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‘गोपनीय’ दस्तावेजों के मुद्दे पर बाइडेन की बढ़ी मुश्किलें

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के घर और दफ्तर से कुछ गोपनीय सरकारी दस्तावेज मिले हैं। इन दस्तावेज़ों की संख्या कितनी है और ये कितने महत्वपूर्ण हैं, इसका खुलासा अभी नहीं हुआ है। लेकिन इस घटना ने अमेरिकी राजनीति में एक तूफान जरूर खड़ा कर दिया है। इस मामले के सामने आने के बाद जो बाइडेन अपनी विपक्षी रिपब्लिकन पार्टी के निशाने पर हैं। इस बीच अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा है कि वो इन दस्तावेजों की समीक्षा में जस्टिस डिपार्टमेंट का पूरा सहयोग करेंगे।

बाइडेन को दस्तावेज कैसे और कब मिले?

बाइडेन के डेलावेयर स्थित घर की लाइब्रेरी और गैरेज में ‘गोपनीय’ सरकारी दस्तावेज मिले हैं। खास बात यह है कि ये दस्तावेज किसी दूसरे या तीसरे पक्ष को नहीं, बल्कि बाइडेन के अपने निजी वकीलों को मिले हैं। दस्तावेज़ 2 नवंबर, 2022 को अमेरिकी मध्यावधि चुनाव से पहले प्राप्त हुए थे। हालांकि, उसके बाद भी ढाई महीने तक इस जानकारी को ‘गोपनीय’ रखा गया। इसे पहली बार 9 जनवरी को देखा गया था और बाइडन प्रशासन ने 11 जनवरी को इसकी पुष्टि की थी। अगले ही दिन 12 तारीख को बाइडेन के वाशिंगटन स्थित कार्यालय (पेन बिडेन सेंटर) में कुछ और गोपनीय दस्तावेज मिले।

ये दस्तावेज क्या हैं, कितने जरूरी हैं?

बाइडेन के घर और ऑफिस में मिले दस्तावेज उनके अमेरिका के उपराष्ट्रपति रहने के समय के हैं। बाइडेन 2009 से 2016 तक आठ साल तक राष्ट्रपति बराक ओबामा के उप राष्ट्रपति रहे। यह स्पष्ट है कि उस समय कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज वहां गए थे और छह साल से अधिक समय तक वहीं रहे। ये दस्तावेज वास्तव में किस विभाग के हैं, कितने महत्वपूर्ण हैं, क्या देश की सुरक्षा के साथ समझौता किया गया है आदि बातें जांच के बाद स्पष्ट होंगी।  लेकिन इस घटना ने बाइडेन का सिरदर्द जरूर बढ़ा दिया है।

दस्तावेजों पर क्या है प्रशासन का रुख?

अमेरिका के अटॉर्नी जनरल मेरिक गारलैंड ने ऐलान किया कि एक विशेष टीम के जरिए जांच की जाएगी। जांच का नेतृत्व मैरीलैंड के अटॉर्नी जनरल रॉबर्ट हुर करेंगे। हुर जल्द ही जांच का जिम्मा संभालेंगे। जांच प्रणाली में गौरतलब है कि इससे पहले ट्रंप के फ्लोरिडा स्थित बंगले में मिले 300 गोपनीय दस्तावेजों को लेकर खूब हंगामा हुआ था। अब बाइडेन को भी ऐसे ही हालात से गुजरना पड़ सकता है।

अमेरिकी राजनीति में ‘गोपनीय दस्तावेजों’ का क्या स्थान है?

अमेरिका में ‘गोपनीय’ दस्तावेज हमेशा से विवाद का विषय रहे हैं। इससे पहले हिलेरी क्लिंटन पर राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने के दौरान अपने निजी ईमेल सर्वर से गोपनीय जानकारी भेजने का आरोप लगाया गया था। इस मुद्दे को डोनाल्ड ट्रंप ने उठाया और इसका उन्हें फायदा भी हुआ। राष्ट्रपति बनने पर ट्रंप ने खुद भी ऐसा ही किया था। व्हाइट हाउस से निकलते समय वे गोपनीय दस्तावेज अपने साथ ले गए थे। नतीजतन, उस पर मुकदमा चलाया गया। अब बाइडेन  पर मुकदमा चलने की संभावना है। बाइडेन भी जांच के दौर में फंस गए हैं।

अमेरिका में इन घटनाओं ने जिस एक मुद्दे को उजागर किया है, वह अमेरिका में वर्गीकृत दस्तावेजों का प्रबंधन। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति की असीमित शक्तियों और उसके दुरूपयोग का मामला भी खुलकर सामने आया है।

FBI की रेड के बाद से डोनाल्ड ट्रंप की बढ़ी मुश्किलें

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