक्त में जताई गई है जब इस क्षेत्र में इंसान अपनी मनमानी कर रहे हैं और उनका दखल बढ़  गया है। जिसके कारण ही जानवरों के लिए जगह का आभाव पैदा होने लगा है। जंगली इलाकों के शहरीकरण के कारण जूनोटिक नामक एक नई बीमारी पैदा हो सकती है जो कि जानवरों से इंसानों में फैलती हैं। यह एक नए तरह के कोरोना वायरस को उत्पन कर सकता है। पिछले साल अमेजन में 85 प्रतिशत तक वनों की कटाई की गई है और 3900 वर्गमील जमीन पेड़ों की कटाई और खनन से तबाह भी कर दी गई है।

दिसंबर में कोरोना वायरस के केस सामने आने के बाद से दुनियाभर में मानवीय गतिविधि जैसे थम सी गई है पर अमेजन के जंगलों की कटाई का काम तब भी चल रहा है। अमेजन के वर्षावन का लगभग 60 फीसदी हिस्सा ब्राजील में भी उपस्थित है। यह साउथ अमेरिका का एक बहुत बड़ा देश है और  इस समय लातिन अमेरिका में कोरोना वायरस का केंद्र भी बना हुआ है। अब तक यहां 10 हजार से अधिक लोगों की मृत्यु भी हो चुकी है। पिछले महीने ही 15 वर्ग मील से ज्यादा जमीन को पूरी तरह तबाह कर दिया गया था।

वहीं ब्राजील के अधिकारियों ने अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए तीन हजार से ज्यादा सैनिको की टुकड़ी भी अमेजन भेजी थी। जर्मनी के मैक्स प्लैंक इंस्टिट्यूट से अर्थ सिस्टम में पीएचडी करने वाले लापोला का कहना हैं कि यह बहुत बुरी खबर है ये न सिर्फ हमारे ग्रह के लिए अपितु इंसानों के स्वास्थ्य के लिए भी यह खतरनाक है। उन्होंने यह भी कहा कि जब आप लोग इकोलॉजी में असंतुलन को पैदा कर देते हैं, तब वायरस जानवरों से इंसानों में फैलने लगता है। उन्होंने कहा कि कुछ ऐसा ही पैटर्न एचआईवी, इबोला और डेंगू फीवर जैसे संक्रमण के दौरान भी देखा जा चुका है।

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