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तालिबान की हुकूमत में 3,774 नागरिक हताहत, बढे आत्मघाती हमले 

अफगानिस्तान में तालिबान सत्ता काबिज होने के बाद से ही वहां की स्थिति खराब रही है। अफगानिस्तान में कुपोषण और  भुखमरी से लोगों की जान जाने का खतरा बढ़ रहा है। जिसका दावा  ह्यूमन राइट्स वॉच  की रिपोर्ट में किया गया था। इसी बीच हाल ही में संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी की गई एक और रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान में 2021 से लेकर इस साल तक के मई तक 3 हजार 774 नागरिक हताहत हुए हैं। जिसमें 1 हजार 95 नागरिकों की जान गई है। संयुक्त राष्ट्र ने हाल  ही में 27 जून को एक रिपोर्ट जारी कर कहा है कि अफगानिस्तान में तालिबान हुकूमत आने के बाद से ही हुए हमलों में व्यापक स्तर  पर कई आम लोगों की जान गई है।

युद्ध और आतंकवाद के दौर के मुकाबले देश में हताहतों की संख्या में भारी कमी आने के बावजूद देश में यह स्थिति बरकरार है। रिपोर्ट अनुसार यह संख्या अकेले 2020 में अफगानिस्तान में हताहत हुए  8,820 नागरिकों से कम हैं ,जिनमें मृतकों का आकड़ा 3,035 है।  गौरतलब है कि अगस्त 2021 में दो दशक लंबे अफगान युद्ध के बाद देश से अमेरिका और नाटो बलों की वापसी के अंतिम दौर के दौरान तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता अपने हाथों में लेली थी।  अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से हुए तीन-चौथाई हमलों में आईईडी (इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) के जरिये ‘भीड़ वाली जगहों, मसलन-धार्मिक स्थलों, स्कूलों और बाजारों को निशाना बनाया गया।’ इन हमलों में मारे गए लोगों में 92 महिलाएं और 287 बच्चे शामिल थे।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान में हुए कुल आईईडी हमलों में से ज्यादातर को इस्लामिक स्टेट इन खोरासन प्रॉविन्स (आईएसकेपी) ने अंजाम दिया, जो क्षेत्र में इस्लामिक स्टेट (आईएस) आतंकवादी समूह का क्षेत्रीय सहयोगी है। वहीं  रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बड़ी संख्या में नागरिक ऐसे हमलों में मारे गए, जिनकी जिम्मेदारी किसी भी समूह ने नहीं ली या फिर संयुक्त राष्ट्र मिशन इन हमलों में शामिल समूहों का पता नहीं लगा सका। तालिबान के कब्जे के बाद से अफगानिस्तान को मिलने वाली विदेशी मदद में कमी आने की वजह से पीड़ितों को ‘चिकित्सकीय, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक मदद’ हासिल करने में संघर्ष करना पड़ रहा है। रिपोर्ट में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से ‘आत्मघाती हमलों में वृद्धि’ के बारे में भी चिंता व्यक्त की है। जिसके चलते कम संख्या में ऐसे हमले होने के बावजूद बड़े पैमाने पर नागरिक हताहत हुए।

इसी महीने अफगानिस्तान के बदख्शान प्रांत के डिप्टी गवर्नर निसार अहमद अहमदी के अंतिम संस्कार के दौरान 8 जून को एक मस्जिद के पास हुए विस्फोट में 11 लोगों की मौत हो गई थी। 30 अन्य घायल हो गए थे । मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, धमाका बदख्शान के फैजाबाद स्थित नवाबी मस्जिद के पास हुआ था। इसके अलावा इसी साल 11 जनवरी को  तालिबान विदेश मंत्रालय के बाहर आत्मघाती हमला हुआ था। जिससे अफगानिस्तान हिल गया।  इस हमले में पांच लोगों की मौत हो गई और कई अन्य लोग घायल हुए थे । उस दौरान 40 से अधिक घायलों को काबुल में आपातकालीन एनजीओ, एक मानवतावादी संगठन द्वारा चलाए जा रहे एक शल्य चिकित्सा केंद्र में लाया गया था। यह 2023 में पहली सामूहिक दुर्घटना थी , लेकिन निश्चित रूप से 2022 की शुरुआत के बाद से सबसे अधिक लोग घायल हुए थे। इसके अलावा कई अन्य आत्मघाती हमले हुए थे।

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