भारत और चीन एक बार फिर आमने-सामने हैं। यह सब ऐसे समय में हो रहा है, जब पूरी दुनिया कोविड-19 के संक्रमण से जूझ रही है। सभी देश अपने संसाधन और ताकत कोरोना से लड़ने में इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्हीं में भारत भी है। लेकिन इस बीच लगातार सीमा को लेकर भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ते जा रहे हैं। अब भारत ने बिना किसी दबाव में आए चीन की हर पैंतरेबाजी को नाकाम बनाने का फैसला किया है। भारत की ओर से सेना को सीमा पर चल रहे निर्माण कार्य को जारी रखने का आदेश दिया गया है।
शी जिनपिंग का सेना को आदेश
इस बीच चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ओर से अपनी सेना को युद्ध की तैयारियां तेज करने का आदेश दिया गया है। चीन की सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के महासचिव और चीन की सेना के प्रमुख जिनपिंग ने संसद सत्र के दौरान पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) और पीपुल्स आर्म्ड पुलिस फोर्स के प्रतिनिधियों की पूर्ण बैठक के दौरान यह आदेश दिया है।
चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, शी जिनपिंग ने सेना को आदेश दिया कि वह सबसे खराब हालात की कल्पना करे, उसके बारे में सोचे और युद्ध के लिए अपनी तैयारियों और प्रशिक्षण को बढ़ाए, तमाम जटिल परिस्थितियों से तुरंत और प्रभावी तरीके से निपटने की कोशिश करे, साथ ही पूरी दृढ़ता के साथ राष्ट्रीय सम्प्रभुता, सुरक्षा और विकास संबंधी हितों की रक्षा करे।
प्रधानमंत्री ने की सेना प्रमुखों के साथ बैठक
गौरतलब है कि मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के शीर्ष सैन्य नेतृत्व के साथ पूरे हालात की समीक्षा की थी। बैठक में भारत और चीन के वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीनी सैनिकों की बढ़ती गतिविधियों के पूरे हालात की समीक्षा की गई। इस समीक्षा बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल, चीफ आफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत व तीनों सेनाओं के प्रमुख शामिल रहे।
प्रधानमंत्री की ओर से बुलाई गई इस तरह की पहली बैठक से यह तो स्पष्ट हो गया है कि सैन्य बल के सहारे दबाब बनाने की चीन की हर रणनीति को हर तरह से नाकाम किया जाएगा। साथ ही इससे यह भी ज्ञात होता है कि दोनों देशों के राजनीतिक नेतृत्व की तरफ से मौजूदा तनाव पर अभी तक कोई टिप्पणी नहीं किए जाने के बाद भी सीमा पर हालात बिगड़ते जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई समीक्षा बैठक में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ जनरल बिपिन रावत, सेना प्रमुख मनोज मुंकद नरवाने, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया और नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह शामिल हुए।
आमने -सामने भारत और चीन के सैनिक
भारत और चीन के सैनिकों के लद्दाख सीमा पर एक-दूसरे के वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी सैनिकों की बढ़ी उपस्थिति के बीच भारत के लद्दाख क्षेत्र की गलवां घाटी पर चीनी दावे ने तनातनी में और वृद्धि की है। वहीं दूसरी तरफ, उत्तराखंड-हिमाचल प्रदेश के साथ चीन से जुड़े हर्षिल सेक्टर में भी चीनी सैनिकों की गतिविधियां बढ़ने की खबरें सामने आ रही हैं। हालांकि आधिकारिक तौर पर अभी इसकी पुष्टि नहीं की गई है।
पीछे हटने को तैयार नहीं भारत
भारत लगातार इस बात का संकेत दे रहा है कि वह इस मामले में पीछे हटने वाला नहीं है। भारतीय सैन्य सूत्रों द्वारा स्पष्ट किया गया है कि वह पूरे मामले में पीछे हटने को तैयार नहीं है। भारतीय सैन्य सूत्रों ने यह स्पष्ट किया है कि चीन के ऐतराज के बावजूद भी सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों और दूसरे निर्माण कार्य को जारी रखा जाएगा। लद्दाख सीमा के निकट भारतीय क्षेत्र में सड़कों और दूसरे आधारभूत ढांचों के निर्माण को रोकने के मकसद से ही चीनी सेना ने सीमा का अतिक्रमण कर तनातनी बढ़ाई है।
सड़कों और आधारभूत ढांचों का निर्माण जारी रखेगा भारत
सूत्रों के अनुसार, तय किया गया है कि चीन की चालाकियों का जवाब देते हुए लद्दाख व दूसरे क्षेत्रों में चीनी सीमा के निकट भारत सड़कों व आधारभूत ढांचों का निर्माण कार्य जारी रखा जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, चीन की संभावित चुनौतियों के हालात से निपटने की रणनीति पर भी प्रधानमंत्री के साथ हुई इस बैठक में मंत्रणा हुई। साल 2017 में डोकलाम में भारत-चीन के बीच सैनिकों की सीमा पर हुई भिड़ंत के सबसे तनावपूर्ण दौर के बाद लद्दाख सीमा क्षेत्र में चीनी सैनिकों का भारतीय सीमा क्षेत्र में अतिक्रमण सबसे गंभीर मसला बन चुका है।
उचित जवाबी कदम उठाने से नहीं रुकेगा भारत
प्रधानमंत्री की बैठक के बाद सेना को निर्माण कार्य नहीं रोकने का निर्देश देकर भारत ने चीन को यह तो साफ बता दिया है कि चीन द्वारा सीमा विवाद को उठाकर दबाव बनाने की चीनी की रणनीति का दांव भारत भली भांति समझ गया है। शांतिप्रिय देश भारत अब उचित जवाबी कदम उठाने से नहीं हिचकेगा बल्कि चीन की चालाकियों का करारा जवाब देगा।
बता दें कि चीन की ओर से भारत के निर्माण कार्यो में अवरोध लगाने के इरादे से ही लद्दाख क्षेत्र में सैन्य अतिक्रमण किया गया है। जिसके बाद ही भारतीय सेना चीनी सैनिकों के साथ आमने-सामने की स्थिति में पूरी मजबूती से डटकर खड़ी है। लद्दाख क्षेत्र में एलएसी पर सैन्य तनाव को पूरे गलवां वैली क्षेत्र पर चीन के दावे ने और बढ़ा दिया है। चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने लद्दाख में भारत के नियंत्रण वाले गलवां वैली में चीन के सैनिकों की घुसपैठ के सहारे इस समूचे क्षेत्र पर अपना दावा ठोकने का प्रयास किया है।
सैन्य कमांडरों की तीन दिवसीय कांफ्रेंस
भारत-चीन तनातनी के बीच सेना के कमांडरों की बुधवार से तीन दिन की कांफ्रेंस जारी है। माना जा रहा है कि इस कांफ्रेंस में पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में चीन के कारण उत्पन्न मौजूदा हालात पर ही विशेष रूप से चर्चा होगी। सेना के प्रवक्ता अमन आनंद की ओर से बताया गया कि कांफ्रेंस का पहला चरण 27 मई से 29 मई तक रहेगा और दूसरा चरण जून के अंतिम सप्ताह में होगा। दरअसल, यह कांफ्रेंस पहले 13 से 18 अप्रैल तक होनी थी, लेकिन कोरोना के कारण टल गई थी।