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भारत-रूस के रिश्ते से दूर रहे पश्चिमी देश; रूसी विदेश मंत्री

हालही में ईयू (यूरोप यूनाइटेड) के द्वारा प्रतिबंधित देशों की सूची जारी करने के बाद से रूस और उसके साथ कारोबार कर रहे देशों में के बीच काफी अनबन का माहोल बन गया है। इस सूची में भारत की एसआई 2 कंपनी भी निशाने पर आ गई है। जिसके चलते पश्चिमी देशों और भारत के रिश्ते बिगड़ते हुए नजर आने लगे हैं। भारत का रूस की तरफ बढ़ता झुकाव काफी देशों को नागवार लग रहा है। ऐसे गरमा गरमी के माहौल में रूस के विदेश मंत्री के द्वारा पश्चिमी देशों को नसीहत देते हुए भारत के साथ दोस्ती निभाने की बात कही है। जिसके बाद देशों में भारत और रूस के रिश्तों पर चर्चाएं चल रही हैं। 
 

दरअसल, तनातनी के माहौल के बीच रुस का इस तरह का बयान आना सभी देशों के लिए चर्चा क्क पात्र बन गया है। रूस के द्वारा भारत की, की गेन तारीफें इस बात को साफ़ करती हैं की भारत और रूस एक दूसरे के घनिष्ट मित्र बन चुके हैं। इसका पता इस बात से चलता है कि जंग के हालातों में भी भारत ने रूस से बड़ी तादाद में तेल का निर्यात किया है। यही मुद्दा था जो ईयू को काफी नागवार लगा उनका कहना है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद भारत ने पहले की मात्रा से ज्यादा तेल आयात किया है। और रूस को भारतीय कंपनी एसआई 2 के द्वारा दोहरी वस्तुएं भी भेजी जा रही हैं जिनका इस्तेमाल रूस द्वारा जंग में किया जा रहा है। इसी कारण ईयू ने भारत देश की इस कंपनी पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसी मुद्दे को लेकर रूस भारत की सपोर्ट में आकर दोस्ती की मिसाल दे रहा है। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की जमकर तारीफ की है। रूस के सोच्ची शहर में आयोजित विश्व युवा मंच को संबोधित करने के दौरान सर्गेई लावरोव ने एस जयशंकर के पिछले बयान को याद करते हुए दोहराया और कहा कि किस तरह से एस जयशंकर ने पश्चिमी देशों की बोलती बंद कर दी थी।

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दिल्ली और मास्को के बीच द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने का काम किया है जिसको लेकर रूस के विदेश मंत्री ने जयशंकर की तारीफ की है। एक वाकया को याद करते हुए उन्होंने कहा कि ‘रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान संयुक्त राष्ट्र में कुछ पश्चिमी देशों के जानकारों ने एस जयशंकर से पूछा कि आखिर भारत अधिक मात्रा में रूस से तेल क्यों ले रहा है?’ इसका जवाब देते हुए एस जयशंकर ने पश्चिमी देशों से कहा कि ‘आप अपने काम से काम रखें.’ दिल्ली हमेशा से मास्को का दोस्त रहा है।’

सूत्रों और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रूस-यूक्रेन युद्ध के शुरू होने के बाद पश्चिमी देशों ने रूस से कच्चा तेल लेना प्रतिबंधित कर दिया था। चालू युद्ध और प्रतिबंधों के कारण भारत ने सस्ते तेल का फायदा उठाते हुए निर्यात को जारी रखा। जनवरी 2022 में आयात शून्य से बढ़कर जनवरी 2023 तक 12.7 लाख बैरल प्रतिदिन हो गया था। वर्ष 2023 के दौरान रूस से भारत का तेल आयात दोगुना से अधिक बढ़कर 17.9 लाख बैरल प्रतिदिन हो गया। इस तरह से भारत को कच्चा तेल देने के मामले में रूस प्रमुख आपूर्तिकर्ता बन गया। युद्ध के दौरान रूस के द्वारा तेल कीमतों को काम करना भारत के लिए काफी लाभदायक रहा जिसके चलते भारत ने इराक जैसे पारंपरिक आपूर्तिकर्ताओं से तेल आयात में कमी कर दी।

पिछले महीने जर्मनी में एक साक्षात्कार के दौरान भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था कि यूक्रेन में मॉस्को की सैन्य आक्रामकता के बावजूद भारत ने रूस के साथ अपने आर्थिक संबंधों का विस्तार करते हुए कहा कि रूस ने कभी भी भारत के हितों का उल्लंघन नहीं किया और द्विपक्षीय संबंध ‘स्थिर और मैत्रीपूर्ण’ बने हुए हैं।’

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